देवोत्थान: घर-घर जागे देव, खूब बजे बैंड-बाजे

देवात्थान एकादशी के साथ हुई मांगलिक कार्यों की शुरुआत, विधि-विधान से हुआ तुलसी-शालिग्राम विवाह

By JagranEdited By: Publish:Mon, 19 Nov 2018 11:09 PM (IST) Updated:Mon, 19 Nov 2018 11:09 PM (IST)
देवोत्थान: घर-घर जागे देव, खूब बजे बैंड-बाजे
देवोत्थान: घर-घर जागे देव, खूब बजे बैंड-बाजे

जागरण संवाददाता, मथुरा: जिले में देवोत्थान एकादशी पर सोमवार को शादियों की धूम रही। जगह-जगह शहनाइयां बजती रहीं। सबसे बड़ा आयोजन तो तुलसी-शालिग्राम विवाह का था, जो मंदिरों के साथ घर-घर में आयोजित हुआ। मंदिरों में भी धूमधाम से यह विवाहोत्सव मनाया गया। देवों को उठाने के लिए रंगोली सजाकर पूजा-अर्चना की गई।

देवोत्थान एकादशी के साथ ही मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है। सोमवार को जगह-जगह शादियों के आयोजन हुए। गेस्ट हाउस, रिसो‌र्ट्स, होटल आदि पहले से ही बुक थे। शहर की संकरी गलियों से लेकर चौड़ी सड़कों से बरात निकली। बैंडबाजों पर लोग थिरकते रहे। इधर, कई घरों में विधि-विधान से तुलसी-शालिग्राम विवाह हुआ। इसको लेकर सुबह ही श्रद्धालुओं का उत्साहित दिखे। गन्ना, ¨सघाड़ा, शकरकंद, फूल, सब्जियों की खरीदारी होती रही। तीर्थ पुरोहित महासंघ के बृजमंडल महामंत्री पं. अमित भारद्वाज ने बताया कि देव उठान एकादशी से चातुर्मास समाप्त हो गया। मंगलगीत गाते हुए महिलाओं ने उठो देवा जागो देवा आदि परंपरागत गायन करते हुए देवताओं को जगाया। कटी हुई मौसमी सब्जी आदि को चढ़ाया गया। गन्ने से मंडप सजाया गया।

इधर, मंदिरों में सजावट देखने लायक थी। बड़ी संख्या में महिलाओं ने कन्या दान किया। रात में लोगों ने घर के दरवाजों सहित अन्य स्थानों पर दीप जलाए। मंदिरों में अपने अराध्य के दर्शन करने को लोग उमड़ रहे थे। घर-घर पूजीं तुलसी

संसू, सुरीर: कस्बा में देवोत्थान एकादशी पर देवों को उठाने के लिए घरों में रंगोली सजा कर पूजा-अर्चना की गई। तुलसी के पौधे की पूजा-अर्चना की गई। त्योहार पर गन्ने की मांग को देखते हुए विक्रेताओं ने सुबह से ही जगह-जगह गन्नों की दुकान सजा ली। एक गन्ना 10 रुपये से लेकर 20 रुपये तक में बेचा गया। सप्त देवालयों में भी विवाहोत्सव

वृंदावन: सप्त देवालयों में प्रमुख राधा दामोदर मंदिर में तुलसी शालिग्राम का विवाहोत्सव हुआ। इसमें बराती भी श्रद्धालु बने तो तुलसी का कन्यादान श्रद्धालुओं ने ही किया। बग्गी में विराजमान तुलसी और शालिग्राम की बरात निकली। बैंडबाजों की सुमधुर भजनों की धुन पर देश-विदेश के श्रद्धालु बराती बन नाचते चल रहे थे। बरात मंदिर पहुंची, वैदिक ऋचाओं के गूंज के बीच तुलसी-शालिग्राम को सात फेरे दिलाए गए। हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचे। पंडित रामजी शास्त्री बताते हैं कि आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी की तिथि को देव शयन करते हैं और इस कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन ही उठते हैं। देवता जब जागते हैं तो सबसे पहली प्रार्थना हरिबल्लभा तुलसी की ही सुनते हैं, इसीलिए तुलसी विवाह को देव जागरण के पवित्र मुहूर्त के स्वागत का आयोजन माना जाता है।

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