अब ठाकुरजी के हाथ की वंशी हूं: गुप्तेश्वर पांडे
कान्हा के वृंदावन में दिखा पूर्व डीजीपी का आध्यात्मिक रूप पहली बार भागवत कथा सुनाने पहुंचे पांडे ने कहा राजनीति मेरे बस की बात नहीं
संवाद सहयोगी,वृंदावन(मथुरा): बिहार के डीजीपी रहे गुप्तेश्वर पांडे अब कथावाचक बन गए हैं। नौकरी से वीआरएस लेकर राजनीति में जाने की अटकलों को जन्म देने वाले पांडे ने अब धर्म और अध्यात्म की राह पकड़ ली है। रविवार को यहा भागवत कथा शुरु करने से पहले बोले, अब तो मैं ठाकुर जी के हाथ की वंशी हो गया हूं, वह जैसे बजाएंगे बजता रहूंगा।
वृंदावन के चैतन्य विहार स्थित पाराशर अध्यात्म ट्रस्ट में 25 से 31 जुलाई तक वह श्रद्धालुओं को भागवत कथा का रसपान कराएंगे। केंद्रीय राज्यमंत्री अश्वनी चौबे और उत्तर प्रदेश श्रम कल्याण परिषद के अध्यक्ष सुनील भराला ने व्यास पीठ का पूजन और दीप प्रज्जवलन कर कथा की शुरुआत की। पांडे ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा कि एक समय ऐसा आता है जब आप जीवन के उद्देश्य और ईश्वर को जानना चाहते हैं। औपचारिक रूप से आज पहली कथा है, इससे पूर्व अयोध्या में अभ्यास सत्र के कुछ वीडियो क्लिप वायरल हो गए थे।
राजनीति में जाने के सवाल पर बोले, राजनीति में तो मेरा प्रवेश ही नहीं हुआ। राजनीति सबके बस की बात नहीं है। राजनीति में धीरज, संयम, त्याग, तपस्या, सहनशक्ति और प्रतीक्षा की जरूरत है, लेकिन ये सब मेरे अंदर नहीं था। अब ठाकुरजी का गुणगान करेंगे। बोले, जीवन का अंतिम लक्ष्य सनातन धर्म के अनुसार खुद को जानना, आत्मबोध ही है। भागवत के प्रति लगाव कथावाचक डा. श्यामसुंदर पाराशर की कथा सुनने के बाद बढ़ा। भागवत पढ़ी, तो उसमें रस आने लगा और जीवन भागवतमय हो गया। पूर्व आइजी पंडा के सखी रूप रखने और फिर अचानक गायब होने के सवाल पर उन्होंने कहा, आपकी चेतना का जो स्तर है, उसी स्तर से आप दूसरे को परख सकते हैं। जो विनोदी चेतना के लोग हैं, वे अपने को नहीं जान सकते, दूसरे को क्या जानेंगे।