बाजार की चाल न भांप पाए किसान, घटाया आलू का रकबा

किर्री दो और गुल्ला बिक रहा तीन रुपये किलो पंजाब और हिमाचल के आलू की मांग

By JagranEdited By: Publish:Tue, 30 Nov 2021 06:20 AM (IST) Updated:Tue, 30 Nov 2021 06:20 AM (IST)
बाजार की चाल न भांप पाए किसान, घटाया आलू का रकबा
बाजार की चाल न भांप पाए किसान, घटाया आलू का रकबा

जागरण संवाददता, मथुरा: किसान इस बार आलू के बाजार की चाल को भांप नहीं पाए और व्यापारी भी गच्चा खा गए। किर्री (छोटा साइज) दो रुपये और गुल्ला (मध्यम साइज) तीन रुपये किलो बिक रहा है। किसानों ने भी इस बार पिछले साल से दो हजार हेक्टेयर रकबा में आलू की बोवाई कम की है। आठ-दस फीसद आलू अभी शीतगृहों में जमा है।

आलू का बाजार में पूरे साल उतार-चढ़ाव बना रहा। पिछले साल आलू के रेट चालीस रुपये किलो तक पहुंच गए थे। इसलिए किसानों से आलू के सौदे खेतों में ही कर लिए थे। किसानों ने भी आलू के भाव में तेजी आने की उम्मीद के साथ शीतगृहों से निकासी नहीं की। कोरोना काल में होटल-ढाबे बंद रहने और वैवाहिक कार्यक्रमों में व्यक्तियों की संख्या सीमित कर दिए जाने के साथ धार्मिक भंडारों का आयोजन भी नहीं हुआ। इसलिए आलू की खपत कम हुई। दीपावली से पहले लगातार बारिश और कई जिलों में बाढ़ की स्थिति पैदा हो जाने के कारण आलू की आवक मंडियों में कम हो गई। इसलिए दीपावली पर बाजार में आलू के भाव 1800 रुपये कुंतल तक पहुंच गए। मौसम साफ होने के साथ ही बाजार में आलू आया तो रेट कम हो गए, लेकिन किसान और व्यापारी भाव बढ़ने की उम्मीद लगाए बैठे रहे। दीपावली के बाद हिमाचल के ऊना से आलू की आमद मंडियों में हो गई, जबकि अब पंजाब का भी आलू बाजार में आने लगा। पुराने आलू की मांग गिर गई और नए आलू की मांग में बढ़ोतरी हो गई। इसका परिणाम यह रहा कि आलू के भाव बाजार में कम हो गए। आलू व्यापारी और आढ़ती मुकेश शर्मा ने बताया, किर्री 80 पैसे से लेकर एक रुपये किलो तक बिक रही है, जबकि गुल्ला दो रुपये किलो बिक रहा है। मोटे साइज का आलू की कीमत तीन से चार रुपये किलो तक है। पंजाब और हिमाचल का आलू मंडी में 15 रुपये किलो तक बिक रहा है। उनका कहना है, हरी सब्जियों के रेट भी कम हो गए हैं, इसलिए आलू कम ही है। महावन तहसील के गांव पचावर के आलू उत्पादक किसान ओमप्रकाश सिंह ने बताया, बाजार के भाव देखकर लग रहा है, इस बार फिर कोल्डस्टोरेज से आलू फेंकना पड़ेगा। उनका कहना था, 116 रुपये प्रति बोरा पचास किलो का भाड़ा है, जबकि किसान को बाजार में उसके रेट सौ रुपये बोरा के मिल रहे हैं। इसमें उसे कोल्डस्टोरेज से निकाल कर मंडी पहुंचाने तक मजदूर और किराया भी देना होगा। इस स्थिति में कि सान अपने आलू को कोल्डस्टोरेज में ही छोड़ देगा। सफाई के लिए कोल्डस्टोरेज खाली किए जा रहे हैं।

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