Bhagirath: गिरिराजजी का अभिषेक कराने को 37 साल से लगातार गंगा से जल भरकर ला रहे वृद्ध भगीरथ

गोवर्धन में गिरिराज जी का पवित्र जल से अभिषेक कराने का बीड़ा उठाया था पं. रामप्रकाश ने। लगातार 37 साल से यही कर रहे सेवा। अब 12 हजार लीटर क्षमता के टैंकर में भरकर लाते हैं गंगा और यमुना का पवित्र जल।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Fri, 25 Sep 2020 09:53 PM (IST) Updated:Fri, 25 Sep 2020 09:53 PM (IST)
Bhagirath: गिरिराजजी का अभिषेक कराने को 37 साल से लगातार गंगा से जल भरकर ला रहे वृद्ध भगीरथ
गंगा का जल, इसी से गोवर्धन में गिरिराज जी का अभिषेक किया जाता है। फाइल फोटो

मथुरा, रसिक शर्मा। गिरिराजजी का मंगलाभिषेक कराने के लिए प्रमुख तीर्थस्थलों से गंगा और यमुना का जल लाकर ब्रज मे 37 वर्षो से सेवा कर रहे हैं। करीब 77 वर्षीय पं. रामप्रकाश गांव इनायतपुर, तहसील फतेहाबाद, जिला आगरा के रहने वाले पं. भोगीराम शर्मा के पुत्र पं रामप्रकाश बचपन से ही भक्ति में डूब ब्रह्मचर्य धर्म धारण कर लिया था। करीब 37 वर्ष पहले रामप्रकाश गोवर्धन अपने आराध्य के दर्शन करने आए थे। यहां उन्हें स्वत: प्रेरणा हुई कि प्रभु का अभिषेक गंगा और यमुना जल से होना चाहिए। तभी से 20-20 लीटर की पांच टंकियों में इलाहाबाद में संगम से गंगाजल लाने की सेवा करने लगे। गंगाजल की बढ़ती मांग को देखते हुए वर्ष 2009 में बाबा ने भक्तों की सहायता से छह टायर वाले ट्रक और 12 हजार लीटर क्षमता का एक टैंकर खरीदा। इस समय तक इन्हें लोग 'गंगाजी वाले बाबा' कहने लगे हैं।

अपने आराध्य को गंगाजल से मंगलाभिषेक के लिए वह ब्रजभूमि के 'भगीरथ' बन गए। भक्ति के प्रवाह में ऐसे बहे कि ब्रजभूमि के तमाम मंदिरों में ठाकुर जी को मंगलाभिषेक कराने के लिए प्रमुख तीर्थस्थलों से गंगा और यमुना का जल लाकर ब्रज में 'संगम' की जलधार बहा दी।

करीब 37 वर्ष पहले रामप्रकाश गोवर्धन अपने आराध्य के दर्शन करने आए थे। यहां उन्हें स्वत: प्रेरणा हुई कि प्रभु का अभिषेक गंगा और यमुना जल से होना चाहिए। तभी से 20-20 लीटर की पांच टंकियों में इलाहाबाद में संगम से गंगाजल लाने की सेवा करने लगे। सेवायतों में गंगाजल की बढ़ती मांग को देखते हुए वर्ष 2009 में बाबा ने भक्तों की सहायता से छह टायर वाले ट्रक और 12 हजार लीटर क्षमता का एक टैंकर खरीदा। इस समय तक इन्हें लोग 'गंगाजी वाले बाबा' कहने लगे थे।

बाबा महीने में एक बार छह हजार लीटर गंगाजल और छह हजार लीटर यमुना जल लाकर ब्रज के तमाम मंदिरों को निश्शुल्क उपलब्ध कराते हैं। बरसाना में राधारानी, मथुरा के भूतेश्वर महादेव, गोकुल के कान्हा, महावन के चिंताहरण, बलदेव के दाऊजी महाराज पर गंगाजल वितरण करते हुए ये टैंकर गोवर्धन में दानघाटी पर जल उपलब्ध कराता है।

अभिषेक को यहां से आता है जल

उत्तराखंड में नीलकंठ के नीचे पशुलोक बैराज से गंगाजल लाया जाता है। कभी-कभी गंगा घाटी ऋषिकेश, प्रयागराज संगम, मंदाकिनी, गुप्त गोदावरी, नर्मदाघाट धुंआधार (जबलपुर) और करनाल से आगे जगाधारी आदि स्थलों से गंगा तथा यमुना जल लाते हैं।

ड्राइवर को भी पालन करता पड़ता है नियम

गंगा और यमुना जल लाने वाले ट्रक पर वही ड्राइवर रहता है, जो जनेऊ और कंठी धारण किए हो। उसके लिए धूमपान वर्जित है। आने-जाने के दौरान कहीं भी लघु शंका करने पर उसे स्नान करना पड़ता है।

ये करते हैं सहयोग

बाबा को इस सेवा के लिए करीब 20 साल पहले दानघाटी मंदिर प्रबंध कमेटी के तत्कालीन मंत्री गोविन्द प्रसाद पुरोहित ने गंगाजल वाहन के लिए प्रतिमाह 100 लीटर डीजल सेवा शुरू की। वर्तमान में मंदिर प्रबंधक डालचंद चौधरी ने गंगाजी के वाहन को 150 लीटर डीजल की स्वीकृति प्रदान कर दी है। शासन ने भी इस वाहन को सभी तरह के कर एवं अतिरिक्त कर से मुक्त कर रखा है।

इसलिए है गंगा का महत्व

मान्यता के अनुसार कान्हा के जन्म के बाद नंद बाबा और यशोदा ने सभी तीर्थो के दर्शन की इच्छा जाहिर की थी। कान्हा ब्रज से बाहर नहीं जा सकते थे, लिहाजा प्रभु ने ब्रज में ही सारे तीर्थ बुला लिए। बद्रीनाथ, केदारनाथ आदि तीर्थ आज भी ब्रज में हैं। गंगा जी की जरूरत महसूस होने पर कान्हा ने गोवर्धन में मन से गंगा जी को बुलाया जो आज 'मानसी गंगा' कही जाती हैं। 

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