एलाऊ का आदर्श तालाब खो चुका अपना अस्तित्व

अवैध कब्जों के कारण तालाब सिकुड़ गया है। तालाब के एक हिस्से पर आशियाने खड़े हो गए।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 07 May 2021 05:02 AM (IST) Updated:Fri, 07 May 2021 05:02 AM (IST)
एलाऊ का आदर्श तालाब खो चुका अपना अस्तित्व
एलाऊ का आदर्श तालाब खो चुका अपना अस्तित्व

संसू, अजीतगंज, मैनपुरी: जिले में पानी सहेजने के ठिकाने अवैध कब्जों का शिकार हो गए हैं। तालाबों को सुंदर और गहरा बनाने के लिए सरकार हर साल करोड़ों की धनराशि आवंटित करती हैं, लेकिन अतिक्रमणकारी इन जलाशयों के अस्तित्व को ही मिटाने पर तुले हैं।

विकास खंड जागीर क्षेत्र के ग्राम एलाऊ में पुश्तैनी तालाब बदहाल हो गया हैं। एक दशक बीत गया, लेकिन किसी जनप्रतिनिधि ने तालाब में फावड़ा नहीं चलाया। 10 बीघा रकवा वाले इस तालाब के आधे हिस्से पर तो अतिक्रमणकारियों ने मकान बना कर कब्जा जमा लिया है। ग्रामीण सुधीश चौहान ने एक वर्ष में डीएम और एसडीएम भोगांव के कार्यालय में दर्जनों शिकायती पत्र दिए, लेकिन जांच के नाम पर यह सब ठंडे बस्ते में डाल दिए गए।

अब तालाब के किनारों पर भूसे की बुर्जी और पशु बंधे देखे जा सकते हैं। वहीं, मकान भी कब्जों की बात को साबित करते हैं। किनारों पर मिट्टी डालकर दबंगों ने कब्जा जमा लिया है। बुजुर्ग ग्रामीण बताते हैं कि दो दशक पहले तालाब पर अतिक्रमण नहीं था। इसके बाद कब्जाधारकों ने तालाब के अस्तित्व को मिटा दिया।

क्षेत्र में मनरेगा योजना के तहत कई ग्राम पंचायतों के तालाबों में साफ- सफाई कार्य कराकर जलभराव कराया गया, लेकिन एलाऊ के तालाब की जनप्रतिनिधि ने सुध नहीं ली। कूड़ा डालने से वातावरण दूषित हो गया है, गुजरने वाले ग्रामीणों को दुर्गंध का सामना करना पड़ता है। तालाब की साफ-सफाई एवं जलभराव कराने से भूजल स्तर बेहतर रहता है। प्रशासन को तालाब पर किए गए अतिक्रमण को हटवा कर उसके अस्तित्व को बचाना चाहिए।

अवधेश दिवाकर। तालाब और पोखर गांव की शान होते हैं। सरकार द्वारा ग्राम पंचायतों को दी गई धनराशि से तालाबों की साफ-सफाई और जलभराव कराना प्रधान और सभी ग्रामीणों की जिम्मेदारी है।

गौतम पाल। मनरेगा योजना से कागजों में तालाबों की साफ-सफाई कराकर सरकारी धन का बंदरबांट कर लिया, लेकिन तालाब बदहाल ही रहे। ऐसे जनप्रतिनिधियों पर सरकार को शिकंजा कसना चाहिए।

सुधीश सिंह चौहान। तालाबों के संरक्षण के लिए सभी ग्रामीणों को एकजुट होकर श्रमदान करना चाहिए, जिससे पशुपालकों को पानी का संकट ना झेलना पड़े। बरसात के पानी को एकत्रित कर तालाब में भरवाना चाहिए।

नीरज दिवाकर।

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