बढ़ती उम्र के साथ कमजोर हो रही युवाओं को मेमोरी
पांच सैकड़ा से ज्यादा युवा अल्जाइमर्स की बीमारी से मन कक्ष में उपचार ले रहे हैं। दिनचर्या परिवर्तन और अकेलापन वजह बन रहा।
जासं, मैनपुरी: केस एक :
शहर के मुहल्ला कटरा निवासी ज्योती (26) दिसंबर, 2020 में मन कक्ष में पहुंची थीं। भूलने की समस्या से परेशान हैं। इन्हें कुछ दिनों तक तो सलाह दी गई थी, लेकिन बाद में इनकी स्थिति चिताजनक लगने लगी थी। ये खुद की जान लेने से संबंधित बातें भी करने लगी थीं। ऐसे में इनके स्वजन को चौबीस घंटे इनकी निगरानी की सलाह देते हुए आगरा से उपचार कराने के लिए कहा था।
केस दो :
शहर के नगला जुला निवासी कर्मवीर (29) भी मानसिक तौर पर काफी परेशान थे। शुरुआत में जब आए थे तो भूलने की बीमारी बताते थे। काउंसिलिग कर कई बार उनकी मनोदशा को समझने का प्रयास किया गया, लेकिन राहत न मिलती देख बाद में उन्हें भी आगरा से मनोचिकित्सक से उपचार कराने की सलाह दी थी।
बदलती जीवनशैली के साथ भूलने की समस्या अब बीमारी का रूप लेती जा रही है। यह बीमारी कभी उम्रदराज लोगों को हुआ करती थी, जिसे डाक्टरी भाषा में शार्ट आफ मेमोरी लास या अल्जाइमर कहते हैं। लेकिन, अब युवा और बच्चे भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। जिला अस्पताल के मन कक्ष में तैनात काउंसलर अरुणा यादव का कहना है कि वर्ष 2018-19 में शासन द्वारा इस कक्ष की शुरुआत कराई गई थी। शुरुआत में मरीज कम आते थे, लेकिन अब संख्या बढ़ने लगी है। भूलने की समस्या से परेशान मरीजों में सिर्फ बुजुर्ग या अधेड़ ही नहीं आते, बड़ी संख्या में युवा और बच्चे भी शामिल हैं। उनका कहना है कि इस बीमारी से कक्ष में लगभग पांच सैकड़ा मरीजों का पंजीकरण हो चुका है। बहुत से काउंसिलिग के लिए आते हैं। अधिकांश लोगों की स्थिति में थोड़ा सुधार महसूस होता है, लेकिन कुछ को एसएन मेडिकल कालेज आगरा से उपचार कराने की सलाह दी गई है। कई तो ऐसे भी होते हैं जो याद रखने के लिए डायरी बनाते हैं। 40 से ज्यादा उम्र वालों को न्यूरोलाजिस्ट की सलाह
जिला अस्पताल के फिजीशियन डा. जेजे राम कहना है कि 40 साल से ज्यादा की उम्र वालों में पूरी तरह से भूलने की समस्या अधिक है। इसे डिमेंसिया केस माना जाता है। जिला अस्पताल में सुविधा न होने पर उन्हें न्यूरोलाजिस्ट के पास जाने की सलाह दी जाती है। बच्चों में मोबाइल डाल रहा प्रभाव
मन कक्ष की काउंसलर का कहना है कि आधा दर्जन बच्चों के ऐसे मामले भी इस समय हैं जिनकी उम्र 10 से 15 साल के बीच है। इन बच्चों से बात करने पर एक बात साफ हुई है कि ये बच्चे मोबाइल गेम्स को लेकर ही बात करना पसंद करते हैं। इनके अभिभावकों को सलाह दी गई है कि वे अपने बच्चों के साथ समय बिताएं और उनकी पहुंच से मोबाइल को दूर रखें।