हरिनाम संकीर्तन से गूंजा परिक्रमा मार्ग

संवाद सहयोगी वृंदावन पुरुषोत्तम मास का सनातन संस्कृति में विशेष धार्मिक महत्व माना गया है। इस

By JagranEdited By: Publish:Sat, 19 Sep 2020 05:05 AM (IST) Updated:Sat, 19 Sep 2020 05:12 AM (IST)
हरिनाम संकीर्तन से गूंजा परिक्रमा मार्ग
हरिनाम संकीर्तन से गूंजा परिक्रमा मार्ग

संवाद सहयोगी, वृंदावन : पुरुषोत्तम मास का सनातन संस्कृति में विशेष धार्मिक महत्व माना गया है। इस महीने भक्त ठाकुरजी की सेवा पूजा, परिक्रमा, संकीर्तन और दान कर पुण्य अर्जित करते हैं। पुरुषोत्तम मास के पहले ही दिन पंचकोसीय परिक्रमा हरिनाम संकीर्तन से गूंज उठी। ढोल, मृदंग और मंजीरों की धुन पर देसी-विदेशी भक्तों ने परिक्रमा शुरू की, तो पूरा वातावरण हरिनाम संकीर्तन से गूंज उठा। कोरोनाकाल में भक्तों को आराध्य की एक झलक नहीं मिल सकी। भक्तों ने ठा. बांकेबिहारी समेत अन्य मंदिरों पर बाहर माथा टेककर पूजा-अर्चना कर पंचकोसीय परिक्रमा शुरू की। करीब छह महीने बाद पंचकोसीय परिक्रमा मार्ग में हरिनाम संकीर्तन की गूंज सुनाई दी। देसी-विदेशी भक्तों की टोलियां भोर से ही परिक्रमा करने को निकल पड़ीं। बांके बिहारी मंदिर में भक्तों का प्रवेश प्रतिबंधित होने के कारण चबूतरे पर ही माथा टेका। बैरीकेडिग पर माला और भोग अर्पित कर जल्द दर्शन देने की आराध्य बांकेबिहारीजी से कामना की। इसके बाद भक्तों ने परिक्रमा कर पुरुषोत्तम मास का पुण्य अर्जित किया। 84 कोस में शुरू हुई भक्तों की चहल-पहल

संवाद सूत्र, सुरीर: अधिक मास के साथ शुक्रवार से बृज चौरासी कोस में परिक्रमार्थियों की चहल-पहल शुरू हो गई है। पहले दिन नोएडा के भक्त साइकिलों से परिक्रमा देते दिखाई दिए। बाइक से भी श्रद्धालु परिक्रमा लगा रहे थे। चौरासी कोस यात्रा में भगवान श्रीकृष्ण के लीला स्थलों के दर्शन और उन स्थलों का इतिहास मिलता है। कृष्ण की लीलाओं के साक्षी सूरज सरोवर, कुसुम सरोवर, विमल सरोवर, चंद्र सरोवर, रूप सरोवर, पान सरोवर, मान सरोवर, प्रेम सरोवर, नारायण सरोवर, नयन सरोवर आदि हैं। परिक्रमाथी इन सरोवरों के दर्शन करने के साथ ही आचमन लेकर और स्नान कर स्वयं को धन्य मानते हैं। कात्यायनी देवी, शीतला देवी, संकेत देवी, ददिहारी, सरस्वती देवी, वृंदादेवी, वनदेवी, विमला देवी, पोतरा देवी, नरी सैमरी देवी, सांचैली देवी, नौवारी देवी, चौवारी देवी, योगमाया देवी, मनसा देवी, बंदी की आनंदी देवी भी बृज चौरासी कोस में मौजूद हैं। बृज में भूतेश्वर महादेव, केदारनाथ, आशेश्वर महादेव, चकलेश्वर महादेव, रंगेश्वर महादेव, नंदीश्वर महादेव, पिपलेश्वर महादेव, रामेश्वर महादेव, गोकुलेश्वर महादेव, चितेश्वर महादेव, गोपेश्वर महादेव, चक्रेश्वर महादेव भी मौजूद हैं।

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