वर्षा से नहीं भर पा रहा धरती का'कटोरा'

जागरण संवाददाता, मथुरा: मथुरा की भूमि का आकार कटोरानुमा है। बरसात से यह कटोरा भी न

By JagranEdited By: Publish:Mon, 26 Mar 2018 12:34 AM (IST) Updated:Mon, 26 Mar 2018 12:34 AM (IST)
वर्षा से नहीं भर पा रहा धरती का'कटोरा'
वर्षा से नहीं भर पा रहा धरती का'कटोरा'

जागरण संवाददाता, मथुरा: मथुरा की भूमि का आकार कटोरानुमा है। बरसात से यह कटोरा भी नहीं भर पा रहा है। इसलिए यहां की धरती प्यासी है। पिछले तीन साल से मानसून लगातार आंख दिखा रहा है। औसत वर्षा में कमी आई है। यहां अप्रैल में सबसे कम वर्ष होने से मौसम शुष्क रहता है, जबकि सर्वाधिक बरसात अगस्त में होती है।

जिले में मानसून के पहुंचने का समय 22 जून है। जुलाई के पहले सप्ताह तक प्री मानसूनी वर्षा होती है। वार्षिक औसत वर्षा यहां औसत वर्षा 614.13 एमएम होती है। भूमि का आकार कटोरनुमा होने से मामूली बरसात से ही यहां जलभराव के हालात पैदा हो जाते हैं। जून 1996 और 1998 में अचानक सामान्य से अधिक बरसात हुई थी। इससे जनपद में बाढ़ के हालात पैदा हो गए थे। 119 गांव टापू में बदल गए थे। छह साल तक सामान्य से भी कम वर्षा हुई थी। वर्ष 2003 में फिर सामान्य से अधिक पानी बरसा और जिले की चार तहसीलें जलमग्न हो गई थी। वर्ष 2010 में अत्यधिक बारिश से यमुना का जलस्तर 167.34 मीटर तक पहुंच गया था। जलप्लान की स्थिति यहां अधिक समय तक नहीं बनी रहती है। जल निकासी के लिए गोवर्धन ड्रेन, हुलवाना ड्रेन, कोसी ब्रांच, बरका नाले समेत बड़े पच्चीस नाले हैं, जो पानी का खींच कर यमुना में गिराते हैं। पानी गांव और नौहझील में बांध भी बनाए गए हैं, लेकिन पिछले वित्तीय वर्ष 2015-16 में इनकी मरम्मत के लिए कोई धनराशि नहीं दी गई है। नालों पर चैकडेम नहीं बनाए गए हैं। इसलिए जल संरक्षण नहीं हो पा रहा है। अपर खंड आगरा कैनाल और निचली मांट ब्रांच खंड गंगा नहर की 42 टेल जो तालाब और पोखर में गिरती थी, वह भी खत्म हो गई है। इसलिए 516 ग्राम पंचायतों के 188 तालाब ही भरे जा रहे है, जबकि शेष तालाबों में वर्षा और नालियों में बहने वाले पानी से भरते हैं। जो कई सालों से लबालब नहीं हुए हैं। पिछले तीन साल से जिले में सूखा के हालात पैदा हो रहे हैं। पिछली साल मानसून में सामान्य से 26 फीसद बरसात कम हुई थी। --मासिक वर्षा का आंकडा :

--जनवरी--4 एमएम,

फरवरी--6 एमएम,

मार्च--6 एमएम,

अप्रैल--2 एमएम,

मई--6 एमएम,

जून--71.54 एमएम, जुलाई--197.97 एमएम, अगस्त--201 एमएम, सितंबर--97.55 एमएम, अक्टूबर--11 एमएम,

नवंबर--5 एमएम,

दिसंबर--5 एमएम।

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