बरनाहल में पेयजल खरीदने को लगती कतार

दैनिक जागरण जल है तो कल है अभियान चला रहा है। बरनाहल क्षेत्र में एक परिवार को निजी समबर्सिबल पंप से पानी 100 रुपये महीने खरीदना पड़ता है। 120 हैंडपंप में से 100 खराब हो गए हैं। इससे बाजार में दुकानदारों और ग्राहकों को भी दिक्कत होती है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 22 Jun 2021 05:17 AM (IST) Updated:Tue, 22 Jun 2021 05:17 AM (IST)
बरनाहल में पेयजल खरीदने को लगती कतार
बरनाहल में पेयजल खरीदने को लगती कतार

संसू, बरनाहल, मैनपुरी: पानी का मोल समझने के लिए अब कस्बा बरनाहल आना होगा। नगर पंचायत होने के बाद भी यहां के बाशिंदों को पेयजल खरीदना पड़ता है। यहां स्थापित 120 हैंडपंप में से करीब 100 खराब पड़े हुए हैं। यहां के लोगों को निजी समबर्सिबल पंप से 100 रुपये महीने में पानी खरीदना पड़ रहा है।

जिले का बरनाहल ब्लाक सालों से डार्क जोन में है। तमाम गांवों का भूजल स्तर दो दशक में सौ फीट से नीचे जा पहुंचा है। कुछ ऐसा ही हाल बीते साल ग्राम पंचायत से नगर पंचायत बने बरनाहल कस्बा का है। यहां के मुहल्ला कटरा में तो अधिकांश हैंडपंप खराब पड़े हुए हैं। नागरिक संपन्न परिवारों द्वारा लगाई समबर्सिबल पंप से महीनादारी देकर पीने के पानी की जरूरत को पूरा करते हैं। इस पानी के लिए उनको सौ रुपये महीना देना पड़ता है। कस्बा में करीब 120 हैंडपंप लगे हुए हैं, जिनमें से करीब सौ तो पानी नीचे चले जाने की वजह से खराब हो गए हैं। ऐसे में सही हैंडपंपों पर पानी की जरूरत पूरा करने के लिए सुबह ही लाइन लगी रहती है।

सरकारी हैंडपंपों में डाल रखी निजी समबर्सिबल पंप

कस्बा के तमाम नागरिकों ने सरकारी हैंडपंपों में निजी समबर्सिबल पंप डाल रखी हैं। खुद पानी खींचकर दूसरों को महीनेदारी के हिसाब से बेचते हैं।

बाजार में भी संकट

कस्बा के बाजार में एक भी हैंडपंप नहीं होने से दुकानदार और ग्राहक भी पानी के लिए परेशान रहते हैं। तमाम दुकानदार तो घर से ही इसका इंतजाम करके आते हैं।

बिजली बढ़ाती संकट

पानी को सुबह से चितित रहने वाले नागरिकों की पीड़ा बिजली सप्लाई ठप होने से बढ़ जाती है। सुबह ही बिजली सप्लाई बंद होने से नागरिक परेशान रहते हैं। टंकी की सप्लाई भी प्रेशर से नहीं आने से यह संकट और बढ़ता है।

कस्बा में पीने के पानी का संकट कई साल से बना हुआ है। सरकारी हैंडपंपों के खराब होने की वजह से यह संकट और बढ़ रहा है। सुबह से ही सही हैंडपंपों से इस जरूरत को पूरा करने के लिए लाइन में लगना पड़ता है।

-ऊषा देवी।

कटरा मुहल्ला में पानी का सबसे ज्यादा संकट है। यहां अधिकांश हैंडपंप महीनों से खराब हैं, एकाध जो सही है, उस पर पानी के लिए लाइन लगानी पड़ती है। सरकारी सप्लाई भी एक-दो बाल्टी ही मिल पाती है।

-फूलबानो।

संपन्न नागरिक अपनी समबर्सिबल पंप से सौ रुपये महीने के हिसाब से पीने का पानी देते हैं। इसके लिए बिजली का इंतजार करना पड़ता है। बिजली नही आने पर संकट होता है। तमाम परिवार ऐसे ही खरीदकर पानी से प्यास बुझाते हैं।

-जमालुद्दीन।

सही हैंडपंपों में तमाम नागरिकों ने निजी समबर्सिबल पंप डालकर उनको अपना बना लिया है। पानी का संकट दूर करने को कोई काम नहीं हुआ है। बाजार में सभी परेशान रहते हैं। पीने के पानी का महत्व तो यहां के नागरिक जानते हैं।

-पप्पू।

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