कोरोना की दूसरी लहर ने समझाया सांसों का मोल
एल-2 आइसोलेशन अस्पताल के आसपास चौबीस घंटे गूंजती रहती थी चीखें फैली रही थी दहशत
जासं, मैनपुरी: दूसरी लहर ने जिले में भी खूब कहर बरपाया था। खासकर 19 अप्रैल से 20 मई तक मौत का ऐसा तांडव हुआ कि अस्पतालों से लेकर सड़कों तक सिर्फ लाशें और उनके स्वजन की चीखें ही सुनाई दे रही थीं। स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में जिन्होंने अपनों को खोया वे आज भी बदहाल व्यवस्था को कोसते हैं। सीमित स्वास्थ्य सेवाओं और संसाधनों के बीच प्रशासन भी खुद को असहाय महसूस कर रहा था। हालात ऐसे हो चुके थे कि एल-2 आइसोलेशन अस्पताल में मरीजों को रखने के लिए तीमारदार तैयार ही नहीं होते थे। बावजूद इसके चिकित्सकों और प्रशासनिक अधिकारियों ने हिम्मत नहीं हारी। आखिरकार हालात सामान्य होने लगे। अब तीसरी लहर की चेतावनी को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन खुद को तैयार करने में लगा हुआ है। दूसरी लहर में जो खामियां इंतजामों के आडे़ आई थीं, उन्हें अब दूर कराया जा रहा है। सीएमओ डा. पीपी सिंह का कहना है कि बहुत सी कमियां दूर हो चुकी हैं। विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी ही बाकी बची है, जिसके लिए उच्चाधिकारियों से भी पत्राचार हो रहा है।
दूसरी लहर में साढे़ छह हजार से ज्यादा लोग हुए थे संक्रमित: स्वास्थ्य विभाग द्वारा दूसरी लहर के आंकड़ों को सार्वजनिक तो नहीं किया जा रहा है, लेकिन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार 15 अप्रैल से 20 मई के बीच जिले में साढे़ छह हजार से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें से अधिकांश की जांच गैर जिलों में हुईं और वहीं के अस्पतालों में भर्ती रहकर उपचार भी हुआ। इतना ही नहीं, इस समय सीमा के बीच एक सैकड़ा से ज्यादा कोरोना संक्रमितों की मौत भी हुई थी।
दूसरी लहर में आक्सीजन की कमी से हारी थी उम्मीद: कोरोना की दूसरी लहर ने खूब कहर बरपाया था। शरीर में आक्सीजन लेवल कम होने की वजह से मरीजों की मौत होने लगी थी। स्थिति ऐसी थी कि स्वस्थ मरीज अचानक बीमार हो रहे थे। बुखार के बाद उनका आक्सीजन लेवल गिरता जाता था। अस्पताल में भर्ती कराने के कुछ घंटे बाद ही मौत हो जा रही थी। उस समय प्रशासन के सामने आक्सीजन की कमी सबसे बड़ी समस्या थी। जिला अस्पताल की इमरजेंसी और एल-2 आइसोलेशन अस्पताल में पर्याप्त सिलेंडर नहीं मिल रहे थे। जिले में सिलेंडरों की आपूर्ति करने वाली प्राइवेट एजेंसियों ने भी हाथ खडे़ कर दिए थे। मरीजों को टुकड़ों में आक्सीजन देनी पड़ रही थी। एक मरीज का एसपीओटू लेवल थोड़ा बढ़ने के बाद उनकी आक्सीजन को दूसरे गंभीर मरीज के पास शिफ्ट कर दिया जाता था। जिले में आक्सीजन कंसन्टेटर भी उस समय पर्याप्त मात्रा में नहीं थे।
अब ये है व्यवस्था:
एल-2 आइसोलेशन अस्पताल में तैयार किए गए पीआइसीयू वार्ड में 40 बिस्तर वेंटीलेटर के साथ रखे गए हैं। इसके अलावा सभी सीएचसी पर 10-10 बेड उपलब्ध कराए गए हैं।
अलग से पूरे एल-2 में 110 बिस्तर उपलब्ध हैं।
24 वेंटीलेटर इस समय एल-2 अस्पताल में उपलब्ध हैं।
एल-1 प्लस श्रेणी में जिले में चार अन्य अस्पताल बना दिए गए हैं, जिसमें भोगांव में 50 बेड और गोधना, किशनी एवं कुरावली में 30-30 बेड के प्रबंध कराए गए हैं।
हर एक सीएचसी और पीएचसी पर 20-20 आक्सीजन कंसन्टेटर भेजे गए हैं। इसके अलावा हर एक बेड पर आक्सीजन सिलिडर की व्यवस्था कराई गई है।
तीसरी लहर में अब ऐसी होनी चाहिए व्यवस्था:
एल-2 आइसोलेशन अस्पताल के बाहर डिजिटल डैशबोर्ड लगवाया जाए, ताकि स्वजन व अन्य सामान्य लोगों को अस्पताल में भर्ती मरीज, रेफर किए गए मरीज और खाली बिस्तरों के बारे में 24 घंटे जानकारी हो सके।
एल-2 अस्पताल के बाहर खाली जगह पर अस्थायी शेड बनवाया जाए, जहां मरीजों के तीमारदार बैठ सकें या इमरजेंसी के दौरान रात बिता सकें।
यहां पीके पानी और सफाई के पर्याप्त प्रबंध कराए जाएं।
सैंपल आइडी जनरेट करने के नाम पर संदिग्धों को इधर से उधर न भटकाया जाए।
पाजिटिव मिलने वाले मरीजों को खुलेआम घूमने की अनुमति न दी जाए। उन्हें यदि होम आइसोलेट करना है तो सुरक्षा के साथ एंबुलेंसों से भिजवाया जाए। दूसरी लहर में संक्रमित होने वाले मरीज बाजारों से पैदल घूमते हुए स्वयं घर पर पहुंचते थे।
प्रतिदिन संक्रमितों और ठीक होने वालों का डाटा स्वास्थ्य विभाग द्वारा सार्वजनिक कराए जाने की व्यवस्था कराई जाए ताकि लोगों को वास्तविक स्थिति की जानकारी हो सके। दूसरी लहर से सबक लेते हुए हमने अपनी तैयारियां कर ली हैं। विशेषज्ञ चिकित्सकों की ही कमी है। इसके अलावा अन्य सारे इंतजाम लगभग हो गए हैं। आक्सीजन प्लांट भी एक चालू हो चुका है, जल्द ही तीन अन्य भी चालू हो जाएंगे। लोगों से अपील है कि वे कोविड प्रोटोकाल का पालन करें ताकि दोबारा बदतर हालात न बनें। -डा. पीपी सिंह, सीएमओ