दिगंबर अनी अखाड़े में संत बालकाचार्य को दी द्वाराचार्य की उपाधि

निर्मोही अनी अखाड़े में आनंदधाम भैयाजी महाराज को दी महामंडलेश्वर की उपाधि

By JagranEdited By: Publish:Fri, 12 Mar 2021 06:31 AM (IST) Updated:Fri, 12 Mar 2021 06:31 AM (IST)
दिगंबर अनी अखाड़े में संत बालकाचार्य 
को दी द्वाराचार्य की उपाधि
दिगंबर अनी अखाड़े में संत बालकाचार्य को दी द्वाराचार्य की उपाधि

संवाद सहयोगी, वृंदावन: कुंभ पूर्व वैष्णव बैठक क्षेत्र में सुबह द्वाराचार्य और महामंडलेश्वर की उपाधि समारोह शुरू हुआ। श्रीपंच दिगंबर अनी अखाड़ा में संत बालकाचार्य को बेनामी द्वाराचार्य की उपाधि दी गई। श्रीपंच निर्मोही अनी अखाड़ा में भैयाजी महाराज को महामंडलेश्वर की उपाधि दी गई चतु:संप्रदाय व तीनों अनी अखाड़ा के श्रीमहंतों ने पट्टाभिषेक किया।

कुंभ पूर्व वैष्णव बैठक के श्रीपंच दिगंबर अनी अखाड़ा में चतु:संप्रदाय के श्रीमहंत फूलडोल बिहारीदास, श्रीपंच दिगंबर अखाड़ा के श्रीमहंत कृष्णदास, श्रीपंच निर्मोही अनी अखाड़ा के श्रीमहंत राजेंद्रदास, श्रीपंच निर्वाणी अखाड़ा के श्रीमहंत धर्मदास समेत 18 अखाड़ों के महंतों की मौजूदगी में वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच संत बालाकाचार्य को बेनामी द्वाराचार्य की उपाधि दी गई। श्रीमहंतों ने द्वाराचार्य बने संत बालकाचार्य को चादर ओढ़ाई। इससे पूर्व हनुमान स्वरूप पारंपरिक निशानों का पूजन व वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच द्वाराचार्य का पट्टाभिषेक हुआ। तपोवन के महंत गंगादास ने बताया बेनामी द्वाराचार्य का पद देकर श्रीमहंतों ने वृंदावन के कुंभ पूर्व वैष्णव बैठक में एक इतिहास बना दिया। महंत ओंकारदास, महंत राघवदास समेत अनेक संत-महंत मौजूद रहे। इसी तरह श्रीपंच निर्मोही अनी अखाड़ा में आनंदधाम भैयाजी आश्रम के संत भैयाजी महाराज को तीनों अनी अखाड़ा व चतु:संप्रदाय के श्रीमहंतों ने महामंडलेश्वर की उपाधि देते हुए चादर ओढ़ाई। महामंडलेश्वर बने भैयाजी महाराज ने कहा, संतों के सान्निध्य में सनातन धर्म की सेवा करके खालसा को ऊंचाइयों तक पहुंचाना अब उनकी जिम्मेदारी है। 121 श्रद्धालुओं ने सामूहिक रूप से किया रुद्राभिषेक

वृंदावन: कुंभ पूर्व वैष्णव बैठक क्षेत्र में बसे नरोत्तम नगर में महाशिवरात्रि पर्व पर 121 श्रद्धालुओं ने सामूहिक रूप से 25 फीट ऊंचे शिवलिग पर जलाभिषेक किया।

कुंभ पूर्व वैष्णव बैठक के नरोत्तम नगर में आचार्य विष्णुकांत शास्त्री ने श्रद्धालुओं से दूध, दही, शहद, अक्षत, रोली, चंदन से भोलेनाथ का अभिषेक कराया। शास्त्री ने बताया, शिवरात्रि के दिन भगवान शंकर का जो भक्त रुद्राभिषेक करता है, उसे वर्ष भर के महाशिवरात्रि के व्रत का फल मिलता है। शिवरात्रि पर भगवान शंकर ने अपने रूप का प्राकट्य धरा पर किया था। राजेश अग्रवाल, अखिल, आकाश, संजीव बंसल, नरेंद्र गयावाले, विपिन अग्रवाल, प्रवीन सर्राफ, शरद सर्राफ, कैलाश पाठक, मोहन सोनी, छैल बिहारी, हीरे तिवारी, राम लखन शास्त्री, का‌िर्ष्ण नागेंद्र महाराज, आचार्य मृदुलकांत शास्त्री, विष्णु स्वामी, दीप नारायण शास्त्री, संजय नागर, संजीव बाजपेई, गोविद मिश्र, विनीत द्विवेदी, हरिदास, नरेश, प्रदीप पंडित समेत अनेक लोग मौजूद रहे।

chat bot
आपका साथी