दूसरे राज्यों में प्रतिबंध, मंडी में बे-भाव हुई सब्जी

दूसरे राज्यों में नहीं जा पा रहे हैं सब्जी के वाहनऔने-पौने दाम पर सब्जी बेच रहे उत्पादक

By JagranEdited By: Publish:Tue, 18 May 2021 06:28 AM (IST) Updated:Tue, 18 May 2021 06:28 AM (IST)
दूसरे राज्यों में प्रतिबंध, मंडी में बे-भाव हुई सब्जी
दूसरे राज्यों में प्रतिबंध, मंडी में बे-भाव हुई सब्जी

जागरण संवाददाता, मथुरा : सूबे के अन्य जिलों के साथ ही दूसरे प्रातों की सीमाओं पर पुलिस का कड़ा पहरा है। ऐसे में सब्जी उत्पादकों के सामने संकट आ गया है। सब्जी दूसरे प्रांतों में न जा पाने के कारण स्थानीय स्तर की मंडी में सब्जी ज्यादा आ रही है। ऐसे में यहां भाव नहीं मिल पा रहा है। औने-पौने दामों पर सब्जी बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। ऐसे में लागत भी नहीं निकल पा रही है।

पिछले साल इन दिनों टमाटर 25 से 30 रुपये किलोग्राम तक मंडियों के बिका था, आज टमाटर की मंडियों में सात-आठ रुपये किलो थोक मंडी में बिक रहा है। फुटकर में दस रुपये किलो के भाव हैं। 30-35 रुपये किलो तक पिछले साल कोरोना काल में में बिकी हरी मिर्च दस रुपये किलो में बिक रही है और उसके बाद भी खरीदार मंडियों में नहीं मिल पा रहे हैं। पांच रुपये किलो पत्ता गोभी और 12 रुपये किलो फूल गोभी थोक में बिक रही है, जबकि पिछले साल गोभी 20 रुपये किलो तक थोक में बिकी थी। चुकंदर पिछले साल कोरोना काल में आढ़तियों ने दिल्ली की मंडियों में भेजी थी, लेकिन इस बार वह नहीं भेज पा रहे हैं। इसलिए चुकंदर के भाव के मंडी में दस रुपये किलो तक के रह गए हैं। आढ़ती चौधरी आनंद स्वरूप ने बताया, राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली और मध्यप्रदेश में उत्तर प्रदेश की गाड़ियों को प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा है। कई बार किसानों की सब्जियों से भरी गाड़ी बार्डर से वापस कर दी गई हैं। स्थिति यह है कि सब्जियां बाहर नहीं जा पा रही हैं। स्थानीय स्तर पर होटल, ढाबे, रेस्टोरेंट और वैवाहिक कार्यक्रम बंद हैं। ऐसे में सब्जियों के ग्राहक नहीं मिल पा रही है। फल एवं सब्जी मंडी में सब्जियां बेचने के लिए आए गांव बाबूगढ़ के किसान हरी किशन, कोटा छरौरा के किसान जगदीश और मनोहरपुर गांव के किसान रामजीत ने बताया, भाव कम मिलने से सब्जियों की पैदावार करने में खर्च हो रही लागत नहीं निकल पा रही है। पहले वह अपनी सब्जियों को दूसरे प्रांतों की मंडियों में बेच आते थे, लेकिन इस बार वह अपनी सब्जियों के दूसरे प्रांतों की मंडियों के बाहर नहीं ले जा पा रहे हैं। मजबूरी में उनको यहां की मंडियों में सब्जियां जो भाव मिल रहा है, उसी पर बेचनी पड़ रही है।

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