मजदूर पिता ने सिलाई कर बुने बच्चों के सपने

खुद आइटीआइ पास पिता ने मेहनत कर बचों को पढ़ाईएक इंजीनियर बना दूसरा डाक्टर तीसरा कर रहा आइआइटी से पढ़ाई

By JagranEdited By: Publish:Sun, 20 Jun 2021 06:58 AM (IST) Updated:Sun, 20 Jun 2021 06:58 AM (IST)
मजदूर पिता ने सिलाई कर बुने बच्चों के सपने
मजदूर पिता ने सिलाई कर बुने बच्चों के सपने

मनोज चौहान, मथुरा:

बच्चों का जीवन बेहतर बनाने को पिता की कुर्बानियों का कोई विकल्प नहीं। मगोर्रा निवासी एक मजदूर पिता ने भी बच्चों के सपने पूरे करने को जी तोड़ मेहनत की। आइटीआइ पास पिता ने काम नहीं मिला तो मजदूरी की। फिर सिलाई सीखकर 18 घंटे तक काम किया। आज उनका एक बेटा इंजीनियर है, दूसरा डाक्टरी की पढ़ाई कर रहा है। तीसरा आइआइटी कानपुर में पढ़ रहा है। बच्चों पर सब हारकर वे आज खुद को विजेता पाते हैं।

मगोर्रा निवासी महेश कुमार ने वर्ष 1989 में फिटर से आइटीआइ की। पिता शंकर लाल राजमिस्त्री थे। पढ़ाई के बाद भी काम नहीं मिला तो महेश मजदूरी करने लगे। रोज करीब 20 किमी साइकिल चलाकर मजदूरी करने जाते। महेश कुमार के चार बेटे और एक बेटी हैं। उन्हें अच्छी शिक्षा देने का सपना था। मजदूरी से इसे पूरा होते न देख कपड़ों की सिलाई का काम सीखने लगे। वर्ष 1994 में सौंख कस्बे में सिलाई की दुकान खोली। महेश कहते हैं, बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाने का सपना देखा था। आमदनी के नाम पर केवल सिलाई की कमाई थी। सो, 16 से 18 घंटे तक काम करते। बड़े बेटे मुकेश कुमार को एमटेक कराया। मुकेश अब नोएडा की एक नामी कंपनी में साफ्टवेयर इंजीनियर हैं। दूसरे नंबर का बेटा सोनू आइआइटी कानपुर से एमएस (मास्टर आफ साइंस) कर रहा है। तीसरा बेटा पंकज आंबेडकर नगर स्थित गवर्नमेंट मेडिकल कालेज से एमबीबीएस कर रहा है। चौथा बेटा विशाल कामन ला एडमिसन टेस्ट (क्लैट) की तैयारी कर रहा है। सबसे छोटी बेटी कुमकुम अभी चौथी कक्षा में पढ़ रही है। महेश कहते हैं कि बच्चों का जीवन ठीक बन गया, इससे ज्यादा और क्या चाहिए। मैंने जो संघर्ष किया उसका फल मिल रहा है। 58 बरस के महेश अभी भी सिलाई करते हैं। ऐसे पिता पर नाज है

मुकेश कहता है कि उसे पिता पर नाज है। हमारा भविष्य संवारने को आराम करना भूल गए। हमें उन पर गर्व है। अब पिता के सपनों को पूरा करना है। उनका हर कष्ट दूर करना है। दूसरे बेटे विकास का कहना है कि पिता ने हमारे लिए संघर्ष किया और हमें मुकाम दिलाया। वह हमारे लिए भगवान के कम नहीं हैं।

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