निजी अस्पतालों में आवंटित आक्सीजन का होगा आडिट

आक्सीजन खपत में गड़बड़ी रोकने को ऊर्जा मंत्री ने दिया आदेशजिला अस्पताल का निरीक्षण किया मरीजों से पूछा हालचाल

By JagranEdited By: Publish:Thu, 06 May 2021 06:47 AM (IST) Updated:Thu, 06 May 2021 06:47 AM (IST)
निजी अस्पतालों में आवंटित 
आक्सीजन का होगा आडिट
निजी अस्पतालों में आवंटित आक्सीजन का होगा आडिट

जागरण संवाददाता, मथुरा: ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने बुधवार को अधिकारियों से कहा कि निजी अस्पतालों को जो आक्सीजन आवंटित की जा रही है, उसकी खपत का भी आडिट करें। आक्सीजन आवंटन में गड़बड़ी की शिकायतें मिल रही हैं, इस पर अंकुश जरूरी है। उन्होंने जिला अस्पताल में भर्ती सामान्य मरीजों का भी हालचाल जाना।

बुधवार सुबह जिला अस्पताल का निरीक्षण करने पहुंचे ऊर्जा मंत्री ने चिकित्सकों से कहा कि कोविड के अतिरिक्त मरीजों का इलाज किसी भी सूरत में रुकना नहीं चाहिए। यदि मरीज कोविड संदिग्ध है, तो उसकी तत्काल एंटीजन जांच कराई जाए, जांच निगेटिव आने पर वार्ड में भर्ती कर उपचार किया जाए। स्वास्थ्य अधिकारियों पर इसकी जवाबदेही तय की। उन्होंने वार्ड में भर्ती मरीजों से इलाज के बारे में पूछताछ की।

यहां डीएम नवनीत चहल से ऊर्जा मंत्री ने कहा कि कोविड कमांड सेंटर से जो मरीज भेजे जा रहे हैं, उनकी भी निगरानी करने की जरूरत है कि वह अस्पताल में भर्ती किए जा रहे हैं या नहीं। यदि नहीं किए जा रहे हैं, तो संबंधित पर कार्रवाई की जाए। जो होम आइसोलेट हैं, उन्हें दवा और अन्य उपचार मिल रहा है या नहीं, इसकी भी निगरानी की जाए। जिला अस्पताल में विधायक निधि से लगने वाले आक्सीजन प्लांट की आपूर्ति क्षमता 1 टन प्रतिदिन की होगी। इससे रोजाना 100 सिलिडर आक्सीजन की उपलब्धता बढ़ जाएगी। इसकी आपूर्ति बेड तक कनेक्शन देकर व सिलिडर दोनों माध्यमों से होगी। यहां ऊर्जा मंत्री ने कहा कि चार निजी चिकित्सालयों में 9.5 टन आक्सीजन आपूर्ति क्षमता वाले प्लांट लग रहे हैं। जिला अस्पताल में विधायक निधि से 1 टन का प्लांट लगने के बाद संयुक्त जिला चिकित्सालय, वृंदावन में भी पीएम केयर्स से आक्सीजन प्लांट लगना है। इससे सरकारी अस्पताल भी आक्सीजन आपूर्ति में आत्मनिर्भर बनेंगे। उन्होंने जिला अस्पताल में कोविड टेस्ट कराने आने वाले मरीजों के लिए छांव और पानी का इंतजाम करने के भी निर्देश दिए। एंटीजन टेस्ट में पाजिटिव आने वाले मरीजों को तुरंत दवा की किट दी जाए। जिला अस्पताल में मरीजों को भटकना न पड़े, परेशानी होने पर वह शिकायत कर सकें, इसके लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किया जाए।

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