वादों का पिछला दावा अब करेगा वार
ग्राम पंचायत बंदी जल निकासी को नालियों का निर्माण न होने से जलभराव कीचड़ समस्याओं के समाधान का जो करेगा वाद उसी को दिया जाएगा सरकार बनाने का मौका
जागरण संवाददाता, मथुरा: जब भी गांव में चुनाव आते हैं तो मतदाताओं को दावेदार ग्राम पंचायत के विकास के सपने दिखाते हैं। ग्रामीण जिसके सिर सेहरा बांधते हैं, उससे बड़ी उम्मीदें भी रखते हैं। पिछले चुनावों में जो वादे उम्मीदवार और उनके समर्थकों ने आम मतदाता से किए थे, अब उन्हीं वादों को लेकर मतदाता वार करने को तैयार हैं।
विकास खंड बलदेव की ग्राम पंचायत बंदी में समस्याओं का निस्तारण नहीं हो सका। एक दर्जन से अधिक लोग दावेदारी कर रहे हैं। वोटरों ने चुप्पी साध ली है। ग्रामीणों ने बताया कि वह अभी दावेदारों को देख रहे हैं। वह एक-एक कर सभी से बात करेंगे। पंचायत की समस्याओं का जो समाधान करेगा। उसको गांव की सरकार बनाने का मौका देंगे।
रविवार को दैनिक जागरण की टीम विकास खंड बलदेव की ग्राम पंचायत बंदी पहुंची। राया-बलदेव मार्ग स्थित बंदी के प्रवेश द्वार ही माता रानी का मंदिर है। यहां मंदिर के बाहर आधा दर्जन से अधिक ग्रामीण मिले, जो आपस में बातचीत कर रहे थे। तभी टीम ने उनसे गांव में हो रही कीचड़ को लेकर चर्चा शुरू कर दी थी। फिर क्या था गांव के राजेंद्र सिंह और प्रेमपाल सिंह ने बताया कि सिर्फ कीचड़ ही नहीं पंचायत में समस्याओं का अंबार है। यहां समाधान कोई नहीं करता। चुनाव के समय में सभी लोग सिर्फ लंबे-चौड़े दावे करते हैं। तभी नरेंद्र सिंह, गजेंद्र सिंह ने कहा गांव की नालियों में कीचड़ भरी है। पानी की निकासी नहीं है। सफाई के लिए कभी कर्मचारी नहीं आया, जबकि गांव में गंदगी चारों तरफ देखने को मिलती है। प्रेमपाल शर्मा और मनोज ने कहा कि पूर्व में किसी ने कोई दावा किया हो, लेकिन अब तो दावेदारों को परखकर ही वोट देंगे। काम करने वाले को पंचायत सौंपेंगे। इसको लेकर ग्रामीण भी मन बना चुके हैं। गांव में माता रानी का मंदिर है। यहां दूर दराज से लोग आते हैं। वह लोग छवि कैसी लेकर लौटते होंगे। गांव में चलने के लिए खड़ंजा तक ठीक नहीं है। जगह-जगह से उखड़े पड़े हैं, जबकि अब तो दूसरी पंचायतों में सीमेंटेड गली हैं।
- एक नजर में
15 हजार है पंचायत की आबादी
4200 पंचायत में हैं वोटर।
1500 महिला वोटर हैं।
2700 पुरुष वोटर हैं।
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पंचायत में ये हैं समस्या
- पीने के लिए खारा पानी है।
- जगह-जगह गंदगी पड़ी हुई है।
- नालियों का निर्माण न होने से जल निकासी की नहीं कोई व्यवस्था।
- गोशाला का निर्माण न होने से बेसहारा पशु फसलों में पहुंचा रहे नुकसान।