जीएलए और वोल्ट्रांस एनर्जी के मध्य एमओयू साइन
इस समझौते के तहत विभाग के शिक्षक छात्र-छात्राओं को औद्योगिक शिक्षण रोजगारपरक जानकारी अक्षय ऊर्जा संसाधनों के बारे में जानकारी मिल सकेगी
संवाद सहयोगी, मथुरा: जीएलए विवि के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिग विभाग ने वोल्ट्रांस एनर्जी के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) साइन किया। इस समझौते के तहत विभाग के शिक्षक, छात्र-छात्राओं को औद्योगिक शिक्षण, रोजगारपरक जानकारी, अक्षय ऊर्जा संसाधनों के बारे में जानकारी मिल सकेगी।
वोल्ट्रांस एनर्जी कंपनी सौर ऊर्जा समाधान, परियोजना प्रबंधन परामर्श सेवाएं प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। वोल्ट्रांस के मैनेजिग डायरेक्टर आशुतोष शर्मा, एचआर आकाश मौर्या, जीएलए विवि के कुलसचिव अशोक कुमार सिंह ने हस्ताक्षर करते हुए कहा कि इस एमओयू से विवि के छात्रों को रोजगारपरक बनने में लाभ मिलेगा। वोल्ट्रांस के मैनेजिग डायरेक्टर आशुतोष शर्मा ने बताया कि हम सभी को सूर्य की असीमित शक्ति का उपयोग कर उचित दरों पर बिजली की निर्बाध आपूर्ति को प्रतिबद्धता निभानी होगी। कुलपति प्रो. फाल्गुनी गुप्ता, विभाग प्रभारी डा. संजय मौर्या, मुकेश, प्रशांत प्रकाश, विकास कुमार, डा. अनुराग प्रियदर्शी मौजूद रहे। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग भारत सरकार के संयोजन में जीएलए विश्वविद्यालय में स्थापित न्यूजेन आइईडीसी एडवाइजरी बोर्ड की आनलाइन बैठक हुई। जीएलए के डीन एकेडमिक प्रोफेसर अनूप कुमार गुप्ता ने बोर्ड के सदस्य डा. नवीन वशिष्ठ, उद्यमिता विकास संस्थान अहमदाबाद के एसबी सरीन, केआइईटी टीबीआइ के जनरल मैनेजर सत्येंद्र कुमार, उद्यमी विशाल वासुदेव, पीयूष अग्रवाल का परिचय कराया।
संस्कृति विवि के छात्रों ने जानीं फाउंड्री में उत्पादन की बारीकियां
मथुरा : संस्कृति विश्वविद्यालय के मैकेनिकल इंजीनियरिग के विद्यार्थियों ने एमएसएमई-पीपीडीसी की फाउंड्री डिवीजन आगरा का शैक्षिक भ्रमण किया।
विद्यार्थियों के साथ गए संकाय सदस्यों और फाउंड्री के इंजीनियरों ने
विद्यार्थियों को बताया कि फाउंड्री में नई-नई मशीनों के आने के बाद कितना
परिवर्तन आ चुका है। अब किसी भी जटिल डिजाइन की कास्टिग सहज हो गई है। नए-नए पैटर्न पर काम करना आसान हो गया है।
भ्रमण के दौरान छात्र-छात्राओं को बताया गया कि फाउंड्री में बुनियादी तौर पर कैसे काम किया जाता है। किस तरह से स्वचालित मशीनों से बेहतर काम लिया जा सकता है। संकाय सदस्यों ने बताया कि जो आप किताबों और नेट पर उपलब्ध वीडियो और फोटो के माध्यम से देखते हैं, वे यहां साक्षात रूप से देखने को मिल रही है। पैटर्न मेकिग से लेकर कास्टिग तक की संपूर्ण प्रक्रिया यहां जीवंत देखने को मिल जाती है। उन्हें बताया गया कि जटिल उत्पादों की कैसे डिजाइन तैयार होती है, कैसे कास्टिग होती है, मशीनें कैसे काम करती हैं, पैटर्न मेकिग में क्या सावधानियां बरती जाती हैं। विद्यार्थियों के इस दल में संस्कृति स्कूल आफ इंजीनियरिग के मैकेनिकल विभाग के छात्रों में मोनू पोद्दार, थोकचोम अविनाश, महेंद्र प्रताप,
नितिन शुक्ला, एंड्रीस, अंकित, दिव्यम, प्रमोद, जतिन, विष्णु, इकबाल थे। संकाय दल में धर्मेंद्र सिंह, सुश्री शिखा पाराशर और शिवराम अग्रवाल शामिल थे।