रबी फसल की बोआई को इस बार बढ़ा रकबा

इस बार मानसून मेहरबान रहा तो रबी फसल की बोआई के लिए रकबा बढ़ेगा। गेहूं सरसों और अन्य फसलों की बोआई 16280 हेक्टेयर ज्यादा जमीन में होगी। सर्वाधिक रकबा गेहूं का 10815 हेक्टेयर बढ़ा है जबकि सरसों का रकबा भी बढ़ रहा। यह इस फसल इस बार 0.898 हेक्टेयर ज्यादा रकबा में बोई जाएगी। बीते साल रबी के लिए 163.655 हजार हेक्टेयर में रबी फसलों की बोआई हुई थी।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 18 Oct 2021 04:12 AM (IST) Updated:Mon, 18 Oct 2021 04:12 AM (IST)
रबी फसल की बोआई को इस बार बढ़ा रकबा
रबी फसल की बोआई को इस बार बढ़ा रकबा

जासं, मैनपुरी: इस बार मानसून मेहरबान रहा तो रबी फसल की बोआई के लिए रकबा बढ़ेगा। गेहूं, सरसों और अन्य फसलों की बोआई 16280 हेक्टेयर ज्यादा जमीन में होगी। सर्वाधिक रकबा गेहूं का 10815 हेक्टेयर बढ़ा है, जबकि सरसों का रकबा भी बढ़ रहा। यह इस फसल इस बार 0.898 हेक्टेयर ज्यादा रकबा में बोई जाएगी। बीते साल रबी के लिए 163.655 हजार हेक्टेयर में रबी फसलों की बोआई हुई थी।

कृषि विभाग हर साल जिले में फसल सीजन आने पर बोआई का रकबा बनाना है, इसी आधार पर शासन किसानों के लिए सरकारी स्तर पर खाद-बीज भी उपलब्ध कराता है। इस बार मानसून मेहरबानी से रबी फसलों के बोआई के रकबे में कृषि विभाग ने इजाफा किया है। सर्वाधिक रकबा गेहूं का बढ़ा है तो जौ, सरसों और मक्का का भी रकबा बढ़ाया गया है। इसके अलावा चना, मटर और मसूर के भी रकबा में बढ़ोतरी की गई है। अब कृषि विभाग भी बढ़े रकबा के साथ शासन से खाद-बीज का इंतजाम करने में जुट गया है। पहली बार होगी तोरिया की बोआई

जिले में पहली बार तोरिया की बोआई होगी। 80 से 90 दिन में पककर तैयार होने वाली इस फसल के लिए जिले में 3.385 हेक्टेयर रकबा तय किया गया है। घटा चना का रकबा

फसलों में सर्वाधिक कीमत पर बिकने वाली चना की फसल का रकबा इस बार घटा है। जिले में यह फसल बीते साल 0.983 हेक्टेयर में बोई गई थी, जबकि इस बार यह फसल 0.026 हेक्टेयर मे बोए जाने का अनुमान लगाया गया है। फसल का नाम- बीते साल - इस साल- वृद्धि

गेहूं- 150.115- 160.930- 10885

जौ- 2889- 3089- 0.200

मक्का- 0.518-0.636- 0.120

मटर- 1.067- 1.368-0.301

मसूर- 0.121- 0.156- 0.035

सरसों- 7.964- 8.862- 0.898 कुल- 163.665- 179.883- 16.280

नोट- रकबा हेक्टेयर में। जिले में इस बार रबी सीजन में रकबा बढ़ा है। इसमें भूमि सुधार कार्यक्रम के बाद उपजाऊ बनी ऊसर को भी शामिल किया गया है। खाद- बीज का इंतजाम हो रहा है।

- सूर्य प्रताप सिंह, जिला कृषि अधिकारी।

chat bot
आपका साथी