पाबंद की कार्रवाई से मुक्त हुए पीएफआइ सदस्य

मांट पुलिस ने शांतिभंग के आरोप में किया था गिरफ्तार

By JagranEdited By: Publish:Wed, 16 Jun 2021 06:48 AM (IST) Updated:Wed, 16 Jun 2021 06:48 AM (IST)
पाबंद की कार्रवाई से मुक्त हुए पीएफआइ सदस्य
पाबंद की कार्रवाई से मुक्त हुए पीएफआइ सदस्य

जागरण संवाददाता, मथुरा: राष्ट्रदोह के आरोप में जिला जेल में बंद पापुलर फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआइ) और कैंपस फ्रंट आफ इंडिया (सीएफआइ) के चार सदस्यों के खिलाफ शांतिभंग में पाबंद की कार्रवाई खत्म कर दी गई है। मंगलवार को उप जिला मजिस्ट्रेट मांट रामदत्त की अदालत ने यह आदेश दिया। आरोपित अभी जेल में हैं। उनके खिलाफ राष्ट्रद्रोह का मुकदमा विचाराधीन है।

हाथरस कांड की आड़ में दंगा भड़काने के लिए जाने के आरोप में थाना मांट पुलिस ने पांच अक्टूबर, 2020 को यमुना एक्सप्रेस वे मांट टोल से पापुलर फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआइ) और कैंपस फ्रंट आफ इंडिया (सीएफआइ) के सदस्य अतीकुर्रहमान, सिद्दीकी कप्पन, मोहम्मद आलम और मसूद अहमद को गिरफ्तार किया था। चारों के खिलाफ पुलिस ने धारा 116 (3) की कार्रवाई की। इसके चारों के खिलाफ अन्य मामलों में मुकदमा दर्ज किया गया। अदालत ने एक-एक लाख रुपये निजी मुचलका भरने और इतने के ही एक-एक जमानतदार न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने के आदेश दिए। चारों में से कोई भी आरोपित निजी मुचलका और जमानतदार उप मजिस्ट्रेट मांट की अदालत में प्रस्तुत नहीं कर सका। आरोपितों के अधिवक्ता मधुवन दत्त चतुर्वेदी ने बताया, आरोपितों को छह महीने से अधिक का समय जेल में हो गया है। इसलिए उनसे शांतिभंग किए जाने का कोई खतरा नहीं है। इसको लेकर उन्होंने उप मजिस्ट्रेट मांट की अदालत में प्रार्थना पत्र दिया था। इसकी सुनवाई करते हुए अदालत ने पाबंद किए जाने की कार्रवाई को समाप्त किए जाने के आदेश दिए हैं। आइएमए 18 को मनाएगी विरोध दिवस

जासं, मथुरा: केंद्रीय कार्यकारिणी के आह्वान पर आइएमए ने 18 जून को विरोध दिवस मनाने का निर्णय लिया है। इस दिन सभी सदस्य काला मास्क, काला रिबन या काला बैज का प्रयोग करेंगे। सेव दा सेवियर्स, पेशे और पेशेवरों पर हिसा रोको के शीर्षक के साथ विरोध जताया जाएगा।

आइएमए अध्यक्ष डा. नगेंद्र गौड़, उपाध्यक्ष डा. गौरव भारद्वाज, सचिव डा. शिशिर अग्रवाल तथा इलेक्ट अध्यक्ष डा. संजय गुप्ता ने बताया कि हम पिछले दो सप्ताह में असम, बिहार, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, कर्नाटक आदि स्थानों पर डाक्टरों पर हो रही हिसा से दूखी है। कई डाक्टरों के फ्रेक्चर और गंभीर चोट आई हैं। महिला डाक्टरों को अधिक हिसक मौखिक और शारीरिक हमलों का सामना करना पड़ता है। अस्पताल को संरक्षित क्षेत्र घोषित किया जाए। हमले के दोषियों को फास्ट ट्रैक मोड के तहत दंडित किया जाए और कड़ी सजा दी जाए। 18 जून को अपनी एकजुटता दिखाने के लिए राष्ट्र विरोध दिवस का आह्वान सेव दा सेवियर्स के नारे के साथ पेशे और पेशेवरों पर हमले को रोकने के लिए किया जाएगा। ओपीडी यथावत चलती रहेंगी।

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