पाठशालाओं में उत्सव, विद्यार्थियों का किया तिलक, भेंट किए फूल
11 महीने बाद सरस्वती के आंगन में लौटी रौनक सजाए गए स्कूल मास्क में नजर आए नौनिहाल शारीरिक दूरी की अनिवार्यता भी दिखी
केस-1: दिन सोमवार। स्थान मैनपुरी ब्लाक के गांव देवामई की कंपोजिट पाठशाला। समय सुबह नौ बजे। इस समय तक यहां शिक्षक आ चुके थे। विद्यार्थियों का आना शुरू हो गया था। पाठशाला के दरवाजे पर प्रधानाध्यापिका वर्तिका अवस्थी और साथी शिक्षक मौजूद थे। वे पाठशाला आने वाले विद्यार्थियों को तिलक लगाकर गुलाब का फूल दे रहीं थी। इसके बाद प्रार्थना सभा में वंदना और शारीरिक कसरत का दौर शुरू हुआ।
केस-दो: कुसमरा कस्बा की प्राथमिक पाठशाला में पहले दिन कम संख्या में विद्यार्थी आए। प्रार्थना सभा के बाद विद्यार्थियों को कक्ष में कोरोना से बचाव और शारीरिक दूरी की अनिवार्यता बताई गई। शिक्षिका अलका वर्मा ने सभी से अब तक घर में की गई पढ़ाई की जानकारी ली। साथी शिक्षक दूसरी कक्षा में शिक्षण कार्य करा रहे थे। जासं, मैनपुरी: कोरोना संक्रमण के करीब 11 माह बाद सोमवार को बेसिक शिक्षा विभाग के परिषदीय और निजी स्कूल खुले तो यहां उत्सव सा माहौल नजर आया। अधिकांश पाठशालाओं को गुब्बारों से सजाया गया था। छात्र-छात्राओं का तिलक कर और फूल भेंटकर स्वागत हुआ। कक्षों को सैनिटाइज कराया गया और मास्क भी बांटे गए। सभी विद्यार्थियों के हाथ भी सैनिटाइज कराए गए।
शासन के निर्देश पर उच्च शिक्षा, इंटर और जूनियर स्कूलों के बाद सोमवार से जिले के प्राथमिक स्कूल भी शिक्षण के लिए खोले गए। पहले दिन बेसिक के स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या बेशक कम रही, लेकिन उत्साह भरपूर नजर आया। शिक्षकों ने इतने दिनों के बाद लौटे विद्यार्थियों को हाथों-हाथ लिया। कुशलक्षेम पूछी तो स्वजन की जानकारी ली गई।
मास्क में नजर आए विद्यार्थी
निजी प्राथमिक स्कूल तो वैसे कई रोज पहले ही खुल गए थे, लेकिन बेसिक के स्कूल एक मार्च से खुले। पहले दिन अधिकांश विद्यार्थी मास्क लगाकर आए। कुछ पर मास्क नहीं होने पर उनको शिक्षकों ने उपलब्ध कराया।
बीते दिनों की खूब हुई चर्चा
पाठशालाओं में पहले दिन शिक्षण के साथ शिक्षकों ने विद्यार्थियों से बीते दिनों की भी खूब चर्चा की। विद्यार्थियों ने भी गुजरे दिनों की यादें रोचक अंदाज में बताई।
मैं तो घर बैठे-बैठे परेशान हो गई थी। घर में कितना पढ़ती। अब स्कूल आकर अच्छा लग रहा है। अब रोज स्कूल खुलने चाहिए।
-अंशिका कुशवाह।
आज स्कूल आने पर मन खुश है। घर में पढ़ने में ज्यादा मन नहीं लगता था। शिक्षिक-मेडम बीच-बीच में घर आकर पढ़ने को समझाती रहीं।
- अंशुल बाबू।
अब खूब मौज मस्ती होगी, दोस्त भी मिलेंगे। पढ़ाई तो होगी ही, शारीरिक गतिविधियों से सेहत भी अच्छी रहेगी। घर में रहकर बोरिग हो रही थी।
-सैल्या।
आज स्कूल आए तो मन खुश हुआ। मम्मी ने मास्क लगाने को कहा है, लगाकर आया हूं। अब पढ़ने में मन लगेगा और दोस्त भी मिलेंगे।
-सनी।
घर में कितनी देर पढ़ते, लेकिन पढ़ना पढ़ता था। अब स्कूल खुले हैं तो पढ़ाई के साथ खेल और दूसरे काम भी करेंगे। मौज मस्ती भी करेंगे।
-नैना।
स्कूल आए तो मास्साब ने दूर-दूर बैठाया, खराब लगा। उन्होंने बीमारी और उससे बचाव की जानकारी दी तो मन दूर बैठने को मान गया।
-देवकी।
आज स्कूल में कई महीनों के बाद सहेलियां मिलीं तो काफी अच्छा लगा। अब रोज स्कूल आकर पढें़गे, इतने दिनों से परेशान थे। बाहर जाने की मनाही थी।
-खुशी।
स्कूल खुले हैं तो पढ़ने आए हैं, अच्छा लग रहा है। अब स्कूल बंद नहीं होने चाहिए। मास्क लगाने को कहा गया है, वह इसका पालन करेंगी। -मुस्कान।