लो, चलने लगी बदलाव की बयार

स्वच्छता को शुरू की गई जागरूकता की मुहिम अब असर दिखाने लगी है। जागरण के बैनर तले चल रहे अभियान के साथ न सिर्फ विद्यार्थी बल्कि शिक्षकों ने भी हाथ मिलाए हैं। परिवर्तन की बयार का असर भी दिखा। विद्यार्थियों ने न सिर्फ अपने विचारों से सफाई की अहमियत समझाई, बल्कि अपनों को भी जागरुक करने का जिम्मा उठाया।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 25 Sep 2018 11:00 PM (IST) Updated:Tue, 25 Sep 2018 11:00 PM (IST)
लो, चलने लगी बदलाव की बयार
लो, चलने लगी बदलाव की बयार

जासं, मैनपुरी : स्वच्छता को शुरू की गई जागरूकता की मुहिम अब असर दिखने लगा है। जागरण की स्वच्छता पाठशाला में न सिर्फ विद्यार्थी बल्कि शिक्षकों ने भी हाथ मिलाए हैं। परिवर्तन की बयार का असर भी दिखा। विद्यार्थियों ने न सिर्फ अपने विचारों से सफाई की अहमियत समझाई, बल्कि अपनों को भी जागरुक करने का जिम्मा उठाया।

मंगलवार को बंशीगौहरा स्थित सीआरबी स्कूल में लगी स्वच्छता की पाठशाला में प्रधानाचार्य एनके बंसल ने कहा कि हर साल अभियान चलाकर हमें सफाई की अहमियत समझाई जाती है। लेकिन, हम सिर्फ एक दिन के लिए ही अपनी जिम्मेदारी निभाते हैं। अगर, हम आदतों को बदल जवाबदेही समझें तो हमारा शहर भी दूसरे स्वच्छ शहरों की सूची में शामिल हो सकता है।

शिक्षिका भद्रशा तोमर का कहना है कि यह सिर्फ एक या दो व्यक्तियों का ही काम नहीं है। जब तक समाज के प्रत्येक व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारी का अहसास नहीं होगा, स्वच्छता के सपने को साकार नहीं किया जा सकता। शिक्षिका प्रियंका का कहना है कि कोई भी अभियान तभी सफल होता है, जब समाज के व्यक्ति जागरूक रहते हैं। इस अभियान में विद्यार्थी एक बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। वो चाह लें तो निश्चित ही बड़ा बदलाव भी हो सकता है। शिक्षक भरत तिवारी ने उदाहरणों के माध्यम से विद्यार्थियों को प्रोत्साहित कर कूड़ादान रखवाए जाने की अपील की। छोटे हाथों ने उठाई बड़ी जिम्मेदारी

स्वच्छता के मूल मंत्र को समझने की जरूरत इसलिए भी है क्योंकि इसी से हमारा स्वास्थ्य भी जुड़ा हुआ है। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है। हमें मिलकर साथ चलना होगा।

यति सक्सेना।

हमारी कमजोरी है कि हम सिर्फ कहते ही हैं, कभी अमल नहीं करते। अब इस सोच को बदलने की जरूरत है। सफाई तभी हो सकती है जब हम अपनी सोच में बड़ा बदलाव कर लें।

आस्था दुबे।

हमें कक्षा में भी सफाई के बारे में बताया जाता है। गंदगी से होने वाली बीमारियों के बारे में भी पढ़ते हैं। लेकिन, सिर्फ पढ़कर भूल जाते हैं। अब स्वच्छता को भी दिनचर्या का हिस्सा बनाएंगे।

संस्कृति।

हर कोई दूसरों पर जिम्मेदारी थोपकर अपनी जवाबदेही से बचना चाहता है। लेकिन, यदि सभी ऐसा ही सोचेंगे तो फिर पहल कौन करेगा। हमें ही पहल करनी होगी।

प्रार्थना चौहान।

मैने अपनी जिम्मेदारी समझ ली है। कसम ली है कि कूड़ा हमेशा निर्धारित स्थान पर ही फेंकूंगा। इतना ही नहीं, अपने परिवार के सदस्यों से भी साफ-सफाई रखने की अपील करूंगा।

प्रतीक चौहान।

पहल खुद करूंगा। व्हाट्सएप पर दोस्तों का ग्रुप बनाकर स्वच्छता की मुहिम शुरू करूंगा। दोस्तों से भी अपील है कि वे भी अपनी आदतों में बदलाव कर एक अच्छे शहरवासी का दायित्व निभाएं।

निखिल तोमर।

शहर तो हमारा अपना है और हमसे ही इसकी पहचान है। फिर क्यों हम अपनी ही पहचान को गंदा करते हैं। अगर, हर कोई अपनी जवाबदेही निभा दे तो हमारा शहर भी स्वच्छ शहरों की सूची में शामिल हो सकता है।

दक्ष प्रताप।

मैं अपने परिवार वालों को भी इस अभियान में जोडूंगा। शुरुआत घर से ही होगी। खुले में कचरा फेंकने की बजाय कूडे़दान में ही फेंकेंगे। दूसरों से भी अपील करूंगा कि वे भी इस काम में मदद करें।

अभय भदौरिया।

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