महंगाई ने छीना जेब का सुकून, बिगड़ रहा बजट
खाद्य वस्तुओं के अलावा पेट्रोल- डीजल के दामों में बढ़ोतरी से जेब का बजट बिगड़त
जासं, मैनपुरी: खाद्य वस्तुओं के अलावा पेट्रोल- डीजल के दामों में बढ़ोतरी से जेब का बजट बिगड़ता जा रहा है। रसोई भी प्रभावित हो रही है। सरसों का तेल चमक रहा है। मसाले भी भारी पड़ रहे हैं। बिक्री कम होने से दाल जरूर राहत दे रही हैं।
बीते साल से डीजल और पेट्रोल के बढ़ते दाम अब हर रोज वाहन दोपहिया और चार पहिया से चलने वालों को सता रहे हैं। कोरोना काल में लागू किए गए लाकडाउन और अन्य परिस्थितियों से रोजगार और कारोबार प्रभावित हुआ हैं। नागरिकों की आमदनी पर खासा असर आया है। अभी नागरिक इससे उबर भी नहीं पाए कि अब महंगाई ने आम आदमी को चपेट में ले लिया है। बगैर सब्सिडी वाले रसोई गैस सिलेंडर की कीमतों में इसी साल चार बार उछाला आया है, इसमें डेढ़ सौ रुपये तक की वृद्धि दर्ज की गई है। पिछले चार माह में पेट्रोल की कीमतों में भी खासी तेजी आई है। खाद्य तेल के भाव तो बीते साल के मुकाबले पचास रुपये तक बढ़े हुए हैं।
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पेट्रोल एक लीटर-
आज के रेट-
93.88
डीजल एक लीटर-
87.88
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सब्सिडी वाला सिलेंडर-
एक फरवरी - 728.50 रुपये
दस जून- 840.00 रुपये
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आसमान पर खाद्य तेल के दाम-
पेट्रोल- डीजल की महंगाई छोड़िए, खाद्य तेल के दाम भी आसमान पर चढ़े हुए हैं। त्योहार से पहले रिफाइंड के भी भाव बढ़ गए हैं। हर रसोई और खाने की जरूरत से जुड़ी इन वस्तुओं के महंगी होने से आम आदमी प्रभावित है। महंगाई ने अब खाद्य तेलों को निशाना बनाया है। सरसों और लाही के तेल की कीमतें करीब डेढ़ गुना तक बढ़ गई हैं।
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खाद्य तेल (प्रति लीटर)-
डेढ़ माह- पहले अब
रिफाइंड तेल 90-115-170
सरसों तेल खुला 110- 160
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पेट्रोल- डीजल के दाम लगातार बढ़ते जा रहे हैं। इसका असर घर के बजट पर पड़ता है। आमदनी तो उतनी है, लेकिन खर्चा जरूर बढ़ गया है। इससे अब परेशानी होने लगी है ।-मनोज
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खाद्य तेलों का प्रयोग घर की जरूरत है। सिलेंडर भी महंगा हो गया है। मसाले के दाम बढ़ने से रसोई प्रभावित हुई है। सरकार को इस पर काबू पाने को काम करना चाहिए। - जयंती, गृहिणी
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दाल दे रहीं राहत-
शहर के लेनगंज बाजार के कारोबारी भगवान दयाल का कहना है कि दाल अब राहत दे रही है। बिक्री कम होने और शादी, समारोह पर रोक से दालों की बिक्री पर असर पड़ा है। इसी वजह से यह यह सस्ती हैं। सभी दालों पर दस से बीस रुपये कम हुए हैं।