एक दशक पहले भरी हुंकार, अब तक न आई निर्मल जलधार

प्रयागराज से लेकर हथिनी कुंड तक निकाली गईं थीं यात्राएं जंतर-मंतर पर किए हुए प्रदर्शन

By JagranEdited By: Publish:Mon, 25 Jan 2021 05:50 AM (IST) Updated:Mon, 25 Jan 2021 05:50 AM (IST)
एक दशक पहले भरी हुंकार,  अब तक न आई निर्मल जलधार
एक दशक पहले भरी हुंकार, अब तक न आई निर्मल जलधार

जागरण संवाददाता, मथुरा: बांके बिहारी की नगरी में यमुना के तट पर एक दशक पहले अ‌र्द्ध कुंभ में साधु- संतों की कुटिया में यमुना में अविरल और निर्मल जलधारा लाने के लिए हुंकार भरी गई थी। दोबारा संत समागम (कुंभ) का वक्त आ गया। वृंदावन में यमुना तट एक बार फिर संवर रहा है, पर साधु-संतों का यमुना की अविरल और निर्मल जलधारा देखने का सपना आज तक पूरा न हो सका। कालिदी आज पहले से अधिक मैली हो गईं।

वृंदावन में यमुना किनारे वर्ष 2010 में लगे अ‌र्द्ध कुंभ में यमुना में अविरल और निर्मल जलधारा लाने को साधु- संतों ने शंखनाद किया था। 2 मार्च 2011 को ब्रज के विरक्त संत रमेश बाबा की अगुवाई में यमुना मुक्तिकरण का आंदोलन छेड़ दिया गया। इलाहाबाद से दिल्ली तक 47 दिन की पदयात्रा निकाली गई। 17 दिन तक जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन चला। यमुना जल को शुद्ध करने का सरकार से आश्वासन लेकर साधु -संत और ग्रामीण लौट आए। साधु-महात्मा इस बीच शांत नहीं बैठे । यमुना किनारे के गांवों में अलख जगाते रहे। समितियां गठित की गईं। दो साल तक जब यमुना को प्रदूषण मुक्त कराने का काम न हुआ, तो साधु-संतों के साथ ब्रजवासी भी साथ खड़े हो गए। 2 मार्च 2013 को वृंदावन के गरुण गोविद मंदिर से हजारों लोग दिल्ली की ओर पदयात्रा पर निकल पड़े। काफिला ज्यों-ज्यों आगे बढ़ा, लोग शामिल होते गए। उत्तर प्रदेश और हरियाणा की 1700 ग्रामीण समितियां आंदोलन में कूद पड़ीं। 12 मार्च को हजारों लोग दिल्ली पहुंचे। हथिनीकुंड तक जाने के लिए शुरू हुई यात्रा को एक बार फिर सरकार ने बीच में ही कोरा आश्वासन देकर लौटा दी। 11 मार्च 2015 को साधु -संतों ने बल्लभगढ़ से दिल्ली की ओर कूच किया। यमुना रक्षक दल ने 25 अक्टूबर 2014 को जमुनानगर से भजन-कीर्तन करते हुए दिल्ली तक पदयात्रा की। 1 नवंबर 2014 को पांच हजार से अधिक लोग हथिनीकुंड बैराज के गेट खोलने के लिए पहुंच गए थे। यमुना मुक्ति अभियान से जुड़े मान मंदिर के सचिव सुनील सिंह और यमुना रक्षक दल के संत बाबा जय किशनदास ने बताया, एक दशक पहले से अब यमुना अधिक मैली है। दो साल किया अखंड संकीर्तन: यमुना में अविरल और निर्मल जलधारा लाने के लिए पैदल यात्रा, नाव यात्रा, रथ यात्रा और साइकिल यात्रा निकाली गईं। संत जयकिशन दास कहते हैं, वृंदावन के केशीघाट पर 1 फरवरी 2012 को हरिनाम संकीर्तन आरंभ किया गया।ल,जो लगातार दो साल तक चला, पर यमुना का शुद्धिकरण न हो सका। -560 पत्र लिखे, 1.25 कराए हस्ताक्षर : यमुना के शुद्धिकरण को विश्व धर्मरक्षक दल ने वर्ष 2011 में हस्ताक्षर अभियान चलाया। संगठन के विजय चतुर्वेदी ने बताया, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री से लेकर नगर पालिका प्रशासन को 560 पत्र लिखे गए। सभी के उत्तर भी मिल गए, पर परिणाम शून्य ही रहा। 1.25 लोगों के हस्ताक्षर भी कराए गए। वर्ष 2008 में गांधी पार्क में कराए गए संत समागम में यमुना शुद्धिकरण की आवाज उठाई गई। असकुंडा, स्वामीघाट, विश्राम घाट और दौला मौला घाट पर जालीदार गेट यमुना गिरने वाले कचरे को रोकने के लिए लगवाए। -जब निकल पड़े जेसीबी लेकर: यमुना सभा के अध्यक्ष राजकुमार चतुर्वेदी और महामंत्री बालकृष्ण चतुर्वेदी ने बताया, वर्ष 2018 में यमुना में नाले गिर रहे थे। तक यमुना सभा ने जेसीबी लेकर नालों को यमुना में गिरने से बंद कराने का काम किया। कुछ दिन बाद इन नालों को फिर खोल दिया गया। वर्ष 2010 में श्रीमाथुर चतुर्वेद परिषद ने महेश पाठक की अध्यक्षता में शहर में रैली निकाली थी।

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