शरद पूर्णिमा पर वंशी बजाते दर्शन देंगे बांकेबिहारी

श्रद्धालुओं की सहूलियत के लिए सुबह शाम एक-एक घंटे बढ़ाया दर्शन का समय

By JagranEdited By: Publish:Sun, 17 Oct 2021 06:15 AM (IST) Updated:Sun, 17 Oct 2021 06:15 AM (IST)
शरद पूर्णिमा पर वंशी बजाते दर्शन देंगे बांकेबिहारी
शरद पूर्णिमा पर वंशी बजाते दर्शन देंगे बांकेबिहारी

संवाद सहयोगी, वृंदावन: शरद पूर्णिमा, वह दिन जब रात में धवल चांदनी के बीच आसमान से अमृत बरसेगा। यही वह रात है, जिस रात भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रजगोपियों संग कालिदी किनारे वंशीवट पर महारास रचाया था। मोर-मुकुट, कटि-काछनी, हीरे-मोती और जवाहरात के साथ सोलह श्रृंगार कर जब आराध्य बांकेबिहारी मुरली बजाते भक्तों को दर्शन देंगे, तो भक्त भी निहाल हो उठेंगे। साल में एक ही दिन मुरली बजाते बांकेबिहारी के इस विलक्षण पलों का साक्षी बनने को देश-दुनिया से श्रद्धालु शरद पूर्णिमा पर वृंदावन आएंगे।

ठा. बांकेबिहारी मंदिर में हर उत्सव साल में एक ही दिन मनाया जाता है। मंदिर सेवायत आचार्य गोपी गोस्वामी ने बताया, शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है, यही कारण है भगवान श्रीकृष्ण ने शरद पूर्णिमा की रात वंशीवट पर गोपियों संग महारास किया था। तभी से परंपरा पड़ी कि शरद की रात जब ठाकुरजी को चंद्रमा की रोशनी में विराजमान कराया जाता है, उन्हें खीर का भोग अर्पित करते हैं। ठा. बांकेबिहारीजी साल में एक ही दिन शरद पूर्णिमा पर महारास की मुद्रा में वंशी धारण कर भक्तों को दर्शन देंगे। मोर-मुकुट, कटि-काछनी, हीरे-मोती और जवाहरात धारण किए ठा. बांकेबिहारी जी श्वेत पोशाक में चांदी के सिंहासन पर विराजमान होकर मंदिर के जगमोहन में दर्शन देंगे, तो आसमान से चंद्रमा की धवल चांदनी उनके ऊपर पड़ेगी। ये विलक्षण दर्शन साल में एक ही दिन शरद पूर्णिमा की रात होते हैं। इन विलक्षण पलों का साक्षी बनने को देश-दुनिया में बैठे बांकेबिहारी के भक्त उतावले रहते हें।

-एक घंटे अधिक होंगे दर्शन

मंदिर प्रबंधन ने श्रद्धालुओं की सहूलियत के लिए सुबह और शाम दोनों ही सेवाओं में एक-एक घंटे देर तक दर्शन खोलने का निर्णय लिया है। ताकि अधिक श्रद्धालुओं को दर्शन सुलभ हो सकें। प्रबंधक मुनीश कुमार शर्मा ने बताया 20 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा पर ठा. बांकेबिहारीजी की राजभोग और शयनभोग सेवा के तय समय से एक घंटे देर तक दर्शन होंगे। दोपहर 1 बजे मंदिर के पट बंद होंगे तो रात को साढ़े दस बजे शयन आरती के बाद मंदिर के पट बंद होंगे। -इन मंदिरों में होंगे चंद्रमा की चांदनी में दर्शन

शरद पूर्णिमा पर ठा. राधा सनेह बिहारी मंदिर, राधा दामोदर मंदिर, राधारमण मंदिर, राधाश्याम सुंदर मंदिर, गोविद देव मंदिर, गोपीनाथ मंदिर, मदन मोहन मंदिर समेत सभी मंदिरों में ठाकुरजी चंद्रमा की रोशनी में श्वेत पोशाक धारण कर भक्तों को दर्शन देंगे।-होटल-गेस्टहाउसों में फुल हो रही बुकिग

शरद पूर्णिमा पर मुरली बजाते ठा. बांकेबिहारी के दर्शन के साथ दूसरे दिन शुरू हो रहे कार्तिक मास में करीब एक महीने तक देश-दुनिया के हजारों श्रद्धालु वृंदावन डेरा डालकर महीने भर होने वाले धार्मिक आयोजनों में शामिल होंगे। सुबह यमुना स्नान, पूजन, पंचकोसीय परिक्रमा, हरिनाम संकीर्तन, चौरासीकोस की परिक्रमा के आयोजन कार्तिक मास में होंगे। इसके लिए शहर के छोटे-बड़े गेस्ट हाउसों में बुकिग करीब साठ से सत्तर प्रतिशत पूरी हो चुकी है। ऐसे में बिना बुकिग करवाए आने वाले श्रद्धालुओं को कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है। -वाहनों की एंट्री पर रहेगा प्रतिबंध

शरद पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए पुलिस ने श्रद्धालुओं के वाहनों को शहर के बाहर ही पार्किंग में खड़ा कराने की योजना बनाई है। छटीकरा मार्ग से आने वाले श्रद्धालुओं को रुक्मिणी विहार बहुमंजिला पार्किंग, मां वैष्णोदेवी पार्किंग में खड़ा कराया जाएगा। यमुना एक्सप्रेस-वे से आने वाले वाहनों को पानीगांव संपर्क मार्ग स्थित दारुक पार्किग, पर्यटन सुविधा केंद्र की पार्किंग में खड़ा कराया जाएगा। मथुरा से आने वाले वाहनों को सौ शैया अस्पताल के सामने पार्किंग में खड़ा कराया जाएगा। ताकि शहर में यातायात व्यवस्था बाधित न हो। -चंद्रमा की रोशनी में रखी खीर बन जाती है औषधि

शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है, यही कारण है कि भगवान श्रीकृष्ण ने शरद पूर्णिमा की रात वंशीवट पर गोपियों संग महारास किया था। शरद की रात जब ठाकुरजी को चंद्रमा की रोशनी में विराजमान कराया जाता है, तो उन्हें खीर का भोग अर्पित करते हैं। ये खीर जब चंद्रमा की रोशनी में रखी जाती है, तो औषधि बन जाती है। ब्रज संस्कृति शोध संस्थान के सचिव लक्ष्मीनारायण तिवारी बताते हैं वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, दूध में लैक्टिक अम्ल और अमृत तत्व होता है। यह तत्व पूर्ण चंद्रमा किरणों से अधिक मात्रा में शक्ति का शोषण करता है। चावल में स्टार्च होने के कारण यह प्रक्रिया और आसान हो जाती है। यही कारण है ऋषि-मुनियों ने शरद पूर्णिमा की रात में खीर खुले आसमान में रखने का विधान किया। यह परंपरा विज्ञान पर आधारित है। शोध के अनुसार खीर को चांदी के पात्र में बनाना चाहिए। चांदी में प्रतिरोधकता अधिक होती है। इससे विषाणु दूर रहते हैं। हल्दी का उपयोग निषिद्ध है। प्रत्येक व्यक्ति को कम से कम 30 मिनट तक शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की रोशनी का स्नान करना चाहिए।

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