बारिश से बढ़ी ठंड, फसलों को मिली संजीवनी
पश्चिमी विक्षोभ का प्रभाव मथुरा में भी रहा। गुरुवार सुबह बादल छाए रहे और बूंदाबांदी हुई। इससे तापमान में दो डिग्री सेल्सियस की गिरावट दर्ज की गई है। ठंड में बढ़ोतरी हो गई है।
जागरण संवाददाता, मथुरा: पश्चिमी विक्षोभ का प्रभाव मथुरा में भी रहा। गुरुवार सुबह बादल छाए रहे और बूंदाबांदी हुई। इससे तापमान में दो डिग्री सेल्सियस की गिरावट दर्ज की गई है। ठंड में बढ़ोतरी हो गई है। बारिश से वायुमंडल में घुलित नाइट्रोजन पौधे को मिलने से गेहूं, सरसों और आलू की फसल को संजीवनी मिल गई है।
मौसम अचानक खराब हो गया। आसमान में बादल छा गए और सूर्य बादलों की गोद में छिपा रहा। उसकी किरणें भी निस्तेज हो गईं। रुक-रुक का बूंदाबांदी शुरू हो गई। बारिश होने से न्यूनतम और अधिकतम तापमान में कमी आ गई। कृषि संभागीय परीक्षण एवं प्रदर्शन केंद्र पर न्यूनतम तापमान में 14 डिग्री सेल्सियस बना रहा, जबकि अधिकतम तापमान में 22 डिग्री सेल्सियस से गिरकर 20 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। इसके साथ ही दिन में भी सर्दी बढ़ने लगी है। लोगों को अलाव का सहारा लेते हुए देखा गया। सर्दी से बचाव के लिए गर्म और ऊनी कपड़े पहन कर लोग घरों से बाहर निकले। खराब मौसम का असर बाजारों में देखा गया। दोपहर तक बाजार में भीड़-भाड़ कम रही। तीसरे पहर में बाजार की रौनक लौटी। इधर, सुबह हुई बूंदाबादी से फसलों को संजीवनी मिल गई। उपकृषि निदेशक धुरेंद्र कुमार ने बताया, वायुमंडल में घुलित नाइट्रोजन पौधों को मिल गई है। पानी गिरने से पौधों की पत्तियां धुल गई है। इससे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में तेजी आने से पौधों की वृद्धि होगी। उनका कहना था, गेहूं की अधिकांश फसल की बोआई का काम हो गया है। दो-तीन फीसद किसान ही पिछैती बोआई कर रहे हैं। बूंदाबांदी होने से गेहूं की बोआई में एक-दो दिन की देरी हो सकती है। कृषि विज्ञान केंद्र के विज्ञानी डा. एसके मिश्रा ने बताया, रबी की मुख्य फसल गेहूं जो बीस दिन के हो गए हैं, उनके लिए हल्की बूंदाबांदी के रूप में आकाश से अमृत बरसा है। आलू की फसल के लिए बारिश फायदेमंद है। सरसों को भी बारिश का लाभ मिलेगा। --देर शाम तक छाए रहे बादल : बादलों को चीरकर दो बजे सूर्य चमका, लेकिन कुछ देर बाद ही बादलों की सेना ने उसे फिर घेर लिया था। देर शाम तक बादल छाए रहे। कृषि विज्ञानियों का कहना है, अधिक वर्षा होने पर सरसों की उस फसल में नुकसान हो सकता है, जिसकी किसानों ने हाल ही सिचाई की है। उसमें जड़ गलन रोग आने की संभावनाएं बढ़ जाएगी। आलू की मेड़ की ऊपरी परत कठोर हो जाएगी। इससे आलू की फसल में तना गलन की आशंका बढ़ जाएगी।