शुरू हो गई थीं स्वास्थ्य विभाग की तैयारियां

एक साल पहले कोरोना संक्रमण के दौरान अस्पतालों में बिस्तर बढ़ाए गए थे। होटल बुक होने लगे थे।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 26 Mar 2021 05:41 AM (IST) Updated:Fri, 26 Mar 2021 05:41 AM (IST)
शुरू हो गई थीं स्वास्थ्य विभाग की तैयारियां
शुरू हो गई थीं स्वास्थ्य विभाग की तैयारियां

जासं, मैनपुरी : भले ही एक साल बीत गया हो, लेकिन लाकडाउन का वो दौर हर तारीख पर याद आ रहा है। हालात भले बदले हों लेकिन स्मृतियों में सब कुछ पहले जैसा ही है। साल भर के बाद दोबारा कोरोना ने दस्तक दे दी है। कई राज्यों में वायरस जोर पकड़ रहा है। कुछ राज्यों में तो लाकडाउन भी लगा दिया गया है। प्रदेश सरकार ने भी एहतियात बरतने की सलाह दी है।

25 जनवरी 2020 को लाकडाउन के दूसरे दिन की स्थितियां सबके लिए नई थीं। इससे पहले किसी ने ऐसा माहौल नहीं देखा था। गैर प्रांतों से प्रवासी श्रमिकों के पलायन ने खतरे को और ज्यादा बढ़ा दिया था। खतरा बढ़ा तो स्वास्थ्य विभाग के साथ प्रशासनिक टीमें भी अलर्ट हो गई थीं। मरीजों की संख्या बढ़ती देख स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा अस्पतालों को अलर्ट कर दिया गया था।

जिला महिला चिकित्सालय के खाली पडे़ भवन को एल-2 में तब्दील कर दिया, यहां 100 बिस्तरों के प्रबंध करा दिए गए थे। जबकि संक्रमित मिलने वाले सभी मरीजों के लिए भोगांव में सीएचसी को एल-1 में तब्दील किया गया था। नवोदय विद्यालय में जांच की सुविधा कराई गई थी। प्रवासियों की सैंपलिग करने वाली टीम के साथ मरीजों को उपचार देने वाले चिकित्सकों के ठहरने के लिए शहर में होटलों की बुकिग भी शुरू कर दी गई थी। सीमाओं पर तैनात थी पुलिस

प्रवासियों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए जिले की सभी सीमाओं पर बैरियर्स लगाकर वहां पुलिस के भारी प्रबंध कराए गए थे। पुलिस को थर्मल स्कैनर के साथ तैनात किया गया था। अस्थायी टेंट लगाकर यहां श्रमिकों के बैठने के प्रबंध कराए गए थे। जो भी श्रमिक गैर जिलों से आ रहे थे, उन्हें अलग-अलग जिलों के अनुसार रोककर वाहनों की मदद से गंतव्य तक भिजवाया जा रहा था। पैदल ही तय कर दिया था मीलों का सफर

लाकडाउन के बाद हालात पूरी तरह से बदल गए थे। सबसे ज्यादा समस्या उन लोगों के सामने खड़ी हुई थी जो रोजी-रोटी कमाने के लिए सैकड़ों किमी दूर गैर प्रांतों में रह रहे थे। लाकडाउन होने से फैक्ट्रियां और अन्य कारोबार बंद पड़ गए। जब तक संभव हुआ समय गुजारा। उसके बाद लोगों ने भूख और परेशानी से हारकर पलायन शुरू कर दिया। वाहन बंद थे। ऐसे में गृहस्थी और परिवार के सदस्यों के साथ लोगों ने पैदल ही मीलों लंबा फासला अपने कदमों से मापने की कवायद शुरू कर दी। बच्चों और परिवार के लोगों के साथ पैदल चलकर लोग गुजरात, दिल्ली, आगरा, मथुरा, कानपुर, गाजियाबाद, कोटा और अन्य जगहों से अपने घरों के लिए निकल पडे़ थे।

राहत को बढे़ थे मददगारों के हाथ

लाकडाउन में सड़कों पर सन्नाटा था। इस सन्नाटे को चीरते हुए गुजर रहे लोगों के कदमों की आहट लोगों को जगा रही थी। सैकड़ों किमी दूर से चलकर आ रहे ऐसे लोगों की मदद के लिए मददगारों के हाथ भी खूब बढे़। शहर के समाजसेवियों के अलावा हर तबके के लोगों ने अपनी साम‌र्थ्य के अनुसार मदद दी। भोजन के पैकेट, पानी के पाउच, कपडे़, दवाएं, मरहम और अन्य सामग्री लेकर लोग तिराहों-चौराहों और सड़कों पर जहां-तहां दिखते थे। पुलिसकर्मियों ने भी अपनी क्षमता के अनुसार राहत मुहैया कराई थी। वाहनों से प्रवासियों को उनके जिलों और गांवों की सीमा पर पहुंचाया जा रहा था। मेडिकल संचालकों ने की व्यवस्था

बुधवार को लॉकडाउन के बावजूद लोग घरों से बाहर निकले। हालात काबू करने के लिए कुछ देर के लिए शटर बंद कराए गए। दोपहर में भीड़ हटते ही दोबारा दवा की दुकानें खुलवा दी गईं। इस बार बेवजह की भीड़ न हो इसके लिए दुकानदारों ने एक-एक मीटर की दूरी पर चूने से निशान बनाए। दवा लेने वाले ग्राहकों को इन्हीं लाइनों में खडे़ रहने के लिए अपील की। लोगों ने भी साथ दिया। वायरस रोकने के लिए नियमों का पालन करते दिखे।

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