अस्पताल के बाहर मेडिकल स्टोर्स की ओवररेटिग बनी सिरदर्द

कोरोना संक्रमण के कारण दुकानदार दवाएं और आक्सीजन मास्क एमआरपी से ज्यादा दाम पर बेच रहे हैं। मरीजों की मजबूरी का फायदा उठा रहे हैं। वहीं औषधि विभाग आंख मूंद कर बैठा है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 15 May 2021 05:15 AM (IST) Updated:Sat, 15 May 2021 05:15 AM (IST)
अस्पताल के बाहर मेडिकल स्टोर्स की ओवररेटिग बनी सिरदर्द
अस्पताल के बाहर मेडिकल स्टोर्स की ओवररेटिग बनी सिरदर्द

जासं, मैनपुरी : कोरोना के संक्रमण को देखते हुए केमिस्ट वेलफेयर एसोसिएशन ने मदद की अपील की है। वहीं दूसरी ओर जिला अस्पताल के बाहर और आसपास संचालित दवा कारोबारी मुनाफाखोरी से बाज नहीं आ रहे हैं। आक्सीजन मास्क पर अंधी कमाई जारी है। औषधि विभाग ने भी अपनी आंखें मूंद ली हैं।

ओपीडी सेवाएं बंद होने के कारण जिले भर से मरीज जिला अस्पताल की इमरजेंसी में उपचार को पहुंच रहे हैं। सर्वाधिक मरीज सांस की समस्या से पीड़ित होते हैं। संसाधनों के अभाव में चिकित्सकों द्वारा तीमारदारों को आक्सीजन मास्क लाने की सलाह दी जाती है। जिला अस्पताल के ठीक बाहर कोने पर संचालित मेडिकल स्टोर के अलावा आसपास संचालित स्टोर्स के संचालकों द्वारा 70 रुपये के मास्क को 300 से 400 रुपये में बेचा जा रहा है। इनका बिल भी नहीं दिया जा रहा है। रोजाना लगभग आधा सैकड़ा मरीजों को आक्सीजन मास्क खरीदने पड़ रहे हैं। इतना ही नहीं, ज्यादातर दवा और इंजेक्शन को भी ओवररेटिग पर बेच रहे हैं। किसी भी दवा की न तो पर्ची दी जाती है और बिल। दो खुराक की जरूरत, बेच रहे पूरा रैपर

अस्पताल के बाहर संचालित दवा दुकानदारों द्वारा मरीजों की मजबूरी का फायदा उठाया जा रहा है। किसी मरीज को दो टेबलेट या दो वक्त की खुराक नहीं दे रहे हैं। उन्हें दवा का पूरा रैपर खरीदने का दबाव डाला जा रहा है। मजबूरी में तीमारदारों को 200 से 300 रुपये में 10 टेबलेट खरीदनी पड़ती हैं। क्या कहते हैं जिम्मेदार

हमने सभी दवा कारोबारियों से पहले ही अपील की है कि वे मरीजों की मजबूरी का फायदा न उठाएं। यदि फिर भी कोई दवा दुकानदार ज्यादा दाम पर दवा बेच रहा है तो उसकी सूचना दें। एसोसिएशन के माध्यम से कार्रवाई कराई जाएगी।

विनय सक्सेना गांधी, सचिव, केमिस्ट वेलफेयर एसोसिएशन। यदि किसी मरीज को समस्या है तो वो शिकायत करें। शिकायत मिलने पर कार्रवाई कराई जाएगी। वैसे भी आक्सीजन मास्क औषधि कानून के अंतर्गत नहीं आते हैं। फिर भी जांच कराएंगे।

उर्मिला अग्रवाल, औषधि निरीक्षक।

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