चिड़िया चहक उठी पेड़ों पर, बहने लगी हवा अति सुंदर

लॉकडाउन में साफ हुई तीर्थनगरी की फिजां ने पर्यावरण संरक्षण के प्रति भी किया सचेत

By JagranEdited By: Publish:Fri, 05 Jun 2020 02:36 AM (IST) Updated:Fri, 05 Jun 2020 06:11 AM (IST)
चिड़िया चहक उठी पेड़ों पर, बहने लगी हवा अति सुंदर
चिड़िया चहक उठी पेड़ों पर, बहने लगी हवा अति सुंदर

मनोज चौधरी, मथुरा :

'बीती रात कमल दल फूले, उनके ऊपर भौंरे झूले। चिड़िया चहक उठी पेड़ों पर, बहने लगी हवा अति सुंदर। नभ में न्यारी लाली छायी, धरती ने प्यारी छवि पायी। भोर हुआ सूरज उग आया, जल में पड़ी सुनहरी छाया।' कोविड-19 की महामारी की तालाबंदी ने अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध की इन पक्तियों की यादें ताजा कर दीं। आकाश में छाई रहने वाली धुंध मिट गई, तो कान्हा की पटरानी यमुना के जल की नीलिमा भी लौट आई। पशु-पक्षी पंख फैलाए आसमान में उड़ रहे हैं। हवाओं का पैगाम भी बदल गया है। प्रकृति का आंचल खिलखिला रहा है। जिन्होंने इनकी मुस्कान चुराई थी, तालाबंदी ने वापस करने का जादुई करिश्मा भी किया है। बस, इस विरासत को इसी परि²श्य में आने वाले वक्त के लिए संजोकर रखना है। प्रकृति प्रेमियों का संकल्प भी है, वे धरा को उसका सौंदर्य लौटाने के लिए सालों साल से जुटे हैं। अपने पथ पर आगे बढ़ते हुए गा रहे हैं कि 'ऐसा सुंदर समय न खोओ, मेरे प्यारे अब मत सोओ।'

सुनिये प्रकृति प्रेमियों की

एक लाख वृक्ष ब्रज वसुंधरा पर लहलहाने का संकल्प लेकर पिछले 14 साल से पौधे रोपने का काम कर रहे हैं। अब तक 40 हजार पौधे रोप चुके हैं और 20 हजार पौधे पेड़ का रूप ले चुके हैं। सरकारी स्कूलों से लेकर गांव-गांव किसानों के खेतों की मेड़ों पर पौधे रोपने के साथ-साथ उनकी सिचाई के लिए भी अपना टैंकर भेज रहे हैं। विकास प्राधिकरण के साथ मिलकर वृंदावन की भूमि को हरा-भरा करने के लिए पौधे लगवाए थे उनकी देखभाल करने के लिए वक्त निकाल कर जा रहे हैं। अगले साल इसी दिन तक 11 हजार पौधे रोपने और किसानों को वितरण करने का लक्ष्य है। पौधे के साथ जल का भी संचय कर रहे हैं। अपने खर्चे पर चालीस लाख रुपये से गांव में पानी के संचय के लिए तालाब भी बनवाया।

-प्रीतम सिंह, चेयरमैन महाराजा ग्रुप

वर्ष 2002 में 500 पौधे रोप कर पर्यावरण संरक्षण के लिए पहला कदम उठाया। स्कूल के छात्र-छात्राओं को हर साल एक पौधा दिया। तब से लेकर आज तक यह क्रम लगातार जारी है। जो बढ़कर 2000 तक सालाना पहुंच गया है। इस सिलसिले को आगे बढ़ाने के लिए त्रिवेणी पर काम शुरू कर दिया है। यह काम भी गिरिराज पर्वत की तलहटी से शुरू किया। त्रिवेणी में पीपल, बरगद, और नीम के पेड़ शामिल हैं। इसी त्रिवेणी को आगे बढ़ाने का संकल्प लेकर अगले बरस इसी दिन तक 4500 पौधे रोपने का लक्ष्य है। इनमें से 2000 पौधे श्मशान और कब्रिस्तान की भूमि पर रोपेंगे। पिछले 18 साल में रोपे गए पौधों में आज करीब 15 हजार पेड़ बनकर इंसान और पशु-पक्षी को छांव प्रदान कर रहे हैं।

-डॉ. अशोक सिकरवार, डायरेक्टर बल्देव पब्लिक स्कूल बल्देव । कम पौधे लगाओ, पर पूरा उगाओ। इसी सिद्धांत पर पर्यावरण संरक्षण के लिए करीब दस साल से काम कर रहे हैं। कॉलोनी और पार्क में पौधे रोपे, लेकिन गिनती नहीं की। उनकी रक्षा की। पौधे से पेड़ बनते चले गए। अब पौधे रोपने को सुरक्षित जमीन की तलाश कर रहे हैं। सघन जंगल बनाने के लिए जर्मनी तकनीक के लिए पर्यावरणविद् से संपर्क कर रहे हैं। अगले साल के पर्यावरण दिवस पर आसमान ऊंचाई में होने वाले पौधे रोपने की जर्मनी तकनीक मिलने पर एक बीघा के पार्क को सघन जंगल में विकसित करने का संकल्प लेकर चल रहे हैं। इस बार 100 पौधे रोपेंगे। ट्री गार्ड लगाएंगे और वृक्ष होने तक उनकी रखवाली भी करेंगे।

-नीरव निमेष, डायरेक्टर टेकमैन सिटी चिपको आंदोलन से लेकर आज तक जल, जंगल और पर्वतों को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। वन और खनन माफिया के खिलाफ जनांदोलन किया तो मुकदमे झेले। मगर, अपने लक्ष्य से विचलित नहीं हुए और हासिल कर लिया। हर साल एक हजार पौधे रोपे, आज दस हजार वृक्ष हो गए। गहवरवन को 6.845 हेक्टेयर भूमि को संरक्षित कर तार फेंसिग भी कराई। इस धरा पर पौधे ही नहीं रोपे बल्कि सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़कर वर्ष 2008 में अरावली पर्वत को भी सुरक्षित किया। अब अगला लक्ष्य यमुना नदी की निर्मलता का है। नदी के साथ कुंडों को भी बचाने के लिए गांव-गांव लोगों को जागरूक भी कर रहे हैं। अगले साल एक हजार पौध रोपने का संकल्प लेने के साथ ही यमुना की निर्मलता के लिए एक जन आंदोलन भी खड़ा करना है। -पद्मश्री संत रमेश बाबा, मान मंदिर बरसाना

शुद्ध हुई हवा

-9 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यू सल्फर डाइ ऑक्साइड

-20 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यू नाइट्रोजन डाइऑक्साइड

-95माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यू पार्टिकुलेट मैटर शुद्ध हुआ नदी का जल

-20 हजेन मीटर

-30 डिग्री सेल्सियस तापमान

-7.6 पीएच

-7.3 डीओ मिली ग्राम

-110 क्लोराइड मिली ग्राम

-8.2 बीओडी मिलीग्राम

-32 सीओडी कम हुआ शोरगुल

-66.4 डीबी(ए)--कॉमर्शियल एरिया

-68.5 डीबी(ए) इंडस्ट्रियल एरिया

-53.5डीबी(ए) आवासीय क्षेत्र

-62.9 डीबी(ए) बाजार

ये रोपेंगे एक लाख से अधिक पौधे -258800 जिले में रोपे जाएंगे पौधे

-508800 वन एवं वन्य जीव विभाग

-1178800 ग्राम्य विकास विभाग

-134200-राजस्व विभाग

-134200-पंचायती राज विभाग

-226120 कृषि विभाग

यह भी जानें

-2541894 कुल आबादी, जनगणना 2011 के अनुसार

-14.10 हेक्टेयर कुल संरक्षित वन क्षेत्र

-33 फीसद आबादी के हिसाब से पेड़ पौधे होनी चाहिए

--1.5 फीसद ही वर्तमान में पेड़ पौधे हैं, शेष फसलों की हरियाली है सिस्टम की सुनो

लॉकडाउन में जल और हवा शुद्ध हुए हैं। पेड़ों पर गौरैया को घोंसला बनाते हुए देखा गया है। जंगली जानवर भी बाहर निकल आए हैं। एक तेंदुआ भी यहां पकड़ा गया था।

-रघुनाथ मिश्र डीएफओ फिक्रमंद

नदी में सीवर लाइन को गिरने से रोकना होगा। कूड़ा करकट नदी नालों में डालने की प्रवृति बदलना होगा। पेड़ पौधों की कटाई पर सख्ती से प्रतिबंध लगाना होगा। जो भी पौधे रोपे जाएं, उनकी सुरक्षा करनी होगी। किसानों को समझाना होगा कि उनकी मेड़ों पर प्राकृतिक रूप से उगने वाले पौधों को नष्ट नहीं करें और उनकी देखभाल करें। तभी हम पर्यावरण को शुद्ध रख पाएंगे।

-श्याम वीर सिंह, पर्यावरणविद्, गोकुलधाम

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