संगठन की मजबूती को जोश भरने आए थे कल्याण

1996 में शहर के क्रिश्चियन कालेज में की थी सभा विधानसभा चुनाव में गर्माया था माहौल खुद की पार्टी बनाकर भोगांव में कराया था ताकत का अहसास निकाली थी विशाल रैली

By JagranEdited By: Publish:Mon, 23 Aug 2021 06:00 AM (IST) Updated:Mon, 23 Aug 2021 06:00 AM (IST)
संगठन की मजबूती को जोश भरने आए थे कल्याण
संगठन की मजबूती को जोश भरने आए थे कल्याण

जासं, मैनपुरी: पूर्व मुख्यमंत्री का मैनपुरी से भी लगाव रहा है। संगठन की मजबूती के अलावा वह यहां लोकसभा और विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा प्रत्याशियों के समर्थन में माहौल बनाने आए थे। भाजपा से अलगाव के बाद भोगांव में आयोजित रैली से उन्होंने ताकत का अहसास भी कराया था।

जनसंघ के समय से ही दिग्गज नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का मैनपुरी में पार्टी संगठन को ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए जुटे थे। भाजपा गठन के बाद वह संगठन को मजबूत करने के लिए शहर स्थित सावित्री धर्मशाला आए। 1987 के इस काल में उन्होंने शहर के प्रबुद्धजनों को पार्टी की नीतियों से जोड़ा था। इसके बाद जिले में तीसरे नंबर पर रहने वाली भाजपा का ग्राफ बढ़ा तो 1996 में भी वह बतौर मुख्यमंत्री शहर के क्रिश्चियन मैदान में जनसभा को संबोधित करने आए। लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में माहौल बनाया। इस सभा में उनकी बातों का असर इस चुनाव के परिणाम पर नजर आया। इस बार पार्टी प्रत्याशी दूसरे नंबर पर रहा।

भाजपा से किसी बात पर बिगड़ने के बाद पार्टी ने उनको 1998 में बाहर निकाल दिया। इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय क्रांति पार्टी का गठन किया। इसके बाद अलग पार्टी बनाने के बाद वह वर्ष 2002 मैनपुरी आए। लोक निर्माण विभाग के गेस्ट हाउस से बडे काफिले के साथ भोगांव में आयोजित पार्टी की रैली में शामिल होने पहुंचे। रैली के जरिये उन्होंने समाज पर अपनी पकड़ साबित की। विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार उतारे, लेकिन वह जीत नहीं सके। 2005 में भाजपा में वापसी के बाद 2007 के विधानसभा चुनावों के दौरान उन्होंने जिले में सभाएं भी कीं।

इस काल खंड के बाद पूर्व मुख्यमंत्री का एक बार भाजपा से मोहभंग हुआ तो अलग हो गए। वैसे, इसके बाद भी उनका यहां खुद की पार्टी और बाद में भाजपा प्रत्याशियों के लिए आना हुआ।

जनसंघ के समय से भाजपा से जुड़े वरिष्ठ नेता शिवओंकार नाथ पचौरी बताते हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री समय और संगठन के लिए प्रतिबद्ध रहते थे। 1987 में सावित्री धर्मशाला में उन्होंने प्रबुद्धजनों को संबोधित किया। बतौर भाजपा नेता और मुख्यमंत्री के रूप में भी वह मैनपुरी आए। उनके निधन से राजनीति के एक युग का अवसान हुआ है।

पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष अरविद तोमर ने पूर्व मुख्यमंत्री के निधन को बड़ी क्षति बताते हुए कहा कि उनका भाषण खास अंदाज में होता था, लोग भी सुनने के लिए उमड़ते थे। पूर्व जिलाध्यक्ष शिवदत्त भदौरिया ने बताया कि दिग्गज नेता की सभा में शैली लोगों को पसंद आती थी। वह क्रिया पर प्रतिक्रिया को जोड़कर बात समझाते थे।

chat bot
आपका साथी