मझोला पंचायत के तालाब को न मिल सकी संजीवनी

100 साल पुराने तालाब में जलमंजनी ने जलस्तर रोका। ग्रामीणों ने शौचालय का पानी भी तालाब में छोड़ दिया है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 08 Apr 2021 05:36 AM (IST) Updated:Thu, 08 Apr 2021 05:36 AM (IST)
मझोला पंचायत के तालाब को न मिल सकी संजीवनी
मझोला पंचायत के तालाब को न मिल सकी संजीवनी

संसू, बेवर, मैनपुरी: जल संरक्षण के लिए कभी गांवों की कार्ययोजना को सराहा जाता था, लेकिन बदलते दौर के साथ यहां भी स्थिति विकराल होने लगी हैं। कस्बा से सटे मझोला गांव में लगभग 100 साल पुराने तालाब का जलस्तर तेजी से गिर रहा है। ग्रामीणों की मनमानी भी तालाब के अस्तित्व पर बड़ा संकट बनी हुई है।

कस्बा बेवर से कुछ किमी की दूरी पर मझोला गांव के बीचोंबीच बसा तालाब उपेक्षा का शिकार हो रहा है। तालाब के बडे़ हिस्से में जलमंजनी का कब्जा है, जिसकी वजह से पानी में पड़ा कचरा सड़ रहा है। गिरते जलस्तर को उठाने के लिए कोई प्रयास नहीं किए गए। स्थिति यह है कि किनारों पर ग्रामीणों ने कब्जा कर लिया है। कहीं गोबर के उपले रख लिए हैं तो कहीं पक्के निर्माण किए जा रहे हैं। कई बार इन कब्जों को हटवाने की शिकायतें हुई, लेकिन प्रशासनिक स्तर पर कोई प्रयास न किए गए। दम तोड़ गई हरियाली उगाने की मुहिम

योजना बनाई गई थी कि तालाब के किनारों पर हरियाली उगाई जाए, ताकि बारिश का जल वृक्षों की जड़ों के माध्यम से जमीन में पहुंचे और मिट्टी के कटान को रोका जा सके, लेकिन आज तक एक भी पौधा तालाब के किनारे नहीं उगाया गया। तालाब में मोड़ा गया शौचालय की गंदगी का रुख

तालाब को गंदा करने में गांव वालों ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी है। गांव में ज्यादातर घरों के शौचालयों की गंदगी सीधे तालाब की ओर मोड़ दी गई है। इसके अलावा नालियों का गंदा पानी भी तालाब में ही छोड़ा जा रहा है। इससे पूरा तालाब दलदल में तब्दील हो चुका है। हमें सामूहिक प्रयास कर तालाब में शौचालयों की गंदगी को रोककर वहां इसकी बाउंड्री तैयार करानी होगी। जलस्तर बढ़ाने के लिए बारिश के पानी को संचय करने का भी प्रयास करना होगा।

इंद्रेश निगम पौधारोपण के जरिए भी जलस्तर को बढ़ाया जा सकता है। तालाब के किनारों पर पौधे रोपित करने होंगे, ताकि बारिश का पानी जड़ों के माध्यम से जमीन के अंदर पहुंच सके।

सनी कुमार सिर्फ बातें करने से ही काम नहीं चलने वाला, हम सभी को सामूहिक रूप से प्रयास करने होंगे। तालाबों के अस्तित्व को बचाने के लिए गांव के सभ्रांत लोगों के साथ अधिकारियों को भी अपना तालमेल बिठाना होगा। स्वयंसेवी संगठनों को भी गिरते जलस्तर को सुधारने के लिए प्रयास करने चाहिए। इसमें कोई संशय नहीं है कि पौधरोपण से जलस्तर में सुधार हो सकता है। कागजी कार्रवाई से कुछ नहीं होने वाला। अब सभी को इस अभियान में सहयोग करने की आवश्यकता है।

राजवेंद्र मिश्रा, इटावा रोड, बेवर

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