.. तो बिना डाक्टर कोरोना से लड़ेगी सरकार

चतुरीपुर नवीन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सरकार के दावों की पोल खोल रहा है। बचों का इलाज तो दूर वयस्कों के उपचार के लिए भी चिकित्सक नहीं हैं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 22 Jul 2021 04:45 AM (IST) Updated:Thu, 22 Jul 2021 04:45 AM (IST)
.. तो बिना डाक्टर कोरोना से लड़ेगी सरकार
.. तो बिना डाक्टर कोरोना से लड़ेगी सरकार

संवाद सूत्र, कुसमरा(मैनपुरी): कोरोना के संक्रमण लड़ने के लिए तैयारियों के बड़े-बड़े दावे हैं। प्रदेश सरकार प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को सक्षम बनाकर बच्चों के इलाज तक की सुविधा मुहैया कराने की बातें कह रही है। हकीकत में सरकार का यह दावा कई स्वास्थ्य केंद्रों पर खोखला है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर डाक्टर की तैनात नहीं तो कोरोना से लड़ाई कैसे लड़ी जाएगी, इसका अंदाजा लगाना कतई मुश्किल नहीं। किशनी ब्लाक का प्राथमिक स्वास्थ्य चतुरीपुर इस अनदेखी का प्रमाण है।

ग्रामीण अंचल में स्वास्थ्य सेवाओं की पड़ताल के लिए बुधवार को 'जागरण' नवीन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) चतुरीपुर पहुंचा। सुबह 11 बजे फार्मासिस्ट मान सिंह अपने कक्ष में बैठे मिले। वह कुछ मरीजों को परीक्षण कर दवाएं दे रहे थे। बताया कि पीएचसी पर किसी डाक्टर की तैनाती नहीं है। केंद्र पर एक डाक्टर, एक फार्मासिस्ट, एक लैब टैक्नीशियन, एक वार्ड ब्वाय व एक स्वीपर का पद स्वीकृत है। इनमें से केवल फार्मासिस्ट व स्वीपर की ही तैनाती है। मानसिंह ने बताया कि वह खुद ही मरीज को देखते हैं और दवा दे देते हैं।

पीएचसी के दायरे में दो दर्जन से ज्यादा गांव आते हैं। इन गांवों के मरीजों को केंद्र पर इलाज के पर्याप्त इंतजाम न होने से परेशानी झेलनी पड़ रही है। आसपास के ग्रामीणों ने बताया कि पीएचसी में रोजाना 50 से 60 मरीज मरीज आते हैं। इनमें से बहुत से डाक्टर न होने के कारण बैरंग ही लौट जाते हैं। चिकित्सकों के आवास बने खंडहर

पीएचसी परिसर में चिकित्सक व अन्य स्टाफ के लिए आवास भी बने हैं। परंतु यहां कोई नहीं रहता। ऐसे में आवास लगातार जर्जर हो रहे हैं। पीएचसी पर सफाई भी बदहाल

पीएचसी परिसर में सफाई भी बदहाल पड़ी है। जगह-जगह गंदगी और कचरा नजर आया। शौचालय भी गंदा पड़ा मिला। जांच के नहीं कोई इंतजाम

पीएचसी पर पैथालाजी है, परंतु कोई उपकरण नहीं आए। लैब तकनीशियन की तैनाती नहीं है। ऐसे में सामान्य जांचे भी नहीं हो रही हैं। कोविड जांच तक की सुविधा नहीं है। उपचार को 20 किलोमीटर की दौड़

पीएचसी पर चिकित्सक व अन्य सुविधाएं न होने से क्षेत्र के मरीजों को परेशानी हो रही है। उनको उपचार के लिए 20 किलोमीटर दूर कुसमरा या किशनी स्थित स्वास्थ्य केंद्र तक जाना पड़ता है। इनकी भी सुन लो पीएचसी केवल नाम की है। डाक्टर न होने से यह मरीजों को लाभ नहीं दे पा रही। हमें मजबूरी में झोलाझापों के पास जाना पड़ता है।

कामता प्रसाद, क्षेत्रवासी मैं कई बार पीएचसी पर दवा लेने गया। वहां हर बार फार्मासिस्ट मिलते हैं। वह कुछ दवाएं देकर चलता कर देते हैं।

राजेंद्र सिंह, क्षेत्रवासी पीएचसी पर जांच की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है। जांच कराने के लिए निजी केंद्रों पर जाना पड़ता है, जहां ज्यादा कीमत ली जाती है।

अभिषेक, क्षेत्रवासी सरकार के दावे दिखावे के लिए हैं। हकीकत में स्वास्थ्य केंद्रों का बुरा हाल है। ये पीएचसी भी इसका ही उदाहरण है।

सुभाष सिंह, क्षेत्रवासी

----- बोले जिम्मेदार

पीएचसी चतुरीपुर पर फिलहाल कोई चिकित्सक तैनात नहीं है। इस संबंध में प्रस्ताव भेजा गया है। जल्द ही चिकित्सक की तैनाती कर व्यवस्था बेहतर की जाएगी।

डा. अजय भदौरिया, चिकित्सा अधीक्षक, सीएचसी किशनी जानकारी मिली है कि न्यू पीएचसी के अलावा कई अन्य पीएचसी पर विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी है। पहले से ही जिले में चिकित्सक कम हैं। ऐसे में प्रयास है कि हमारे पास जो चिकित्सक हैं, उनकी मदद से ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों पर उपचार मुहैया कराए जाएं। स्टाफ नर्सों, पैरामेडिकल स्टाफ, फार्मासिस्ट की भी मदद ली जाएगी। जल्द ही व्यवस्था कराई जाएगी। उच्चाधिकारियों के संज्ञान में भी चिकित्सकों की कमी का मामला लाया गया है।

-डा. पीपी सिंह, सीएमओ

chat bot
आपका साथी