हाल न पूछो मोहन का सब कुछ राधे-राधे है

मोरारी बापू के कथा स्थल पर मुशायरे में कलाम और कविताओं का संगम, श्रोता बनकर बैठे मोरारी बापू भी बोल उठे वाह-वाह, खूब बजीं तालियां

By JagranEdited By: Publish:Sat, 17 Nov 2018 12:01 AM (IST) Updated:Sat, 17 Nov 2018 12:01 AM (IST)
हाल न पूछो मोहन का सब कुछ राधे-राधे है
हाल न पूछो मोहन का सब कुछ राधे-राधे है

मथुरा, जासं: बंसी सब सुर त्यागे हैं, एक ही सुर में बाजे हैं। हाल न पूछो मोहन का, सबकुछ राधे-राधे है। मोरारी बाबू की यमुना किनारे हो रही रामकथा के पंडाल में शुक्रवार शाम मुशायरा हुआ। इसमें शायरों के कलाम सुन सभी झूम उठे।

गोर गिरधर मोरारी उद्यान में कवियों और शायरों ने खूब समां बांधा। पंडाल वाह-वाह और क्या बात है, से गूंजता रहा। खुद मोरारी बापू श्रोताओं के साथ बैठकर मुशायरा सुन रहे थे। इस दौरान कवि और शायरों की कमान से एक के बाद एक तीर छूटते गए। जुबैर अली ने कहा कि मैं क्या बताऊं, वो कितना करीब है मेरे, मेरा ख्याल भी उसे सुनाई देता है, वो जिसने आंखें अता की हैं देखने के लिए, उसे छोड़कर सब दिखाई देता है। इसके बाद बंसी सब सुर त्यागे हैं.. शायरी पर तो पंडाल कान्हा के जयकारों से गूंज उठा। इसके बाद एक और शेर अर्ज करते हुए कहा कि तुम्हारा सिर्फ हवाओं पर शक गया होगा, चिराग खुद भी तो जल-जल के थक गया होगा।

वहीं, राज कौशिक ने गुदगुदाते हुए कहा कि हाल न पूछो मथुरा का सब कुछ बाबू-बाबू है, तुम्हारा इश्क भी हमको नजारे क्या दिखाता है, कहीं मथुरा लिखा होता है तो महुआ नजर आता है। डॉ. सीता सागर ने महिला सशक्तिकरण पर कविताएं सुनाकर तालियां बटोरी।

इसके बाद आए आलोक श्रीवास्तव ने कहा कि आंखें राधा हो गईं मन यमुना की धार, बापू कुछ ऐसे मिले मथुरा में इस बार। इसके बाद उन्होंने कहा कि मुद्दतों खुद की कुछ खबर न लगे, कोई अच्छा भी इस कदर न लगे, बस तुझे उस नजर से देखा है, जिस नजर से तुझे नजर न लगे। इन पंक्तियों पर तालियां की गड़गड़ाहट से पंडाल गूंजता रहा।

इन्होंने भी सुनाई शायरी: फहमी बदायूंनी, शकील जमाली, विजेंद्र ¨सह परवाज।

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