बदल रही वृंदावन की हवा, हाईटेक हो रहे आश्रम
कोरोना काल में आनलाइन प्रवचन की नई परंपरा नई तकनीक अपनाने को तैयार हैं संत और आश्रम
संवाद सहयोगी, वृंदावन: धर्म नगरी की हवा बदल रही है। कोरोना काल ने उसे तकनीक के साथ कदमताल करना सिखा दिया है। संक्रमण ने भक्तों के कदम थामे तो प्रवचन गुरु तकनीक पर सवार हो घर तक पहुंच गए। टीवी तो वे पहले से ही मौजूद थे, अब इंटरनेट मीडिया पर भी खूब मौजूद है। इसका फायदा यह हुआ है कि गुरु पूर्णिमा पर लगी रोक के बीच वे आश्रम में भीड़ जुटाने के बजाए आनलाइन ही भक्तों को आशीर्वाद देने को तैयार हैं।
धर्म नगरी वृंदावन की भक्ति परंपरा हरित्रयी से प्रभावित रही है। हित हरिवंश, हरीराम व्यास और हरिदास ने लता, पताओं के बीच बैठकर भजन को ही सबसे बड़ी भक्ति कहा। वृंदावन के पुरातन स्वरूप को बचाए रखने की वकालत की। ब्रज रज में उनकी दिव्य वाणियां गूंजती रहीं। रूप सनातन, जीव गोस्वामी जैसे साधकों ने भक्ति के श्रेष्ठ ग्रंथों की रचना की। लंबे समय तक इस परंपरा का निर्वहन होता रहा। रमणरेती स्थित टटिया आश्रम जैसे वृंदावन के कुछ आश्रम में इसका पालन आज भी हो रहा है। मगर, आधुनिक संतों ने बहुत कुछ बदल दिया है। नए आश्रम अधिक आधुनिक हुए हैं। नई तकनीक को अपनाने में इन्होंने परहेज नहीं किया। वृंदावन के कई कथावाचक टीवी के माध्यम से पहले ही दूर देश तक पहुंच चुके हैं।
कोरोना संक्रमण काल में एक नया बदलाव आया है। आधुनिक शैली अपना चुके संत अब इंटरनेट मीडिया के प्लेटफार्म का भी जमकर प्रयोग कर रहे हैं। दरअसल, संक्रमण काल में भक्तों का आना कम हुआ तो प्रवचनकर्ता संतों ने इंटरनेट के माध्यम से प्रवचन शुरू किए। साध्वी ऋतंभरा, महामंडलेश्वर स्वामी ज्ञानानंद, मलूक पीठाधीश्वर स्वामी राजेंद्र दास के साथ कथावाचक देवकीनंदन महाराज, आचार्य मृदुलकांत शास्त्री,, मृदुल कृष्ण गोस्वामी, आचार्य गौरव कृष्ण गोस्वामी, कािर्ष्ण नागेंद्र महाराज के भक्त और अनुयायी विदेशों तक में हैं। इन सभी तक एक साथ पहुंच बनाने के लिए इंटरनेट मीडिया सहायक बना हुआ है।
- संकट के समय आध्यात्म के सहारे ऊर्जा देने का मामला हो अथवा कोई बड़ा पर्व हो। अनुयायियों और श्रद्धालुओं से आनलाइन जुड़कर प्रेरणा देने का सिलसिला वात्सल्य ग्राम में चलता रहता है।
-डा. उमाशंकर राही, प्रवक्ता, वात्सल्य ग्राम वृंदावन - देश-विदेश के श्रद्धालुओं और अनुयायियों के लिए आनलाइन व्यवस्था हमेशा ही जारी रहती है। कोविड काल में हुए अनुष्ठानों में करीब 125 देशों के श्रद्धालु जुड़े।
-आचार्य मृदुलकांत शास्त्री, भागवत प्रवक्ता। - कोरोनाकाल में प्रवचन और अनुष्ठान आनलाइन जारी रहे। गुरुपूर्णिमा पर भी अनुयायियों से आनलाइन पूजन का आह्वान किया गया है। हालांकि जो भक्त आश्रम पहुंचेगा, वह सीधे रूप से पूजन करेगा।
-जगदीश वर्मा, प्रवक्ता: देवकीनंदन महाराज कथावाचक। - यू-ट्यूब चैनल पर प्रवचनों का दौर जारी रहता है। गुरुपूर्णिमा पर भक्तों से घर में ही पूजन करने तथा गुरुदक्षिणा के रूप में आसपास के गरीबों को भोजन कराने का आह्वान किया है।
-वैष्णवाचार्य अभिषेक गोस्वामी, सेवायत राधारमण मंदिर।