गुरुनानक ने मीठा किया जल तो बन गया प्रसाद

कान्हा की नगरी के कुएं का खारा पानी सिखों के प्रथम गुरु नानक देव के पुण्य प्रताप से मीठा हो गया था। इस कुएं का मीठा पानी श्रद्धालुओं में प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 30 Nov 2020 05:54 AM (IST) Updated:Mon, 30 Nov 2020 05:54 AM (IST)
गुरुनानक ने मीठा किया जल तो बन गया प्रसाद
गुरुनानक ने मीठा किया जल तो बन गया प्रसाद

नवनीत शर्मा,मथुरा: कान्हा की नगरी के कुएं का खारा पानी सिखों के प्रथम गुरु नानक देव के पुण्य प्रताप से मीठा हो गया था। इस कुएं का मीठा पानी श्रद्धालुओं में प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।

अगस्त 1512 में अपनी दूसरी उदासी (यात्रा) के दौरान गुरु नानक देव अपने शिष्य मरदाना और बाला के साथ मथुरा आए थे। उन्होंने यमुना किनारे गऊघाट पर प्रवास किया। यमुना में बाढ़ आने पर उन्होंने मसानी स्थित बगीची पर करीब 40 दिन प्रवास किया। इसी स्थान पर अब गुरुद्वारा गुरु नानक बगीची है। उसके मुख्य ग्रंथी ज्ञानी गोपी सिंह बताते हैं कि बगीची में गुरु नानक ने संगत की थी। बगीची में एक कुआं था। संगत में शामिल श्रद्धालुओं ने कहा कि कुएं का पानी काफी खारा है। इस पर गुरु नानक देव ने मरदाना को कुएं का पानी निकालकर सबको बांटने को कहा। पानी बांटा गया तो वह मीठा था। तभी से कुएं का मीठा पानी सबके लिए प्रसाद बन गया। आसपास के कुओं का पानी भी खारा होने से लोग इसी कुएं से पानी लेने आने लगे।

कालांतर में उसी स्थान को गुरुद्वारा का रूप दिया गया। वर्ष 2006 में गुरुद्वारा का जीर्णोद्धार किया गया। अब कुएं में जाल लगा दिया गया, लेकिन सबमर्सिबल के जरिए पानी निकाला जाता है। आज भी आने वाले श्रद्धालु ये पानी प्रसाद के रूप में अपने साथ ले जाते हैं। पांच बार स्नान से दूर होते हैं संकट

ज्ञानी गोपी सिंह कहते हैं कि मान्यता है कि एक तिथि तय कर यदि पांच बार इस कुएं के जल से स्नान किया जाए, तो संकट दूर हो जाते हैं। बड़ी संख्या में श्रद्धालु कुएं के जल से स्नान करने भी आते हैं। वह कहते हैं कि गुरु नानक देव ने अपने प्रवास के दौरान लोगों को मानवता के साथ जीवन जीने का संदेश दिया। परमेश्वर का नाम जपने और बांटकर खाने की शिक्षा दी। यहां से वह वृंदावन गए। गुरु नानक देव ने करीब चार माह तक ब्रज में प्रवास किया।

अखंड पाठ का होगा समापन

मथुरा : गुरुनानक देव का जन्मोत्सव इस वर्ष सादगी से मनाया जा रहा है। 28 नवंबर से शुरू हुए अखंड पाठ का समापन सोमवार को साढ़े नौ बजे होगा। इसके बाद एक घंटा कीर्तन किया जाएगा। कोरोना के कारण इस वर्ष लंगर का आयोजन नहीं होगा। अरदास के बाद श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया जाएगा। गुरुद्वारा को सजाया-संवारा जा रहा है।

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