शौचालयों में स्टोर, झोंपड़ी में परिवार

सरकारी योजनाओं का लाभ पाना गरीबों के लिए काफी मुश्किल भरा होता है। कुछ ऐसे ही हालात ब्लाक जागीर की ग्राम पंचायत मंगलपुर के मजरा दयारामपुर हविलिया में दिखते हैं। करीब पांच दशक से नागर जाति के 10 परिवार तमाम सरकारी आवास योजनाओं का संचालन होने के बाद आजतक एक अदद पक्के आवास का लाभ नहीं उठा सके हैं। पक्का कमरा न होने से यह सभी आज भी फूस की झोपड़ी- पन्नी डालकर रह रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 13 Oct 2021 04:45 AM (IST) Updated:Wed, 13 Oct 2021 04:45 AM (IST)
शौचालयों में स्टोर, झोंपड़ी में परिवार
शौचालयों में स्टोर, झोंपड़ी में परिवार

संसू, अजीतगंज:

केस-एक

मीना देवी पति और तीन बच्चों के साथ झोंपड़ी में गुजर-बसर कर रही हैं। आवास योजना में लाभ के लिए ब्लाक में कई प्रार्थना पत्र दिए, लेकिन किसी ने सुनवाई नहीं की। मजबूरी में शौचालय को स्टोर बनाकर जरूरी सामान रख लेती हैं। केस दो

राजेश कुमार पत्नी और बच्चों के साथ सालों से झोंपड़ी में रह रहे हैं। बारिश और सर्दियों में परिवार दिक्कत झेलता है। शौचालय का लाभ भी नही मिला, जबकि आवास के लिए ब्लाक में दिए गए प्रार्थना पत्रों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। केस-3तीन-

पक्का आवास न होने से मां और बच्चों के साथ शीलेंद्र कुमार हर मौसम में झोंपड़ी में ही रहने को विवश हैं। आसपास के कई परिवारों को शौचालय का लाभ मिला, जबकि यह उससे भी वंचित रह गए। अब मजबूरी में यह परिवार फूस की झोंपड़ी को आवास बनाए है। केस-चार-

पिता के निधन के बाद शिवानी मां और नानी के साथ झोंपड़ी में जीवन यापन कर रही हैं। आवास छोड़िए, इनको शौचालय का भी लाभ नहीं मिला है। आवास के लिए प्रधान और सचिव के साथ ब्लाक में फरियाद की गई, लेकिन लाभ नहीं मिल सका। सरकारी योजनाओं का लाभ पाना गरीबों के लिए काफी मुश्किल भरा होता है। कुछ ऐसे ही हालात ब्लाक जागीर की ग्राम पंचायत मंगलपुर के मजरा दयारामपुर हविलिया में दिखते हैं। करीब पांच दशक से नागर जाति के 10 परिवार तमाम सरकारी आवास योजनाओं का संचालन होने के बाद आजतक एक अदद पक्के आवास का लाभ नहीं उठा सके हैं। पक्का कमरा न होने से यह सभी आज भी फूस की झोपड़ी- पन्नी डालकर रह रहे हैं। चार सौ की आबादी वाले इस मजरे में करीब ढाई सौ मतदाता हैं। इनमें नागर जाति के यह परिवार भी शामिल हैं। जितेंद्र कुमार और आनंद कुमार आदि ने बताया कि आवास योजना का लाभ पाने के लिए उन्होंने कई बार प्रधान, सचिव से गुहार लगाई, लेकिन इनका दिल नहीं पसीजा। मेहनत- मजदूरी करके अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे इन लोगों पर राशन- आधार कार्ड हैं। शौचालय का लाभ आधे परिवारों को मिल सका है। शौचालय बने स्टोर रूम- पक्का आवास न होने पर कुछ परिवारों ने स्वच्छ भारत ग्रामीण मिशन में शौचालयों को स्टोर रूम बना लिया है। यह परिवार इसमें कपड़े और जरूरी सामान रख लेते हैं। - इनकी भी सुनो- फिलहाल योजना से संबंधित वेबसाइट बंद है। इसके खुलते ही इन परिवारों को आवास का लाभ दिलाने को पंजीकरण कराया जाएगा। पूर्व में क्या हुआ, वह नही जानते।

- उपेंद्र दिवाकर, प्रधान। परिवारों की वास्तविकता का पता चला है। लक्ष्य आते ही ऐसे परिवारों को आवास योजना का लाभ दिलाने की पहल होगी।

- सुनील मिश्रा, सचिव।

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