किताबों ने तोड़ा सलाखों का गुमान

बात-बेबात पर गालियां देने वाले बंदियों का लहजा नरम हुआ। जिला कारागार में बंद तीन युवा सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 27 Mar 2021 04:09 AM (IST) Updated:Sat, 27 Mar 2021 04:09 AM (IST)
किताबों ने तोड़ा सलाखों का गुमान
किताबों ने तोड़ा सलाखों का गुमान

जागरण संवाददाता, मैनपुरी : लोहे की सलाखों को बड़ा गुमान था कि वो अपनी सख्ती से बैरक को सुधार देंगे। मगर, किताबों ने सलाखों का ये गुमान तोड़ दिया। सलाखों के पीछे रहते जो बंदी बात-बेबात पर गालियां बकते थे। उनका लहजा अब नरम हो गया। धार्मिक पुस्तकों ने उनकी सोच ही बदल दी है। मर्यादित जीवन की राह पर खुद तो चल ही पड़े हैं, साथी बंदियों के लिए भी सुबह-शाम 'गुरुकुल' लगाते हैं।

बंदियों की सोच में बदलाव लाने के लिए जिला जेल में दो साल पहले प्रयास शुरू किया गया। चंद किताबों की छोटी सी लाइब्रेरी बनाई। शुरुआती दौर में दो-चार बंदी ही यहां आते। इन बंदियों ने अपने साथियों को प्रेरित किया, जेल प्रशासन ने भी जानकारी लेकर उनकी रुचि की किताबों की व्यवस्था कराई। लाइब्रेरी में रौनक बढ़ने लगी। दैनिक जिम्मेदारियों से फुरसत मिलते ही बंदी लाइब्रेरी आने लगे। जेल में ज्यादातर बंदी औसतन 40 साल की उम्र है। इनमें धार्मिक पुस्तकें पढ़ने की ललक बढ़ी। अक्सर ही गाली-गलौज करने वाले पत्थर दिल पिघलने लगे। जो किताबों में पढ़ते, साथियों को उसका मर्म समझाने लगे। बंदियों की मानसिकता में सुधार देख जेल प्रशासन का उत्साह भी बढ़ गया। सपना तो इन्होंने भी देखा है

जेल में तीन युवा बंदी हैं। तीनों ग्रेजुएट हैं। तीनों करीब चार से यहां निरुद्ध हैं। ये तीनों बंदी सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहे हैं। इसी तरह, कुछ महिला बंदी ब्यूटीशियन और कुकरी की किताबें पढ़ रही हैं। तमाम ऐसे भी हैं जो प्रेरणादायक पुस्तकें पढ़ रहे हैं। महापुरुषों की जीवनी आधारित पुस्तकें इन्हें जीवन की नई राह दिखा रही हैं। बंदियों की डिमांड पर मंगाई पुस्तकें

पुस्तक पढ़ने की ललक इस कदर बढ़ रही है कि बंदी अपनी रुचि वाली पुस्तकों की डिमांड करने लगे हैं। लाइब्रेरी की जिम्मेदारी संभाल रहे शिक्षक बृजेश चतुर्वेदी बताते हैं कि इनके लिए जेल प्रशासन उदारमना लोगों के जरिए पुस्तकें उपलब्ध कराता है। प्रतियोगी परीक्षा के लिए तो तमाम अधिकारियों ने अपनी पुस्तकें दी हैं।

पुस्तकें पढ़ने से बंदियों के व्यवहार में सकारात्मक बदलाव आया है। लगभग 25 फीसद बंदी अपने दिन की शुरुआत धार्मिक पुस्तकें पढ़कर शुरू करते हैं। ऐसे बंदियों की संख्या निरंतर बढ़ रही है। कई बंदी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं।

- हरिओम शर्मा

जेल अधीक्षक

जेल की स्थिति पर

बंदियों की कुल संख्या - 1323

विचाराधीन पुरुष बंदी - 968

विचाराधीन महिला बंदी - 48

सिद्धदोष बंदी - 255

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