नहीं बनी बात, हड़ताल पर रहे संविदा कर्मचारी
लंबित मांगों का निस्तारण न होने से नाराज संविदा विद्युतकर्मियों ने कार्य बहिष्कार कर अपने तैनाती स्थलों पर धरना दिया। समस्या न सुलझने पर प्रदेशीय नेतृत्व के निर्देश पर आंदोलन की चेतावनी दी है।
जासं, मैनपुरी : लंबित मांगों का निस्तारण न होने से नाराज संविदा विद्युतकर्मियों ने कार्य बहिष्कार कर अपने तैनाती स्थलों पर धरना दिया। समस्या न सुलझने पर प्रदेशीय नेतृत्व के निर्देश पर आंदोलन की चेतावनी दी है।
उत्तर प्रदेश विद्युत संविदा कर्मचारी संघ के तहत संविदाकर्मियों ने उपकेंद्रों पर धरना दिया। जिलाध्यक्ष सुबोध कुमार यादव का कहना है कि श्रम कानून के तहत जो व्यवस्था है, विद्युत अधिकारियों द्वारा उसका उल्लंघन किया जा रहा है। संविदाकर्मियों को सुरक्षा नहीं दी जा रही है, बल्कि उनसे बड़ी लाइनों पर काम कराया जा रहा है। खुद ही प्लास और अन्य उपकरणों की हम लोगों को खरीद करनी पड़ती है। हम लोगों से मीटर रीडिग, कंप्यूटर आपरेटिग और ट्रांसफारमर रिपेयरिग जैसे तकनीकी काम कराए जाते हैं। जबकि वेतन के नाम पर छह हजार से 9,700 रुपये ही दिए जाते हैं।
उन्होंने कहा कि ठेका प्रथा पर संविदाकर्मियों को खुलेआम शोषण किया जा रहा है। वेतन में बढ़ोतरी की मांग को लेकर लंबे समय से हम लोग आंदोलन कर रहे हैं। हर बार आश्वासन देकर धोखा ही दिया जा रहा है। अब दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड की इस मनमानी को हम स्वीकार नहीं करेंगे। कर्मचारियों ने कार्य से विरत रहते हुए उपकेंद्रों पर धरना दिया। चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर सुनवाई नहीं होती है तो प्रदेशीय आह्वान पर आंदोलन को आगे बढ़ाया जाएगा। धरना प्रदर्शन के दौरान रवि कुमार, शैलेंद्र सिंह, राजेश कुमार, दिलीप कुमार, कुलदीप सिंह, ज्ञान सिंह, पंकज कुमार आदि उपस्थित थे। कार्यशाला पहुंचे अधिशासी अभियंता, ट्रांसफारमरों की पड़ताल की
जासं, मैनपुरी : ट्रांसफारमरों की रिपेयरिग और उनकी गुणवत्ता का जायजा लेने के लिए आगरा मंडल कार्यशाला से अधिशासी अभियंता सतेंद्र पाल सिंह मैनपुरी पहुंचे। लगभग एक घंटे तक रुककर पड़ताल करने के बाद उन्होंने डेमेज कंट्रोल पर जिम्मेदारों की पीठ थपथपाई।
दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड कार्यशाला आगरा मंडल से अधिशासी अभियंता ने पावर हाउस परिसर में संचालित विद्युत विभाग की कार्यशाला का निरीक्षण किया। उन्होंने कहा कि मैनपुरी में डैमेज कंट्रोल सबसे कम है। यहां औसतन 200 ट्रांसफारमर महीने में क्षतिग्रस्त हो रहे हैं, जोकि एक अच्छी प्रगति है। हमें कोशिश करनी होगी कि इसे और कम किया जाए।
उन्होंने ट्रांसफारमरों की गुणवत्ता की जांच करते हुए कहा कि मैनपुरी में बनने वाले ट्रांसफारमरों की मांग दूसरे जिलों में भी सबसे ज्यादा है। यहां परिसर में सुरक्षा मानकों की पड़ताल करते हुए कहा कि आगजनी और दूसरी प्रकार के खतरों से सुरक्षा के प्रबंधों को और ज्यादा बढ़ाए जाने की जरूरत है। सहायक अभियंता कार्यशाला दीपचंद और अवर अभियंता कार्यशाला मनोज यादव ने अधिशासी अभियंता को अतिरिक्त सामग्री उपलब्ध कराए जाने की मांग की है।