सियासी रण की कड़वाहट में मिठास घोलने का जतन

दुश्मनी की लकीर न खींचने की बुजुर्ग दे रहे सलाह वोट के लिए किए जा रहे सभी के निहोरे

By JagranEdited By: Publish:Mon, 19 Apr 2021 05:40 AM (IST) Updated:Mon, 19 Apr 2021 05:40 AM (IST)
सियासी रण की कड़वाहट में मिठास घोलने का जतन
सियासी रण की कड़वाहट में मिठास घोलने का जतन

मनोज चौधरी, मथुरा: सियासी रण की कड़वाहट में मिठास घोलने का जतन गांव की गलियों में एक सुखद संकेत देता नजर आ रहा है। वोटों के लिए कहीं कोई गर्माहट गांवों में नहीं है। सब कुछ शांति के साथ चल रहा है। बुजुर्ग दुश्मनी की लकीर न खींचने की सलाह दे रहे हैं। ग्राम सभा का मुखिया बनने को चुनावी मैदान में कूदे प्रत्याशी सभी के हाथ जोड़ रहे हैं।

प्रधानी के जिस चुनाव को कभी मारकाट के लिए जाना जाता था, उसकी वर्तमान तस्वीर अब अलहदा है। मुखिया का सेहरा बांधने वालों ने खामोशी की चादर ओढ़ रखी है। रविवार को नगला माना में खेती-क्यारी से फारिग ग्रामीण आराम फरमाते नजर आए। कहीं कोई चुनावी शोरगुल न था। दीवारों पर इक्का-दुक्का पोस्टर जरूर चस्पा थे। महिलाएं घरेलू कामकाज में व्यस्त थीं। पड़ोसी गांव उस्फार में दरवाजे पर बैठे बनवारी लाल शर्मा ने बताया, दो बार पंचायत हो गई। गिले-शिकवे भुलाकर प्रेम से चुनाव लड़ने पर सहमति बनी है। जो जीते, वही सिकंदर। पूरन सिंह के बरामदे में किताब सिंह, भोला, राजू, पप्पू, चट्टान सिंह, दाऊजी, धर्म सिंह, जगन्नाथ के बीच यही बहस का मुद्दा छिड़ा था। वह कहते हैं कि पसंद तो मतदाताओं की है। किसी पर कोई जोर जुल्म नहीं है। दोपहर में नगला बहरावती में तो चुनावी माहौल नजर ही नहीं आया। गांव कुदरवन के मंदिर बाबू बाबा, भिक्को, नेत्रपाल धार्मिक चर्चा में मशगूल थे। उनसे पूछा गया तो बोले, जो अच्छा लगेगा, उसी को वोट दे देंगे। ऊंचा गांव के अड्डे पर कल्याण सिंह, भीकम सिंह, गंगा सिंह भी चुनावी चर्चाएं कर रहे थे। शाहरपुर, नगरी और ताखा का नगला के इन ग्रामीणों का कहना था, शांति से प्रचार हो रहा है। पहले जैसी पार्टीबंदी अब नहीं है। धौंस दिखाकर वोट नहीं मिलता। सबके हाथ जोड़ने पड़ते हैं। अनूपनगर के नुक्कड़ पर बैठे बुजुर्ग राम सिंह और हरदयाल कहते हैं, सभी उम्मीदवारों का स्वागत है। हमारी किसी से लड़ाई नहीं है। जो अच्छा होगा, वह जीतेगा। हम सबसे कहते हैं, वोट के लिए दुश्मनी की लकीर मत खींचना। चुनाव आता रहेगा।

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