आस्था के पथ पर झूमती रही भक्ति, गूंजता रहा राधे-कृष्णा

संवाद सहयोगी मथुरा देवोत्थान एकादशी पर परिक्रमा मार्ग में आस्था के पथ पर भक्ति झूमती रही।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 15 Nov 2021 05:45 AM (IST) Updated:Mon, 15 Nov 2021 05:45 AM (IST)
आस्था के पथ पर झूमती रही भक्ति, गूंजता रहा राधे-कृष्णा
आस्था के पथ पर झूमती रही भक्ति, गूंजता रहा राधे-कृष्णा

संवाद सहयोगी, मथुरा: देवोत्थान एकादशी पर परिक्रमा मार्ग में आस्था के पथ पर भक्ति झूमती रही। तीन वन के परिक्रमा मार्ग में राधे-राधे, कृष्णा-कृष्णा के जयघोष गूंजते रहे। परिक्रमा मार्ग में मानव श्रृंखला बनी रही। श्रद्धालुओं में आस्था की थाह नहीं थी।

धार्मिक मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण और बलराम ने कंस वध के बाद विजय उत्सव के रूप में तीन वन (मथुरा, वृंदावन और गरुड़ गोविद) की परिक्रमा लगाई। इस परिक्रमा के लगाने से श्रद्धालुओं को सभी तीर्थों की परिक्रमा का फल मिलता है। देवोत्थान एकादशी की परिक्रमा शनिवार शाम से ही शुरू हो गई। हल्की ठंड के बाद भी भक्तों के कदम रुक नहीं रहे थे। सुबह होने तक परिक्रमा मार्ग में मानव श्रृंखला बन गई। कोई तीन वन, कोई मथुरा, कोई वृंदावन की परिक्रमा लगा रहा था। परिक्रमा मार्ग में राधे-राधे, कृष्णा-कृष्णा के जयघोष गुंजायमान हो रहे थे। परिक्रमा मार्ग में आस्था का सागर उमड़ रहा था। प्रभु भक्ति में लीन श्रद्धालु परिक्रमा कर रहे थे। यमुना घाट और मंदिर भक्तों से गुलजार रहे। यमुना घाटों पर श्रद्धालुओं ने पूजन भी किया। श्रद्धालुओं ने रंगेश्वर महादेव, कंकाली देवी मंदिर, भूतेश्वर महादेव, महाविद्या देवी मंदिर, गोकरणनाथ महादेव आदि मंदिरों के दर्शन किए। परिक्रमा मार्ग में श्रद्धालुओं ने खान-पान का लुत्फ लिया। बच्चों ने खिलौने खरीदे। नगर निगम ने परिक्रमा मार्ग में सफाई के इंतजाम किए थे। पुलिस प्रशासन भी सुरक्षा को लेकर मुस्तैद रहा। समाजसेवियों ने भंडारे और प्याऊ लगाकर श्रद्धालुओं की सेवा की। परिक्रमा मार्ग में श्रद्धालु पूजन के लिए गन्ना भी खरीदते रहे। तीर्थ पुरोहित महासंघ के ब्रज मंडल प्रभारी अजय चतुर्वेदी ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण-बलराम ने कंस का वध करने के बाद तीन वन की परिक्रमा लगाई थी, इस परिक्रमा से सभी तीर्थों की परिक्रमा का फल मिलता है। क्या कहते हैं श्रद्धालु भगवान श्रीकृष्ण की भूमि में रहना सौभाग्य की बात है। यहां रहकर भगवान की भक्ति करनी चाहिए। भगवान भक्तों पर हमेशा आशीर्वाद बनाकर रखते हैं ।

निशांत शर्मा, बिड़ला मंदिर तीन वन की परिक्रमा करने से सभी तीर्थों की परिक्रमा का फल मिलता है। परिक्रमा करने से ठाकुरजी की कृपा बरसती है। भगवान की भक्ति का अलग ही आनंद है।

भोला, सुरीर ब्रज में उत्सव बने रहते हैं और इन उत्सवों का आनंद लेना चाहिए। ठाकुरजी की भक्ति के अवसर नहीं छोड़ने चाहिए। जब भी परिक्रमा का मौका मिलता है, लगाते हैं।

महेश चौहान, रानी मंडी ब्रज में तो देवता भी वास करने आते हैं। चार माह देवता स्वर्ग छोड़कर ब्रज में ही रहते हैं। इस पावन भूमि की बात ही कुछ और है। यह भूमि आस्था से सराबोर है।

विजय कुमार, सुल्तानपुर देवोत्थान एकादशी पर परिक्रमा में उमड़ा आस्था का सैलाब

संवाद सहयोगी, वृंदावन: देवोत्थान एकादशी पर तीर्थनगरी वृंदावन में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। श्रद्धालुओं ने ठाकुर बांकेबिहारी के दर्शन करने के बाद वृंदावन की पंचकोसीय परिक्रमा शुरू की। रविवार सुबह से परिक्रमा मार्ग पर भक्तों का रेला उमड़ पड़ा, जिससे अटूट मानव श्रृंखला बन गई। पूरी नगरी राधे-राधे और बांकेबिहारी के जयकारों से गूंज उठी।

देवोत्थान एकादशी पर जुगलजोड़ी और तीन वन की परिक्रमा करने को लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ परिक्रमा मार्ग में उमड़ पडी। दिन चढ़ने तक हर ओर भक्तों का हुजूम पूरे परिक्रमा मार्ग में नजर आया। परिक्रमा मार्ग दिनभर श्रद्धालुओं की भीड़ से गुलजार रहा। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए धार्मिक और सामाजिक संगठनों ने जगह-जगह भंडारे लगाए और प्रसाद बांटा। श्रद्धालुओं की टोलियां भगवान के भजनों पर नाचते-गाते परिक्रमा करते नजर आईं।

संतों संग अधिकारियों ने लगाई परिक्रमा

ब्रज रज उत्सव के तहत रविवार को सुबह संतों ने अधिकारियों के साथ पंचकोसीय परिक्रमा लगाकर पुण्य अर्जित किया। ब्रज तीर्थ विकास परिषद की अगुवाई में 10 नवंबर से ब्रज रज महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इसमें कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी पर संतों के सानिध्य में अधिकारियों ने नगर की पंचकोसीय परिक्रमा कर पुण्यलाभ अर्जित किया। सुदामा कुटी आश्रम से गोसेवी संत सुदामादास महाराज की प्रतिमा के पूजन के उपरांत राधे-राधे के जयकारे से परिक्रमा शुरू हुई। हरिनाम संकीर्तन करते हुए संत परिक्रमा की अगुआई कर रहे थे। श्रद्धालुओं ने जगह-जगह संतों का पटुका ओढ़ाकर स्वागत किया। केशीघाट पर परिक्रमार्थियों ने मां यमुना महारानी की विधिवत पूजन अर्चना की। करीब तीन घंटे के बाद परिक्रमा पुन: सुदामकुटी पर संपन्न हुई। महंत सुतीक्ष्णदास, महंत हरिशंकर दास, महंत अमरदास, महंत रामस्वरूप दास, महंत सच्चिदानंद, एमवीडीए उपाध्यक्ष नागेंद्र प्रताप, विशेष कार्यधिकारी क्रांतिशेखर सिंह, श्यामसुंदर गौतम, सुभाष गौड़ मौजूद रहे।

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