गेहूं की पैदावार कम, किसानों की परेशानी ज्यादा
इस बार हल्का और पतला निकल रहा दाना उत्पादन भी कम पानी लगाने के बाद चली बयार से पड़ा गेहूं पर असर
जासं, मैनपुरी: इस बार गेहूं की पैदावार कम होने से किसानों के चेहरों पर मायूसी छाई है। एक बीघा में मात्र दो से तीन कुंतल ही गेहूं ही निकल रहा है। बीते साल मौसम की खराबी के बाद भी बेहतर फसल लेने वाले किसान इस बार के उत्पादन को लेकर हैरान हैं। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार मौसम में बदलाव के चलते पैदावार पर असर हुआ है, जिससे गेहूं का दाना हल्का और पतला रह गया है।
गेहूं की फसल में बाली निकलने और पकने तक मौसम के परिवर्तन से जो आशंका किसानों के मन में थी, वह सच साबित हुई। बिछवां, कल्होर पछां, नगला हीरा, अजीतगंज, बिछवां सहित समूचे जिले में गेहूं की पैदावार पर मौसम के परिवर्तन का काफी विपरीत असर पड़ा है।
किसानों के खेत में गेहूं की पैदावार प्रति बीघा तीन से चार कुंतल के बीच ही निकल रही है। किसानों का कहना है कि लागत तो बढ़ी है, पर पैदावार कम होने से मुनाफा काफी कम हुआ है। जिले में करीब 1.65 लाख हेक्टेअर में गेहूं की फसल बोई गई थी। फरवरी के अंतिम सप्ताह में और मार्च के प्रथम सप्ताह में अचानक मौसम में तापमान में बहुत तेज परिवर्तन हुआ था। इससे फसल पर प्रभाव पड़ा। किसानों ने फसल को बचाने के लिए पानी का सहारा भी लिया, लेकिन कामयाबी नहीं मिली।
यह बनी वजह
जिला कृषि अधिकारी डा. गगनदीप सिंह के अनुसार, जिस समय गेहूं की फसल में बाली निकल रही थी। उस समय फसल के लिए अधिकतम तापमान 20 से 25 सेंटीग्रेट तक होना चाहिए था, लेकिन मौसम आए अचानक बदलाव के बाद यह तापमान बिगड़ गया। वहीं, फसल को पानी देने के दौरान बयार चलने से पौधा हिल गया और उसमें दाना ठीक से नहीं बन सका। इस बार दस कुंतल तक कम
इस बार 15 बीघा में गेहूं फसल पैदा की थी। मौसम विपरीत होने से फसल कमजोर रह गई है। इस बार गेहूं का दाना कमजोर और पतला रह गया है। इस जमीन में इस साल 45 से 50 कुंतल तक गेहूं पैदा हुआ है, जबकि बीते साल इसी जमीन में 60 कुंतल की पैदावार निकली थी। पूरी कीमत के बाद भी फसल से करीब बीस हजार का घाटा मिला है।
-रामचंद गुप्ता, नगला दशरथ।