सीएमओ साहब, बचा लो हमारे बच्चे, सहा नहीं जाता

कोंह में सीएमओ के पैर पर सिर रख ग्रामीण ने लगाई गुहार -जेवर व जमीन गिरवी रख करा रहे अपनों का इलाज

By JagranEdited By: Publish:Fri, 03 Sep 2021 06:14 AM (IST) Updated:Fri, 03 Sep 2021 06:14 AM (IST)
सीएमओ साहब, बचा लो हमारे बच्चे, सहा नहीं जाता
सीएमओ साहब, बचा लो हमारे बच्चे, सहा नहीं जाता

जागरण संवाददाता, मथुरा : 70 बरस के किशन सिंह की आंखों में गम है तो गुस्सा भी। बुखार ने उनके दस साल के लाड़ले नाती अवनीश की जान ले ली। रोज गांव में हो रही मौतों से टूट चुके किशन की आंखों के थम नहीं रहे। गुरुवार को सीएमओ गांव पहुंचीं तो उनके पैरों पर अपना सिर रख किशन ने गांव को बचाने की गुहार लगाई। ये उनकी व्यथा है, जो व्यवस्था को आइना दिखाने के लिए काफी है। आक्रोशित ग्रामीण सीएमओ को श्मशान स्थल तक ले गए, जहां दस साल के राजा की चिता जल रही थी।

करीब 35 सौ की आबादी वाले कोंह गांव में बुखार का हमला 7 अगस्त से शुरू हुआ। 11 अगस्त को पहली मौत दो साल की रंपा की हुई। फिर रफ्तार थमी नहीं। अब तक 11 मौत बुखार से हो गईं। यहां डेंगू के 62 मरीजों की पुष्टि हुई, 26 मरीज स्क्रब टाइफस के मिले तो 45 लेप्टोस्पायररोसिस के मरीजों की पुष्टि हुई। करीब 370 मरीज अब तक स्वास्थ्य विभाग के रिकार्ड में हैं और कुछ अन्य स्थानों पर इलाज करा रहे हैं। किशन सिंह की चिता जायज है। बोले, रोज अपनों को मरते देख नहीं पा रहा। बुढ़ापे की लाठी नाती चला गया। सीएमओ के पैर पर सिर रखने वाले किशन कुछ कहते इससे पहले ही सीएमओ पर ग्रामीण आक्रोशित हो गए। सीएमओ ने कहा, हम काम कर रहे हैं, आपको नहीं लगता है तो किसी और सीएमओ को बुला लो। गांव के युवा और नाराज हुए, किशन ने सबको हाथ जोड़ समझाया। फिर सीएमओ को ग्रामीण एक किमी दूर श्मशान स्थल पर गुरुवार को बुखार की चपेट में आकर जान देने वाले राजा की चिता की पास ले गए। बोले, क्या रोज ऐसी ही चिताएं जलेंगी। ग्रामीणों का दर्द जायज था। खेती और मजदूरी कर जिदगी काट रहे ग्रामीणों के पास इलाज को पर्याप्त पैसा नहीं है। ग्राम प्रधान हरेंद्र चौहान बताते हैं कि गांव के गजेंद्र ने दो बेटियों का इलाज आगरा में कराने के कारण अपनी जमीन गांव में ही गिरवी रख दी। वेद प्रकाश की बेटी हनी (5) की मौत हो गई। परिवार के 11 लोग बुखार से पीड़ित रहे। बोले, पौने तीन लाख रुपये का कर्ज लिया, तब इलाज कराया। खेती करने वाले भूरा ने अपनी पत्नी गुड्डी के जेवर गिरवी रख दिए, लेकिन बेटे सौरभ (14) की जिदगी नहीं बचा पाए। हालात बताते रो पड़े। बोले, कोई और बीमार पड़ा तो इलाज कराने के लिए गिरवी रखने को भी कुछ नहीं बचा। हरीला ने भी बेटे राधे (22) का इलाज कराने के लिए पचास हजार रुपये ब्याज पर लिए। बोले, मजदूरी अधिक करूंगा, तब चुका दूंगा। बेटा बच गया, इससे ज्यादा मेरे लिए और क्या हो सकता है। हरीशंकर के चार बेटियों में एकलौते बेटे रिकू को भी बुखार ने छीन लिया है।

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