देवोत्थान एकादशी पर खूब बिका मप्र और हरियाणा का गन्ना

ये समय-समय की बात है। कभी गन्ना उत्पादक रहा मथुरा जिले में अब नाममात्र की खेती कर रहा है। यही कारण है कि देवोत्थान एकादशी पर पूजन के लिए मौका देख मध्यप्रदेश और हरियाणा का गन्ना मथुरा के बाजार में उतार दिया। इसकी मांग भी खूब रही।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 15 Nov 2021 04:39 AM (IST) Updated:Mon, 15 Nov 2021 04:39 AM (IST)
देवोत्थान एकादशी पर खूब बिका मप्र और हरियाणा का गन्ना
देवोत्थान एकादशी पर खूब बिका मप्र और हरियाणा का गन्ना

संवाद सहयोगी, वृंदावन: ये समय-समय की बात है। कभी गन्ना उत्पादक रहा मथुरा जिले में अब नाममात्र की खेती कर रहा है। यही कारण है कि देवोत्थान एकादशी पर पूजन के लिए मौका देख मध्यप्रदेश और हरियाणा का गन्ना मथुरा के बाजार में उतार दिया। इसकी मांग भी खूब रही।

देवोत्थान एकादशी पर पंचकोसीय परिक्रमा के साथ-साथ तीन वन की परिक्रमा भी लगाई जाती है। इस दौरान लाखों श्रद्धालु आते हैं। परिक्रमा के बाद एकादशी पूजन के लिए श्रद्धालु गन्ना खरीदकर ले जाते हैं। इसी अवसर का फायदा उठाने के लिए बाजार में इस बार मध्य प्रदेश और हरियाणा से गन्ना आया। गन्ना विक्रेता हरी सिंह और सत्यदेव ने बताया कि इस बार दो तरह का गन्ना आया। हरियाणा के होडल-पलवल से हरे रंग का गन्ना आया है और मध्य प्रदेश से काले रंग का गन्ना। आमतौर पर हरे रंग का गन्ना दस रुपये का बिकता है मगर पर्व पर 20 से 30 रुपये में बिका। बताया कि काले रंग के गन्ने में ज्यादा मिठास होती है। इसलिए इसकी कीमत भी ज्यादा रही। 25 रुपये का ये गन्ना 50 रुपये तक में बेचा। हर मौसम में नई फसल अर्पित होती है भगवान को :

ब्रज संस्कृति शोध संस्थान के सचिव लक्ष्मीनारायण तिवारी का कहना है कि देवोत्थान एकादशी पर भगवान विष्णु नींद से जागते हैं। किसान मिष्ठान के तौर पर गन्ना और सब्जियां अर्पित करते हैं। मान्यता ये रही है कि हर मौसम में जब भी नई फसल पैदा होती है, उसे पहले भगवान को अर्पित किया जाता है। देवोत्थान से किसान गन्ने की फसल की कटाई शुरू करते हैं। देवोत्थान एकादशी पर गन्ना, आंवला, फूल, सिघाड़ा, बैंगन, सकरकंद भी पूजा में अर्पित किया जाता है।

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