हद है, इंसानी मौत की संख्या में भी आंकड़ों का खेल

ढाई महीना पहले अगस्त में शहर के उद्दैतपुर अभई से शुरू हुआ बुखार का जानलेवा कहर आज जिले के दर्जनों गांव को अपनी चपेट में ले चुका है। अब तक जिले में 250 से ज्यादा लोग डेंगू जैसे लक्षण का शिकार होकर काल के गाल में समा चुके हैं लेकिन स्वास्थ्य विभाग के रिकार्ड में डेंगू तो जिले में है ही नहीं। सरकारी रिकार्ड में जो 32 मौत हुई हैं वे भी पायरेक्सिया से हुई हैं जिसमें ज्यादातर गैसपिग हालत में अपने मरीजों को लेकर इमरजेंसी आए थे।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 19 Oct 2021 05:00 AM (IST) Updated:Tue, 19 Oct 2021 05:00 AM (IST)
हद है, इंसानी मौत की संख्या में भी आंकड़ों का खेल
हद है, इंसानी मौत की संख्या में भी आंकड़ों का खेल

जासं, मैनपुरी: ढाई महीना पहले अगस्त में शहर के उद्दैतपुर अभई से शुरू हुआ बुखार का जानलेवा कहर आज जिले के दर्जनों गांव को अपनी चपेट में ले चुका है। अब तक जिले में 250 से ज्यादा लोग डेंगू जैसे लक्षण का शिकार होकर काल के गाल में समा चुके हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के रिकार्ड में डेंगू तो जिले में है ही नहीं। सरकारी रिकार्ड में जो 32 मौत हुई हैं वे भी पायरेक्सिया से हुई हैं जिसमें ज्यादातर गैसपिग हालत में अपने मरीजों को लेकर इमरजेंसी आए थे।

सीएमओ डा. पीपी सिंह का कहना है कि जिले में डेंगू नहीं है। कुछ अवैध पैथोलाजी संचालकों द्वारा मनमानी रिपोर्ट देकर मरीजों को भ्रमित करने का काम किया जा रहा है। जो मौत हुई हैं, उनमें भी ज्यादातर का उपचार स्वजन द्वारा झोलाछाप से कराया जा रहा था। जिला अस्पताल में बेहतर उपचार से बड़ी संख्या में मरीज ठीक होकर जा चुके हैं। सच बताया तो शासन करेगा कार्रवाई

असल में मीडिया और प्रशासन की जांच में मौत का बड़ा अंतर इसलिए है कि यदि प्रशासन द्वारा डेंगू के प्रकोप की बात कही जाती है तो शासन स्तर से कई जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है। कोविड संक्रमण के दौरान प्रतिदिन सैनिटाइजेशन के निर्देश थे। लगातार जलभराव वाले क्षेत्रों में सफाई और नालों को ढकवाने के लिए भी शासन द्वारा निर्देश दिए जा चुके हैं। जिम्मेदारों द्वारा प्रतिदिन बेहतर कार्य होना दर्शाया जा रहा था। अब यदि डेंगू से मौत की वजह बताते हैं तो सवाल उठता है कि जब सामान्य दिनों में बेहतर कार्य कराया तो मच्छर कहां से आ गए। निगरानी समितियां हुईं निष्क्रिय

शासन के निर्देश हैं कि बुखार के प्रकोप को देखते हुए निगरानी समितियों के साथ आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, शिक्षक और एएनएम के साथ सभासदों को कालोनियों के एक-एक घर के सर्वे की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। समितियों द्वारा न तो बीमार का सर्वे हुआ और न ही मृतकों का। वहीं स्वास्थ्य विभाग द्वारा भी मौत की सूचना मिलने पर डेथ आडिट नहीं कराया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग यह कहकर पल्ला झाड़ रहा है कि मौत सामान्य बीमारी से हुई हैं, क्योंकि किसी की भी जांच रिपोर्ट में डेंगू, मलेरिया आदि नहीं लिखा जा रहा है। प्राइवेट अस्पताल भी बहुत सी मौत की जानकारी को छिपा रहे हैं। इसलिए नहीं लग रहा डेंगू पर अंकुश

जिले में महामारी का रूप ले चुका डेंगू को प्रशासन और स्वास्थ्य महकमा मानने से ही इन्कार कर रहा है। विभाग इसे सामान्य बुखार बता रहा है। घरों में मच्छरों के लार्वा की जानकारी तो जुटाई जा रही है, लेकिन मच्छरों को मारने की कार्रवाई ठंडे बस्ते में हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस बीमारी के लिए लोगों को ही जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। कुछ ऐसे हो रहा खेल

मौतों का आंकड़ा बढ़ता देख प्रशासन ने प्राइवेट पैथोलाजी पर सख्ती करते हुए डेंगू जांच पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी है। जिला अस्पताल में दावा तो किया जा रहा है, लेकिन यहां दोपहर 12 बजे के बाद कोई सैंपल लिया ही नहीं जाता। अस्पताल में भर्ती होने वाले बुखार पीड़ितों के सैंपल डेंगू की जांच के लिए आगरा और सैफई भेजे जा रहे हैं। अस्पताल प्रशासन बुखार से आने वाले मरीजों की सिर्फ सीबीसी कराकर उनमें प्लेटलेट्स काउंट को देखकर ही इलाज कर रहे हैं। जिन मरीजों की डेंगू जांच की जरूरत होती है, उनके सैंपल भेजे जाते हैं। सीबीसी जांच के आधार पर मरीजों का उपचार दिया जा रहा है। मरीजों को राहत भी मिल रही है। अपील है कि मरीज अस्पताल को लाएं और झोलाछाप से बचें। विभाग के पास उपलब्ध जानकारी के अनुसार 32 लोगों की मौत बुखार से हुई हैं।

डा. पीपी सिंह, सीएमओ

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