गंगा दशहरा पर पतित पावनी यमुना में शुद्ध जल नहीं

कल मनेगा त्योहार गंदे पानी में करनी होगी श्रद्धालुओं को पूजा

By JagranEdited By: Publish:Sat, 19 Jun 2021 06:38 AM (IST) Updated:Sat, 19 Jun 2021 06:38 AM (IST)
गंगा दशहरा पर पतित पावनी यमुना में शुद्ध जल नहीं
गंगा दशहरा पर पतित पावनी यमुना में शुद्ध जल नहीं

संवाद सहयोगी, वृंदावन: दस साल पहले ब्रज से शुरू हुए यमुना शुद्धिकरण आंदोलन की गूंज देश की संसद तक पहुंची थी। वृंदावन से शुरू हुई यमुना भक्तों की पदयात्रा दिल्ली की सरहद पर पहुंची तो केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों ने यमुना शुद्धिकरण का आश्वासन देकर आंदोलन को स्थगित करवा दिया। लेकिन इससे बड़ी विडंबना क्या होगी, ब्रजवासियों के लिए आस्था का केंद्र यमुना आज भी सिसक रही हैं। रविवार को गंगा दशहरा है, लेकिन शुद्ध जल नहीं मिल सका। गंदे जल के बीच ही श्रद्धालुओं को पूजन करना होगा।

आंदोलन चाहे जितने हुए हों, लेकिन कालिदी की कालिख अब तक मिट नहीं पाई है। यमुना शुद्धीकरण की बात दूर अब तक यमुना में गिर रहे नाले भी बंद नहीं हो सके हैं। शहर के नालों के अलावा सबसे अधिक प्रदूषण कोसी नाले से हो रहा है। रविवार को गंगा दशहरा पर हजारों श्रद्धालु यमुना स्नान और पूजन के लिए पहुंचेंगे तो उनका हृदय एक बार फिर कचोटेगा। यमुना में शहर के नालों को अब तक टेप नहीं किया जा सका है। पिछले दिनों वृंदावन आए प्रदेश के जलशक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ने भी इस बात को स्वीकारते हुए कहा, जबतक एसटीपी तैयार नहीं हो जाती, यमुना में नालों का गिरना बंद नहीं हो सकता। साढ़े चार वर्ष में एक भी एसटीपी का निर्माण नहीं हो सका। ये हाल तब है जब मुख्यमंत्री से लेकर स्थानीय विधायक और ऊर्जामंत्री भी समय-समय पर यमुना शुद्धिकरण का वादा यमुना भक्तों व ब्रजवासियों से करते रहे हैं। शुक्रवार को भी यमुना घाटों पर गंदगी थी। काला पानी भावनाओं को आहत करता रहा। गंगा दशहरा पर ब्रज की गंगा के प्रदूषित जल में स्नान करेंगे श्रद्धालु

संवाद सूत्र, गोवर्धन : ब्रजभूमि की गंगा की लहरें तो मचलेंगी, लेकिन गंगा दशहरा पर श्रद्धालु प्रदूषित जल में ही स्नान और आचमन करेंगे। ब्रजभूमि की गंगा यानी मानसी गंगा का जल प्रदूषित है। मोक्षदायिनी भागीरथी गंगा को भगवान श्रीकृष्ण ने यहां मन से उत्पन्न किया, जिससे गंगा को यहां मानसीगंगा के नाम से जाना जाता है। किनारे पर बना गिरिराजजी का मुकुट मुखारविद मंदिर, मानसीगंगा की लहरों में मुस्कुराता मंदिर की रोशनी का प्रतिबिब, बरबस ही श्रद्धालुओं का ध्यान आकर्षित करता है। 20 जून रविवार को गंगा दशहरा पर तमाम श्रद्धालु स्नान आचमन के उपरांत दान करने आएंगे।

श्रद्धालु गिरिराजजी की परिक्रमा लगाने के बाद मानसी गंगा में डुबकी नहीं लगा पा रहे हैं। कारण संरक्षित झील मानसी गंगा का जल प्रदूषित हो गया है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इसके जल में स्नान से बीमारियां फैलने की आशंका जताई है। यह हाल तब है जबकि उच्च न्यायालय के निर्देश पर इसे केंद्रीय झील संरक्षण योजना में शामिल कर जल निगम ने कार्य कराए। सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण, स्वच्छ जल भरने के लिए राधा कुंड में तीन नलकूपों का निर्माण, जल को साफ रखने के लिए घाट पर एरिएशन प्लांट लगाया। घाटों का निर्माण कराया। गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए जागरूकता अभियान भी योजना में शामिल था, लेकिन 23 करोड़ की योजना मानसी गंगा की सूरत नहीं बदल सकी। जल निगम ने काम अधूरे छोड़ दिए। नतीजा, घाट और बुर्ज टूटने लगे हैं। बुर्जों को खूबसूरती प्रदान करती पत्थर की जालियां गायब हो गईं। बारिश के जल को स्वच्छ करने के लिए लगे फिल्टर का अस्तित्व मिट गया।

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