कार्तिक महीने में दस करोड़ के पार पहुंचा कारोबार

कोरोनाकाल में पिछले दो साल से गर्त में पहुंच चुके तीर्थनगरी के कारोबार को कार्तिक के महीने में ऐसी उड़ान भरी कि पिछले दो साल के नुकसान की पूरी भरपाई हो गई। मुकुट-श्रृंगार पोशाक मूर्ति और पूजन सामग्री से जुड़े कारोबारियों का कहना है कि एक महीने में देशभर से आए श्रद्धालुओं ने जमकर खरीदारी की। पिछले कई साल का रिकार्ड टूटा। कार्तिक महीने में करीब दस करोड़ का कारोबार हो गया।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 23 Nov 2021 05:04 AM (IST) Updated:Tue, 23 Nov 2021 05:04 AM (IST)
कार्तिक महीने में दस करोड़ के पार पहुंचा कारोबार
कार्तिक महीने में दस करोड़ के पार पहुंचा कारोबार

संवाद सहयोगी, वृंदावन: कोरोनाकाल में पिछले दो साल से गर्त में पहुंच चुके तीर्थनगरी के कारोबार को कार्तिक के महीने में ऐसी उड़ान भरी कि पिछले दो साल के नुकसान की पूरी भरपाई हो गई। मुकुट-श्रृंगार, पोशाक, मूर्ति और पूजन सामग्री से जुड़े कारोबारियों का कहना है कि एक महीने में देशभर से आए श्रद्धालुओं ने जमकर खरीदारी की। पिछले कई साल का रिकार्ड टूटा। कार्तिक महीने में करीब दस करोड़ का कारोबार हो गया।

ठा. बांकेबिहारी की नगरी में पूरा कारोबार ठाकुरजी की पोशाक, श्रृंगार, मूर्ति और पूजन सामग्री पर आधारित है। दो साल से कोरोनाकाल और लाकडाउन के चलते कारोबार में मंदी छाई रही। इस साल कारोबार ने जमकर उड़ान भरी। शहर में मुकुट-श्रृंगार, पोशाक और मूर्ति की करीब चार सौ दुकानें, करीब 70 शोरूम लोई बाजार से लेकर इस्कान मंदिर के बीच हैं। पूरे महीने दुकानों और शोरूमों पर श्रद्धालुओं ने जमकर खरीदारी की। कारोबारियों का कहना है कि बिक्री के मामले में पिछले कई सालों का रिकार्ड इस बार टूट गया। मुकुट-श्रृंगार व पोशाक कारोबारी पुरुषोत्तम शर्मा ने बताया, इस बार का कार्तिक महीना दुकानदारों और शोरूम संचालकों के लिए अच्छा रहा। महीने के अंत तक हालात ये हो गए कि शोरूम में महंगे आइटमों की कमी हो गई। सामान्य दामों वाले आइटमों को भी दोबारा आर्डर देकर तैयार कराया गया। मूर्ति और मुकुट-श्रृंगार विक्रेता रजत गुप्ता ने बताया, खरीदारों की भीड़ दुकानों पर लगी रही। बाक्स

पांच हजार कारीगरों की चलती है रोटी पोशाक और मुकुट-श्रृंगार, मूर्ति बनाने के कारोबार से करीब पांच हजार कारीगर व मजदूर जुड़े हैं। वृंदावन में करीब एक सैकड़ा छोटे-बड़े पोशाक और मुकुट-श्रृंगार के कारखाने हैं। घरों में भी महिलाएं ठाकुरजी की पोशाक तैयार करके दुकानों पर सप्लाई करती हैं। वृंदावन के अलावा आसपास के गांवों गोपालगढ़, छटीकरा, जैत, सुनरख, धौरेरा जैसे गांवों में भी पोशाक और मुकुट-श्रृंगार के कारीगरों की रोजीरोटी का यही साधन है। ----

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