आंधी संग झूम कर बरसे मेघा
शहर में हुआ जलभराव खरीफ सीजन के लिए फायदेमंद बिजली के खंभे टूटने से अंधेरे में डूबी कई कालोनी व ग्रामीण क्षेत्र
जागरण संवाददाता, मथुरा: पिछले चार-पांच दिन से सता रही प्रचंड गर्मी से मंगलवार को राहत मिल गई। आसमां से बरस रही आग को शाम होते-होते वर्षा ने ठंडा कर दिया। वर्षा से पहले आई आंधी में टीन-टप्पर, छान-छप्पर उड़ गए। ओल में दीवार गिरने से दो लोग चोटिल हो गए। कई स्थानों खंभे टूटने से शहर व ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत आपूर्ति ठप हो गई। शहर में कई स्थानों पर जलभराव हो गया। वर्षा से खरीफ फसलों की बुवाई करने में किसानों की आसानी हो जाएगी।
मौसम में बदलाव के संकेत सुबह से ही मिलने लगे थे। सूरज और बादलों के बीच दिन भर लुकाछुपी का खेल चलता रहा। दोपहर में अधिकतम तापमान 39 डिग्री सेल्सियस मापा गया। तीसरे पहर में आसमान में काले सफेद बादल घुमड़ने लगे। हवाओं का रुख तेज हो गया। आंधी संग धूल के गुबार उठाने लगे। कूड़ा कचरा भी हवा के साथ उड़कर दुकान और मकानों में भर गया। करीब पंद्रह मिनट तक तेज हवाएं चलीं और बारिश शुरू हो गई। मथुरा, महावन, छाता, गोवर्धन और मांट तहसील क्षेत्र में झमाझम बारिश हुई। करीब पंद्रह मिनट तक शहर में जमकर बारिश हुई। इससे कृष्णा नगर, राजीव गांधी नगर, महेंद्र नगर, बलदेपुरी, चंद्रपुरी, तैयापुर, लक्ष्मी नगर समेत कई इलाकों में जलभराव भी हो गया। भूतेश्वर तिराहा, नए और पुराने बस अड्डे के नीचे जलभराव होने से आवागमन अवरुद्ध हो गया। कंकाली और बीएसए कालेज रोड पर काफी देर तक जलभराव की स्थिति बनी रही। तमाम वाहन पानी में फंस गए। निचले इलाकों की बस्तियों में लोगों के घरों में पानी घुस गया। गांवों में भी नालियां उफन गई और गंदगी आम रास्तों पर फैल गई। गांव ओल में बशीर की दीवार गिर गई। किराएदार रूप बसंत और सीमा चोटिल हो गई। जवाहर इंटर कालेज के पास दो खंभे गिर गए और आपूर्ति ठप हो गई। सौंख 33 केवीए लाइन में फाल्ट हो गया और देररात तक कस्बा में अंधकार छाया रहा। शहर में बारिश बंद होने के एक घंटे बाद विद्युत आपूर्ति सामान्य हो पाई। प्री मानसून की वर्षा से किसानों की बांछे खिल गई। खरीफ की मुख्य फसल धान की रोपाई का कार्य में भी अब तेजी आ जाएगी। वर्षा से दलहन, तिलहन, बाजरा, ज्वार, मक्का की बोवाई आसानी हो जाएगी।
बर्बाद हो गईं फड़ों में पथी रखीं लाखों कच्ची ईंट
सुरीर: मंगलवार को हुई बारिश ईट भट्टों पर कहर बनकर टूटी। फड़ों में पथी रखी लाखों ईंटे बर्बाद हो गई। जिससे भट्ठा कारोबार को काफी नुकसान दिख रहा है। इसके साथ चिमनियों की समय से पहले की ठंडी पड़ती दिख रही है। भट्ठा एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष राजकुमार वाष्र्णेय का कहना है कि मंगलवार को हुई भारी बरसात से भट्ठा कारोबार की कमर पूरी तरह से टूट गई है। फड़ों पर पथी रखीं लाखों ईंट गल गईं हैं। जिससे अब भट्ठों को इस सीजन में चला पाना असंभव दिख रहा है। बरसात से नुकसान व उत्पादन पर असर से ईंटों के दाम बढ़ जाएंगे है।