धार्मिक रंग में रंगे नजर आए कमिश्नर

यहां उन्होंने ठा. बांकेबिहारीजी के दर्शन कर पूजा-अर्चना की तो ठाकुरजी के प्राकट्रय स्थली निधिवन राज मंदिर में भी दर्शन करने पहुंचे

By JagranEdited By: Publish:Fri, 30 Jul 2021 06:02 AM (IST) Updated:Fri, 30 Jul 2021 06:02 AM (IST)
धार्मिक रंग में रंगे नजर आए कमिश्नर
धार्मिक रंग में रंगे नजर आए कमिश्नर

संवाद सहयोगी, वृंदावन: कमिश्नर अनिल गुप्ता गुरुवार की शाम बांकेबिहारी की नगरी पहुंचे। यहां उन्होंने ठा. बांकेबिहारीजी के दर्शन कर पूजा-अर्चना की तो ठाकुरजी के प्राकट्रय स्थली निधिवन राज मंदिर में भी दर्शन करने पहुंचे। यहां लता-पताओं के बीच ठाकुरजी की प्राकट्रय स्थली और संगीत सम्राट स्वामी हरिदास के समाधि स्थल के दर्शन कर पूजा-अर्चना की।

आगरा मंडलायुक्त अनिल गुप्ता गुरुवार शाम धार्मिक यात्रा पर परिवार सहित वृंदावन पहुंचे थे। इस दौरान कमिश्नर ने सबसे पहले ठा. बांकेबिहारी मंदिर में ढोक लगाई। मंदिर में परिवार के साथ दर्शन कर पूजा-अर्चना में शामिल हुए। ठा. बांकेबिहारीजी के दर्शन के बाद कमिश्नर बांकेबिहारी की प्राकट्य स्थली निधिवन राज मंदिर पहुंचे। इस दौरान कमिश्नर गुप्ता पूरी तरह भक्तिभाव में डूबे नजर आए और मीडिया से दूरी बनाते रहे। निधिवन राज मंदिर में करीब आधा घंटे दर्शन और ठा. बांकेबिहारी के प्राकट्य स्थल के दर्शन किए। नंदोत्सव प्रसंग में आनंदित नजर आए गुप्तेश्वर पांडे

संवाद सहयोगी, वृंदावन: श्रीमद्भागवत कथा के पांचवे दिन बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे ने भगवान श्रीकृष्ण के प्राकट्योत्सव पर नंदोत्सव का प्रसंग सुनाया। कहा, इस उत्सव में पूरा गोकुल डूबा है। नंदबाबा को बधाई देने वालों का तांता लगा है। वे खुशी से फूले नहीं समा रहे। कहा, शुकदेव जी ने लिखा है, नंद के घर साक्षात आह्लंाद का जन्म हुआ है।

चैतन्य विहार स्थित पाराशर अध्यात्म ट्रस्ट में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में पांडे ने कहा, नंद उत्सव की भागवत में बहुत विस्तार से चर्चा है। भगवान आए हैं, तो आनंद की बरसा तो होनी ही है। कहा, कभी-कभी मुझे भरोसा नहीं होता, मैं उस धरती पर हूं, जहां भगवान अवतरित हुए और जहां भगवान ने अनेक लीलाएं कीं। आज उन्हीं ठाकुरजी को उन्हीं की कथा सुना रहा हूं। पांडे ने कहा, नंदबाबा को चिता हुई कि कंस का कर्ज चुकाना है, इसलिए ग्वाल वालों को भगवान की सुरक्षा में नियुक्त कर दिया। इसके बाद मथुरा कंस को कर चुकाने के लिए निकल पड़े। मथुरा में वासुदेवजी से मुलाकात हुई है। वासुदेव ने कहा, जितनी जल्दी संभव हो आप वृंदावन लौटिए। जब तक नंद बाबा लौटते, उससे पहले पूतना पहुंच गई। पूतना ने सुंदर रूप बनाया और माता यशोदा की आज्ञा लेकर बालक रूप में दर्शन के लिए पहुंच गई। भगवान ने इसे देखते ही आंखें बंद कर लीं। इसीलिए कहते हैं बाहरी आवरण को देखकर लोगों को मुग्ध नहीं होना चाहिए। भगवान ने पूतना को पहचान लिया और उसका वध कर कल्याण किया।

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