शौचालयों में जड़े ताले, खुले में शौच
कान्हा की नगरी में हजारों श्रद्धालु रोज आते हैं। गली-मुहल्लों से लेकर मंदिर मठ और आश्रम तक इन लोगों द्वारा कचरा फैलाया जाता है। अगर निगम कचरा प्रबंधन को बेहतर तरीके से कर ले तो मथुरा भी इंदौर की तरह स्वच्छता का सिरमौर बन सकता है। नगर निगम 56वें पायदान से लुढ़क कर
जागरण संवाददाता, मथुरा : कान्हा की नगरी में हजारों श्रद्धालु रोज आते हैं। गली-मुहल्लों से लेकर मंदिर, मठ और आश्रम तक इन लोगों द्वारा कचरा फैलाया जाता है। अगर निगम कचरा प्रबंधन को बेहतर तरीके से कर ले तो मथुरा भी इंदौर की तरह स्वच्छता का सिरमौर बन सकता है। नगर निगम 56वें पायदान से लुढ़क कर 83वें स्थान पर पहुंच गया है। सफाई व्यवस्था भी इच्छा शक्ति के अभाव में दम तोड़ गई, तो शौचालय भी बदहाल हैं। सार्वजनिक शौचालयों पर ताला जड़ा है। ऐसे में लोग खुले में शौच के लिए जाने को मजबूर हैं। ये हाल तब है, जब नगर निगम क्षेत्र को दो अक्टूबर 2018 को ही ओडीएफ घोषित किया जा चुका है।
स्वच्छ भारत अभियान के तहत शहर में सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण कराया गया, लेकिन ये व्यवस्था लापरवाही की भेंट चढ़ गई। 41 स्थानों पर सार्वजनिक शौचालय नगर निगम ने बनवाए थे। इनके संचालन का ठेका प्राइवेट संस्था इशानु को दिया गया। संस्था इनका संचालन नहीं कर पा रही है। जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित की गई। कमेटी ने कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने की संस्तुति की है। हालत ये है कि हैं कि शहर के महाविद्या कालोनी का चौराहा, थाना गोविदनगर के समीप, नया बस स्टैंड के सामने, बंगाली घाट, कलक्ट्रेट, राधिका विहार, कंपू घाट के पास स्थित शौचालयों पर ताला लटक रहा है। इस कारण बाहर से आने वाले तीर्थयात्रियों या स्थानीय लोगों को खुले में शौच को जाना पड़ रहा है।
- यमुना में गिरता है इतना गंदा पानी :
मथुरा में 58 और वृंदावन में 58 एमएलडी सीवर और नालों का पानी रोजाना निकलता है। अब इसके शोधन की क्षमता है। हालांकि नगर निगम क्षेत्र के 35 फीसद एरिया में ही सीवर लाइन डाली गई, जबकि शेष शहरी हिस्सा में सीवर लाइन नहीं है। सीवेज एंड ड्रेनेज का कार्य विस्तारित क्षेत्र में अभी तक शुरू नहीं हो सका है।
- योगेश शर्मा, परियोजना प्रबंधक - सीवेज एंड ड्रेनेज इकाई नगरीय बाक्स
कूड़े के उठान में मुश्किल
नगर निगम क्षेत्र में रोज करीब 400 मीट्रिक टन कूड़ा उठता है। इसके लिए शहर के 70 में से 50 वार्डो में वाहन लगाए गए हैं। जो घर-घर पहुंचकर कूड़ा उठाते हैं, लेकिन गली-मुहल्लों के बाहर एकत्रित होने वाले कूड़े के उठान का कोई समय निर्धारित नहीं है। कर्मचारी कालोनी की साफ-सफाई कर कूड़े को एक कोने में एकत्रित कर देते हैं, जो कई-कई दिनों तक पड़ा रहता है। खाली पड़े प्लाटों को भी कर्मचारियों द्वारा कूड़ाघर बना दिया गया है। कुछ स्थानों पर कूड़ा कलेक्शन प्वाइंट पर डस्टबिन भी रखे गए हैं, जो आधे-अधूरे कूड़े से भर जाते हैं। बाकी कूड़ा डस्टबिन के बाहर फैलता रहता है।
जलभराव भी बना बड़ी समस्या
मथुरा: शहर में जलभराव भी बड़ी समस्या बन गया है। शहर के दो दर्जन से अधिक इलाके के लोगों को जलभराव से जूझना पड़ रहा है। बारिश में ये इलाके टापू में तब्दील हो जाते हैं। शहर के मधुवन एन्क्लेव, भूतेश्वर तिराहा, नया बस अड्डा, बलदेवपुरी, लाजपत नगर, तैयापुर, विर्जापुर गिरधरपुर, लोहवन, औरंगाबाद, पाली खेड़ा, लक्ष्मी नगर जमुनापार, ईशापुर रेलवे फाटक, नवादा, राधेश्याम कालोनी, द्वारका एन्क्लेव, श्रीजी मंदिर के सामने, राजपुर, तराश, मंदिर, नटवर नगर, पत्थर पुरा, लक्ष्मी नगर, ओमनगर, बालाजीपुरम, तंतुरा, कोयला अलीपुर, मथुरा दरवाजा, कैमरावन में जलभराव से लोग जूझ रहे हैं।
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- स्वच्छता के प्रहरी:
मैं सुबह साढ़े पांच से सात बजे और शाम को सात से आठ बजे तक नियमित लोगों को खुले में शौच से रोकता हूं। कई साल से लगातार यही काम करता आ रहा हूं। लोगों को समझाने का कार्य करता हूं। खुले में शौच से फैलने वाली बीमारियों की जानकारी दे रहा हूं। खुले में शौच करने से उस पर मक्खी बैठती हैं, जो वहां से आकर हमारे खान पान की सामग्री पर बैठकर गंदगी छोड़ती हैं। उसी खाद्य सामग्री को हम खाते हैं। इससे शरीर के अंदर कई तरह की बीमारी फैलती हैं। सरकार की तरफ से मुझे एक टार्च और डंडा भी दिया गया।
- किशन लाल नेताजी, मुकंदपुर - नगर निगम मथुरा वृंदावन।
----------- वर्जन
शौचालय जहां बंद हैं, उनके लिए री टेंडरिग की व्यवस्था की जा रही है। जल्द ही री टेडरिग कराकर उन्हें चालू कराया जाएगा। सफाई व्यवस्था को लेकर कर्मचारियों को सख्त निर्देश दिए गए हैं।
अनुनय झा, नगर आयुक्त। बाक्स
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