बिरादरी सरदारों की हुकूमत के लदे दिन

By Edited By: Publish:Sat, 17 May 2014 12:31 AM (IST) Updated:Sat, 17 May 2014 12:31 AM (IST)
बिरादरी सरदारों की हुकूमत के लदे दिन

जागरण संवाददाता, मथुरा: मोदी की सुनामी में घारों की धार भी भोंथरी हो गई। बिरादरियों के सेनापति भी अपने अभेद्य दुर्ग को ढहने से न बचा पाए। अप्रत्याशित चुनाव परिणामों ने मथुरा के चुनावी इतिहास में फिर एक बार नई इबारत लिखी है।

मोदी के तूफान में बिरादरियों के अभेद्य दुर्ग तिनके की तरह बिखर गए। यहां तक कि रालोद का गढ़ मानी जा रही मांट की जाट बहुल नौहवारी में भी भाजपाई सेना ने बड़े ठाट से सेंध लगा दी। मांट क्षेत्र की ठाकुर बहुल छत्तीसी में हैंडपंप पहले ही हिचकी ले रहा था। गोवर्धन क्षेत्र के जाट बाहुल्य खूंटैल पट्टी में भी रालोद का दबदबा कमजोर पड़ गया। रालोद का एक और मजबूत किला बल्देव विधान सभा क्षेत्र भी उसे सहारा न दे पाया। सिसौदिया, जादौन, जसवात, छौंकर, कुशवाहा, तरकर, चौहान, जायस, तोमर, गौर, गाबर और सिकरवार घार में पिछली बार रालोद ने जो पकड़ बनाई थी, वह उसके हाथ से फिसल गई। बिरादरियों को एक डोर में बांधकर चलने वाले सरदारों की हुकूमत भी खत्म हो गई।

जाट बिरादरी के बलबूते दम भर रहे रालोद का भ्रम भी बिरादरी ने ही तोड़ डाला। भाजपा ने जाट वोट बैंक में जबर्दस्त सेंधमारी की। जाट मत दस-पंद्रह फीसदी भाजपा के पाले में जाने का अनुमान लगाया जा रहा था, लेकिन चुनाव परिणामों में स्थिति एकदम उलट निकली।

रालोद के पोलिंग एजेंट सुरेश प्रधान ने बताया कि बल्देव में रालोद के तीस से चालीस फीसदी मत भाजपा के खाते में चले गए, जबकि पिछले चुनाव में रालोद ने यह मत शत-प्रतिशत हासिल किया था। सपा के कार्यकर्ता ठाकुर कमल सिंह सिसौदिया ने बताया कि मानवेंद्र सिंह ने ठाकुर बिरादरी को बांधकर रखा था, लेकिन ठाकुर चंदन सिंह को बिरादरी ने पूरी तरह से नकार ही दिया। सपा से ठाकुर प्रत्याशी होने के बाद भी बिरादरी उनके साथ खड़ी नहीं रह सकी।

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