सीएमओ साहब! नसबंदी कराई थी, फिर प्रेग्नेंट हो गई

पति-पत्‍‌नी पढ़े-लिखे नहीं हैं। साधन संपन्न भी नहीं हैं। ये अच्छी तरह से

By JagranEdited By: Publish:Sat, 24 Jul 2021 02:55 AM (IST) Updated:Sat, 24 Jul 2021 02:55 AM (IST)
सीएमओ साहब! नसबंदी कराई थी, फिर प्रेग्नेंट हो गई
सीएमओ साहब! नसबंदी कराई थी, फिर प्रेग्नेंट हो गई

दिलीप शर्मा, मैनपुरी: पति-पत्‍‌नी पढ़े-लिखे नहीं हैं। साधन संपन्न भी नहीं हैं। ये अच्छी तरह से जानते हैं कि बच्चे दो ही अच्छे। दो बेटे हैं। दोनों की परवरिश बेहतर तरीके से कर सकेंगे। यही सोचकर पिछले वर्ष दिसंबर में पत्‍‌नी ने नसबंदी भी करा ली। इसके बावजूद कोख भर गई। दंपती परेशान हो गए। जागरूक पत्‍‌नी ने तो सीएमओ को पत्र लिखकर शिकायत कर दी। लिखा है- 'नसबंदी के बाद भी मैं प्रेग्नेंट हो गई, सरकार से जो राशि मिलती है, वो भी नहीं मिली।' महिला का कहना है कि आपरेशन फेल होने की क्षतिपूर्ति भी दिलवा दें। बच्चों की परवरिश में काम आएगी।

मामला घिरोर तहसील क्षेत्र के एक गांव का है। यहां रहने वाली एक महिला के दो बेटे (सात और तीन वर्षीय) हैं। उनका पति किसान हैं। बहुत कम खेती है। इसी खेतीबाड़ी से परिवार गुजर कर रहा है। पिछले वर्ष दंपती ने बच्चे, दो ही अच्छे की नीति का पालन करने का निश्चय किया। इसके लिए दंपती ने स्थानीय आशा कार्यकर्ता से संपर्क किया।

आशा ने 26 दिसंबर, 2019 को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) घिरोर पर महिला की नसबंदी कराई। इसके बाद वह निश्चिंत हो गई। लेकिन, मई में महिला को गर्भ ठहरने का अहसास हुआ। आशा कार्यकर्ता ने प्रेगनेंसी टेस्ट कराया, जिसमें गर्भवती होने की पुष्टि हुई।

अब महिला तीसरे बच्चे के पालन-पोषण के लिए चिंतित है। 22 जुलाई को सीएमओ को पत्र दिया, जिसमें तीसरे बच्चे के भरण-पोषण के लिए सरकारी मदद की मांग की गई है। महिला ने बताया कि तीसरे बच्चे की देखभाल के लिए सरकार को इसके लिए आर्थिक मदद देनी चाहिए। प्रोत्साहन राशि भी नहीं मिली

महिला ने बताया कि उसे नसबंदी कराने के बाद दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि भी नहीं मिली है। इसके लिए वो लगातार चक्कर काट रही है। डाक्टर आश्वासन देकर टरका देते हैं।

नसबंदी फेल होने पर क्षतिपूर्ति का है प्रविधान

सीएमओ के मुताबिक, एक-दो फीसद मामले फेल्योर के होते हैं। नसबंदी से पहले भरवाए जाने वाले फार्म में इसका उल्लेख होता है। नसबंदी फेल होने की स्थिति क्षतिपूर्ति का प्रविधान किया गया है। पूर्व में क्षतिपूर्ति के रूप में 30 हजार रुपये दिए जाते थे। एक अप्रैल 2019 से 60 हजार रुपये कर दी गई है। क्षतिपूर्ति आवेदन की ये है प्रक्रिया

स्वास्थ्य सूचना शिक्षा अधिकारी रवींद्र सिंह गौर के अनुसार, नसबंदी आपरेशन फेल होता है तो सीएमओ कार्यालय से फार्म लेकर संबंधित आशा कार्यकर्ता के जरिए अपने क्षेत्र के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) पर जमा कराना होता है। सीएचसी प्रभारी अपनी आख्या के साथ जिला स्तरीय समिति को रिपोर्ट भेजते हैं। समिति की संस्तुति पर शासन से क्षतिपूर्ति राशि स्वीकृत होती है। आवेदन दें, मिलेगी क्षतिपूर्ति राशि

यदि महिला की नसबंदी फेल हुई है तो नियमानुसार आवेदन दें। आवेदन के परीक्षण के बाद उनको नियमानुसार क्षतिपूर्ति राशि की संस्तुति कराई जाएगी।

-डा. पी पी सिंह

सीएमओ

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