फर्जी लाइसेंस मामले में दो माह बाद भी पुलिस खाली

कुर्रा निवासी युवक के नाम से जारी फर्जी लाइसेंस पर खरीदी गई थी रिवाल्वर

By JagranEdited By: Publish:Mon, 13 Sep 2021 06:40 AM (IST) Updated:Mon, 13 Sep 2021 06:40 AM (IST)
फर्जी लाइसेंस मामले में दो माह बाद भी पुलिस खाली
फर्जी लाइसेंस मामले में दो माह बाद भी पुलिस खाली

जासं, मैनपुरी: करीब दो माह पहले शहर कोतवाली में दर्ज कराए गए फर्जी लाइसेंस मामले में पुलिस के हाथ खाली हैं। पुलिस की टीम ने दो बार इटावा जा चुकी है, लेकिन कोई सुबूत हाथ नहीं लग सका है।

थाना कुर्रा के गांव अंबरपुर निवासी सुनील कुमार ने पिस्टल के लाइसेंस के लिए आवेदन किया था। वर्ष 2011 में यह स्वीकृत किया गया। लाइसेंस मिलने पर उन्होंने वर्ष 2012 में पिस्टल खरीदकर अपने लाइसेंस पर चढ़वा ली। इस वर्ष पंचायत चुनाव के दौरान उन्होंने अपनी पिस्टल को शहर में अमित गन हाउस पर जमा कर दिया था।

तीन माह पहले इटावा पुलिस ने सुनील के घर पहुंचकर लाइसेंस के बारे में जानकारी की तो उन्होंने अपना शस्त्र दुकान पर होने की बात बताई। इस पर पुलिसकर्मियों ने बताया कि तुम्हारे शस्त्र लाइसेंस पर दर्ज रिवाल्वर को आपराधिक घटना में प्रयोग किया गया है। सुनील ने अपने पास रिवाल्वर के बजाय पिस्टल होने की बात बताई।

सुनील के मुताबिक इटावा पुलिस को जांच में पता चला कि जिस रिवाल्वर से आपराधिक घटना की गई है, वह इटावा के प्रद्युम्न आ‌र्म्स के यहां से खरीदी गई थी। दुकानदार आ‌र्म्स डीलर के पास मिले लाइसेंस की फोटा कापी पर द्वितीय प्रति अंकित था। घटना को लेकर उपेंद्र कुमार ने 20 जुलाई को कोतवाली में एफआइआर दर्ज कराई थी। घटना की जांच उप निरीक्षक साहब सिंह वर्मा को सौंपी गई थी। इंस्पेक्टर कोतवाली भानु प्रताप सिंह ने बताया कि पुलिस की टीम दो बार इटावा जा चुकी है। आ‌र्म्स डीलर से पूछताछ की गई है, लेकिन कोई सुराग नहीं मिल सका है। जांच की जा रही है। द्वितीय प्रति जारी करवा कर खरीदी थी रिवाल्वर

पुलिस द्वारा असलहा कार्यालय में जांच की गई तो पता चला कि कार्यालय में सुनील के नाम से एक आवेदन किया गया था। इसमें उसने अपना लाइसेंस खो जाने की बात कहते हुए द्वितीय प्रति जारी कराने की मांग की थी। इसी आधार पर सुनील के नाम से द्वितीय प्रति जारी कर दी गई थी। पिस्टल बिक्री होने का लगाया था फर्जी पत्र

जिस जालसाज द्वारा इटावा के आ‌र्म्स डीलर से सुनील के नाम से बन लाइसेंस पर रिवाल्वर खरीदी गई थी, उसमें पूर्व से लाइसेंस पर चढ़ी पिस्टल के बिक्री होने का फर्जी पत्र लगाया था। इसी आधार पर दुकानदार द्वारा जालसाज के हाथ फर्जी लाइसेंस पर रिवाल्वर बेच दी गई।

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